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गाजियाबाद में मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़: बिना फिटनेस के फर्राटा पर भर रही स्कूल बस - गाजियाबाद स्कूल बस हादसा

गाजियाबाद में 40 प्रतिशत स्कूल बसें बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रही है. फिटनेस की अवधि समाप्त होने के बाद भी संचालक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जबकि समय-समय पर परिवहन विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जा रहा है. जिले में तकरीबन 1800 स्कूल बसें चल रही है.

स्कूल बस
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Published : Apr 21, 2022, 6:08 PM IST

गाजियाबाद/नई दिल्लीः गाजियाबाद में 40 प्रतिशत स्कूल बसें बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रही है. फिटनेस की अवधि समाप्त होने के बाद भी संचालक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जबकि समय-समय पर परिवहन विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जा रहा है. जिले में तकरीबन 1800 स्कूल बसें चल रही है. जिसमें से करीब 700 बसों की फिटनेस समाप्त हो चुकी है.

कुछ दिन पहले मोदीनगर बस हादसे में एक बच्चे की मौत हो गई थी. जिस बस में घटना हुई उस बस की फिटनेस एक साल पहले समाप्त हो गई थी. सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी विश्वजीत प्रताप सिंह ने बताया प्रवर्तन अधिकारी और टेक्निकल आर आई द्वारा घटना की संयुक्त जांच की जा रही है. दुर्घटनाग्रस्त बस को अक्टूबर 2021 में ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था. मार्च 2021 में बस की फिटनेस समाप्त हो गई थी. बस का फिटनेस कराने के लिए संचालक को नोटिस जारी किया गया था.

गाजियाबाद में मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़.
विश्वजीत प्रताप सिंह ने बताया भविष्य में इस तरह की कोई घटना ना हो इसको ध्यान में रखते हुए पांच टीमें प्रवर्तन दल की गठित की गई है. जिले को पांच सेक्टर में बांटकर प्रत्येक सेक्टर में एक टीम की तैनाती की गई है. टीम द्वारा स्कूल बसों के मानकों की जांच की जाएगी. इसके साथ ही जिले के प्रत्येक स्कूल के प्रधानाचार्य को स्कूल बसों के मानकों की सूची भी विभाग द्वारा प्राप्त कराई जाएगी. नियमों का उल्लंघन करने पर स्कूल बसों सीज करने की कार्यवाही भी की जाएगी.

इसे भी पढ़ेंः स्कूल बस में लगी चोट, अस्पताल में मासूम की मौत

स्कूल बसों के लिए परिवहन विभाग द्वारा तय मानक
  • बस में स्पीड गोवर्नर लगा होना चाहिए जिससे कि स्कूल बस की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक ना पहुंच पाए.
  • बस की खिड़की पर पाच सेंटीमीटर की दूरी से रॉड लगी होनी चाहिए जिससे कि स्कूल बस में बच्चे सर हाथ आदि बस की खिड़की से बाहर ना निकालें.
  • स्कूल बस में आगे और पीछे 'स्कूल बस' लिखा हुआ चाहिए.
  • सीट के पीछे या नीचे बस्ता रखने की जगह होनी चाहिए.
  • बच्चों के उतरने और चढ़ने के लिए बस के दरबार पर फुट बोर्ड लगा होना चाहिए.
  • स्कूल बस में आपातकालीन द्वार होना चाहिए. यदि बस बड़ी है तो आगे और पीछे दो आपातकालीन द्वार होने चाहिए.
  • अग्निशमन यंत्र लगा होना चाहिए.
  • बस में फर्स्ट एड बॉक्स मौजूद होना चाहिए.
  • जब स्कूल बस में बच्चे स्कूल से आ जा रहे हों तब बस में अटेंडेंट का होना भी जरूरी है. शिक्षक भी अटेंडेंट के तौर पर बस में मौजूद हो सकता है.


इसे भी पढ़ेंः स्कूल बस हादसे में स्कूल प्रबंधन और प्रिंसिपल पर मुकदमा दर्ज, सीएम योगी ने मांगी रिपोर्ट

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया स्कूल आवागमन के बच्चे बसों में यात्रा यात्रा करते हैं. स्कूल बसों के लिए परिवहन विभाग द्वारा मानक तय किए गए हैं. गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी विवेक त्यागी ने बताया स्कूल बसों की सभी जानकारियां परिवहन विभाग के पास मौजूद हैं लेकिन फिर भी जांच पड़ताल में लापरवाही बरती जाती है. जब इस तरह की कोई घटना सामने आती हो तो विभाग द्वारा लीपा पोती की जाती है.

