नई दिल्ली/गाजियाबाद: होली को बेरंग और ईद को फीका करने के बाद अब रक्षाबंधन पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है. बाजारों में राखियों की दुकानें तो लगी हैं, लेकिन ग्राहक ना के बराबर हैं. कोरोना के कारण ग्राहक बाजारों से दूरियां बना रहे हैं. ऐसे में दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है.
वहीं रक्षाबंधन के त्यौहार से पहले गाजियाबाद के प्रमुख बाजारों में खासा रौनक देखने को मिलती थी. घंटाघर बाजार में रक्षाबंधन से पहले खरीदारों की भारी भीड़ होती थी. जो कि राखियों की खरीदारी करते थे, लेकिन इस साल कोरोना महामारी ने त्यौहारों की रौनक छीन ली है. गाजियाबाद के प्रसिद्ध बाजार घंटाघर मार्केट में त्यौहार से पहले क्या कुछ माहौल है. इसी का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम घंटाघर बाजार पहुंची और वहां दुकानदारों से बातचीत की.
'बाजारों में ग्राहक ना के बराबर दिख रहे'
सुभाष मल्होत्रा बीते 18 सालों से रक्षाबंधन पर राखियों की दुकान लगाते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि हर साल 40 से 50 हजार रुपये की रक्षाबंधन से पहले राखियों की बिक्री होती थी, लेकिन इस बार बाजार चौपट है. बीते चार दिनों में केवल 5000 रुपये की ही बिक्री हो पाई है. कोरोना की वजह से इस साल बाजार में ग्राहक ना के बराबर हैं. राजेश बताते हैं कि वह पिछले 5 वर्षों से घंटाघर में रक्षाबंधन से पहले राखियों की दुकान लगाते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण रोजगार सब ठप पढ़े हैं, ऐसे में लोगों के पास पैसे की कमी है, जिसके कारण लोग खरीददारी बहुत कम कर रहे हैं. कोरोना के कारण रक्षाबंधन पर व्यापार 15 प्रतिशत रह गया है.
बता दें कि रक्षाबंधन पर अधिकतर दुकानदार किराए पर स्टाल लेकर राखियों की दुकानें लगाते हैं. बिक्री ना होने के कारण दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. दुकानदारों को चिंता सता रही है कि कहीं इस साल कोरोना वायरस के कारण उन्हें नुकसान ना उठाना पड़े. रक्षाबंधन से दो-तीन दिन पहले ग्राहकों की भारी भीड़ होती थी, लेकिन इस बार कोरोना वायरस ने धंधा चौपट कर दिया है.