नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश के चर्चित निठारी कांड के 12वें मामले में भी गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने नौकर सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई है. 20 वर्षीय युवती की हत्या और साक्ष्य मिटाने के मामले में सीबीआई अदालत ने कोली को दोषी करार दिया था. जबकि कोठी के मालिक मोनिंदर पंढेर को मामले में बरी कर दिया था.
भारत के इतिहास में सुरेंद्र कोली पहला ऐसा व्यक्ति है, जिसको 12वीं बार फांसी की सजा मुकर्रर की गई है. कोर्ट ने 12वें मामले में सुरेंद्र कोली पर 70 हजार का जुर्माना भी लगाया है.
कोली के चेहरे पर कोई पछतावा नहीं
इस मामले में सजा के समय सुरेंद्र कोहली कोर्ट में मौजूद था, लेकिन उसके चेहरे पर कोई पछतावा नहीं देखा गया. बता दें कि अब तक निठारी कांड के 17 में से 12 मामलों में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. वहीं बचे हुए 5 मामलों में भी जल्द फैसला होने की उम्मीद है.
उनका ट्रायल अभी कोर्ट में चल रहा है. जब यह सभी लंबित मामले अपने मुकाम तक पहुंचेंगे, तभी कोली को फांसी दी जा सकती है. इस बीच ऊपरी अदालतों के विकल्प भी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंढेर के सामने बचे हुए हैं.
राक्षस,नरपिशाच, नरभक्षी जैसे शब्दों से संबोधित
नोएडा की D5 कोठी के नाले में से यह खौफनाक सच सामने आया था और नाले में से नरकंकाल बरामद हुए थे. उसके बाद यह मामला देश ही नहीं दुनिया में चर्चा का विषय बना था. लेकिन जैसे ही पता चला कि नोएडा के निठारी के D5 कोठी के मालिक मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली ने इन हत्याओं को अंजाम दिया है.
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उसके बाद इन्हें नरपिशाच, नरभक्षी, राक्षस जैसे नामों से संबोधित किया जाता था. आज भी इस मामले को जब लोग सुनते हैं, तो सिहर उठते हैं. पीड़ित इंतजार कर रहे हैं कि कब इस मामले में पूरा इंसाफ मिल पायेगा. हालांकि यह बात सभी जानते हैं कि बचा हुआ जीवन सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंढेर को इस गुनाह के साथ ही जेल में बिताना होगा.