गाजियाबाद/नई दिल्लीः गाजियाबाद में 40 प्रतिशत स्कूल बसें बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ रही है. फिटनेस की अवधि समाप्त होने के बाद भी संचालक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जबकि समय-समय पर परिवहन विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जा रहा है. जिले में तकरीबन 1800 स्कूल बसें चल रही है. जिसमें से करीब 700 बसों की फिटनेस समाप्त हो चुकी है.

कुछ दिन पहले मोदीनगर बस हादसे में एक बच्चे की मौत हो गई थी. जिस बस में घटना हुई उस बस की फिटनेस एक साल पहले समाप्त हो गई थी. सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी विश्वजीत प्रताप सिंह ने बताया प्रवर्तन अधिकारी और टेक्निकल आर आई द्वारा घटना की संयुक्त जांच की जा रही है. दुर्घटनाग्रस्त बस को अक्टूबर 2021 में ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था. मार्च 2021 में बस की फिटनेस समाप्त हो गई थी. बस का फिटनेस कराने के लिए संचालक को नोटिस जारी किया गया था.

गाजियाबाद में मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़.
विश्वजीत प्रताप सिंह ने बताया भविष्य में इस तरह की कोई घटना ना हो इसको ध्यान में रखते हुए पांच टीमें प्रवर्तन दल की गठित की गई है. जिले को पांच सेक्टर में बांटकर प्रत्येक सेक्टर में एक टीम की तैनाती की गई है. टीम द्वारा स्कूल बसों के मानकों की जांच की जाएगी. इसके साथ ही जिले के प्रत्येक स्कूल के प्रधानाचार्य को स्कूल बसों के मानकों की सूची भी विभाग द्वारा प्राप्त कराई जाएगी. नियमों का उल्लंघन करने पर स्कूल बसों सीज करने की कार्यवाही भी की जाएगी.

इसे भी पढ़ेंः स्कूल बस में लगी चोट, अस्पताल में मासूम की मौत

स्कूल बसों के लिए परिवहन विभाग द्वारा तय मानक
  • बस में स्पीड गोवर्नर लगा होना चाहिए जिससे कि स्कूल बस की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक ना पहुंच पाए.
  • बस की खिड़की पर पाच सेंटीमीटर की दूरी से रॉड लगी होनी चाहिए जिससे कि स्कूल बस में बच्चे सर हाथ आदि बस की खिड़की से बाहर ना निकालें.
  • स्कूल बस में आगे और पीछे 'स्कूल बस' लिखा हुआ चाहिए.
  • सीट के पीछे या नीचे बस्ता रखने की जगह होनी चाहिए.
  • बच्चों के उतरने और चढ़ने के लिए बस के दरबार पर फुट बोर्ड लगा होना चाहिए.
  • स्कूल बस में आपातकालीन द्वार होना चाहिए. यदि बस बड़ी है तो आगे और पीछे दो आपातकालीन द्वार होने चाहिए.
  • अग्निशमन यंत्र लगा होना चाहिए.
  • बस में फर्स्ट एड बॉक्स मौजूद होना चाहिए.
  • जब स्कूल बस में बच्चे स्कूल से आ जा रहे हों तब बस में अटेंडेंट का होना भी जरूरी है. शिक्षक भी अटेंडेंट के तौर पर बस में मौजूद हो सकता है.


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सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया स्कूल आवागमन के बच्चे बसों में यात्रा यात्रा करते हैं. स्कूल बसों के लिए परिवहन विभाग द्वारा मानक तय किए गए हैं. गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी विवेक त्यागी ने बताया स्कूल बसों की सभी जानकारियां परिवहन विभाग के पास मौजूद हैं लेकिन फिर भी जांच पड़ताल में लापरवाही बरती जाती है. जब इस तरह की कोई घटना सामने आती हो तो विभाग द्वारा लीपा पोती की जाती है.

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