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गाजियाबाद में कैसी है रैन बसेरों की हालत ? देखिए ग्राउंड रिपोर्ट - गाजियाबाद रैन बसेरा रियलिटी चैक

गाजियाबाद के राजनगर स्थित रैन बसेरे में व्यवस्था काफी बेहतर नजर आई. रैन बसेरे में महिलाओं और पुरुषों के ठहरने के लिए अलग-अलग हाल बने हैं. हॉल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बेड लगाए गए हैं.

गाजियाबाद में कैसी है रैन बसेरों की हालत ?
गाजियाबाद में कैसी है रैन बसेरों की हालत ?
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Published : Dec 31, 2021, 8:04 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-NCR में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. सर्द रातों को काटने के लिए जहां एक तरफ घरों में लोग हीटर और रज़ाइयों का सहारा ले रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जिनके पास ना तो कोई आशियाना है और ना सर्द रातों को काटने के लिए सर पर छत. गरीब, असहाय और बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरों में क्या कुछ व्यवस्था की गई है. इसी का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत ने रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया.


गाजियाबाद के राजनगर स्थित रैन बसेरे में व्यवस्था काफी बेहतर नजर आई. रैन बसेरे में महिलाओं और पुरुषों के ठहरने के लिए अलग-अलग हाल बने हैं. हॉल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बेड लगाए गए हैं. रैन बसेरे में ठहरने वाले लोगों के मनोरंजन के लिए टीवी का भी इंतजाम है. राजनगर स्थित रैन बसेरा एक स्थाई रैन बसेरा है ऐसे में इस रैन बसेरे में किचन की व्यवस्था भी है. या फिर यूं कहें कि यहां ठहरने वाले लोगों के लिए खाने पीने का इंतजाम भी है. रैन बसेरे में मौजूद लोगों से जब हमने बातचीत की तो लोग व्यवस्थाओं से काफी संतुष्ट और खुश नजर आए.

गाजियाबाद में कैसी है रैन बसेरों की हालत ?
नया गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक फ्लाईओवर के नीचे हर रोज दर्जनों लोग रात गुजारा करते थे, लेकिन ठंड का मौसम शुरू होते ही प्रशासन द्वारा फ्लाईओवर के नीचे एक अस्थायी रैन बसेरा बनाया गया है. जिसमें तकरीबन 30 से 40 लोग ठहर सकते हैं. अस्थायी रैन बसेरा बनने के बाद लोगों को काफी राहत है और अब लोग सर्द रातें रैन बसेरे में सुकून से काट रहे हैं. रैन बसेरे में प्रबंधक की भी तैनाती की गई है जो कि रैन बसेरे में तैरने वाले तमाम लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखता है.

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक के दौरान गाजियाबाद के उप जिलाधिकारी सदर विनय कुमार सिंह रैन बसेरों का निरीक्षण करते दिखाई दिए. बातचीत के दौरान विनय सिंह ने बताया किस शहर में तकरीबन 12 स्थायी रैन बसेरे संचालित हैं. जबकि अस्थायी रैन बसेरों की संख्या छह है. लोगों के सोने के लिए रैन बसेरों में आवश्यक मूलभूत सुविधाएं जैसे बेड, कंबल, गद्दे आदि मौजूद हैं. रैन बसेरों में 24 घंटे प्रबंधक मौजूद रहता है.

विनय सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर जिले में अभियान चलाकर सड़क पर सो रहे लोगों को रैन बसेरों में शिफ्ट कराया जा रहा है. सड़क पर रात गुजार रहे लोगों को रैन बसेरों के बारे में जानकारी दी जा रही है. साथ ही प्रशासन उनको गाड़ियों के माध्यम से सड़क से रैन बसेरे में पहुंचा रहा है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-NCR में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. सर्द रातों को काटने के लिए जहां एक तरफ घरों में लोग हीटर और रज़ाइयों का सहारा ले रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जिनके पास ना तो कोई आशियाना है और ना सर्द रातों को काटने के लिए सर पर छत. गरीब, असहाय और बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरों में क्या कुछ व्यवस्था की गई है. इसी का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत ने रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया.


गाजियाबाद के राजनगर स्थित रैन बसेरे में व्यवस्था काफी बेहतर नजर आई. रैन बसेरे में महिलाओं और पुरुषों के ठहरने के लिए अलग-अलग हाल बने हैं. हॉल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बेड लगाए गए हैं. रैन बसेरे में ठहरने वाले लोगों के मनोरंजन के लिए टीवी का भी इंतजाम है. राजनगर स्थित रैन बसेरा एक स्थाई रैन बसेरा है ऐसे में इस रैन बसेरे में किचन की व्यवस्था भी है. या फिर यूं कहें कि यहां ठहरने वाले लोगों के लिए खाने पीने का इंतजाम भी है. रैन बसेरे में मौजूद लोगों से जब हमने बातचीत की तो लोग व्यवस्थाओं से काफी संतुष्ट और खुश नजर आए.

गाजियाबाद में कैसी है रैन बसेरों की हालत ?
नया गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक फ्लाईओवर के नीचे हर रोज दर्जनों लोग रात गुजारा करते थे, लेकिन ठंड का मौसम शुरू होते ही प्रशासन द्वारा फ्लाईओवर के नीचे एक अस्थायी रैन बसेरा बनाया गया है. जिसमें तकरीबन 30 से 40 लोग ठहर सकते हैं. अस्थायी रैन बसेरा बनने के बाद लोगों को काफी राहत है और अब लोग सर्द रातें रैन बसेरे में सुकून से काट रहे हैं. रैन बसेरे में प्रबंधक की भी तैनाती की गई है जो कि रैन बसेरे में तैरने वाले तमाम लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखता है.

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक के दौरान गाजियाबाद के उप जिलाधिकारी सदर विनय कुमार सिंह रैन बसेरों का निरीक्षण करते दिखाई दिए. बातचीत के दौरान विनय सिंह ने बताया किस शहर में तकरीबन 12 स्थायी रैन बसेरे संचालित हैं. जबकि अस्थायी रैन बसेरों की संख्या छह है. लोगों के सोने के लिए रैन बसेरों में आवश्यक मूलभूत सुविधाएं जैसे बेड, कंबल, गद्दे आदि मौजूद हैं. रैन बसेरों में 24 घंटे प्रबंधक मौजूद रहता है.

विनय सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर जिले में अभियान चलाकर सड़क पर सो रहे लोगों को रैन बसेरों में शिफ्ट कराया जा रहा है. सड़क पर रात गुजार रहे लोगों को रैन बसेरों के बारे में जानकारी दी जा रही है. साथ ही प्रशासन उनको गाड़ियों के माध्यम से सड़क से रैन बसेरे में पहुंचा रहा है.

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