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गाजियाबाद में बच्चों पर हुए डॉग अटैक को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग में याचिका

गाजियाबाद के मानव अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता विष्णु कुमार गुप्ता (Human rights activist Vishnu Kumar Gupta) ने हाल के दिनों में बच्चों पर कुत्ते के हमले को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) में याचिका दायर की है. इसमें नगर निगम को पालतू कुत्तों का पंजीकरण और वैक्सिनेशन (टीकाकरण) के साथ ही घर से कुत्ते को बाहर निकालने पर उसके मुंह पर मजल कवर (जालीदार मास्क) लगाने आदि की मांग की गई है.

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Published : Sep 16, 2022, 3:57 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः दिल्ली एनसीआर में हाल ही में पालतू कुत्तों द्वारा लोगों पर किए गए हमलों के कई मामले सामने आ चुके हैं. बीते दिनों गाजियाबाद संजय नगर में पिटबुल ने एक बच्चे पर हमला कर दिया था. हमले में बच्चा बुरी तरह से जख्मी हो गया था और उसके चेहरे पर डेढ़ सौ टांके लगे थे. इससे पहले, राजनगर एक्सटेंशन की एक सोसाइटी में कुत्ते ने लिफ्ट में मासूम बच्चे पर हमला कर दिया था. लगातार इस तरह की घटनाएं सामने आने के बाद अब मानव अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता विष्णु कुमार गुप्ता (Human rights activist Vishnu Kumar Gupta) द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) को मासूम और छोटे बच्चों की सुरक्षा एवं बाल अधिकार सरंक्षण के लिए याचिका भेजी गई है.


मानव अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता विष्णु कुमार गुप्ता ने याचिका में कहा है कि हाल में हुई घटनाओं से बच्चों तथा उनके अभिभावकों में दहशत है. बच्चे सिर्फ स्कूल और ट्यूशन के लिए ही घर से निकल पा रहे हैं. कुत्तों के द्वारा सबसे ज्यादा अपने मुंह के दांतों से ही मानव जीवन को नुकसान पहुंचाया जाता है. यदि पालतू कुत्तों के मुंह पर मजल कवर (जालीदार मास्क) लगा होता तो शायद ये दुखद पीड़ादायक घटनाएं नहीं हुई होती.

मानव अधिकार कार्यकर्ता विष्णु कुमार गुप्ता



याचिका में नगर निगम को पालतू कुत्तों का पंजीकरण और वैक्सिनेशन (टीकाकरण) के साथ ही घर से कुत्ते को बाहर निकालने पर उसके मुंह पर मजल कवर (जालीदार मास्क) लगाना और केवल एक मीटर का गले में पट्टा डालना अनिवार्य करने की मांग की गई है. इसके अलावा, गलियों एवं सोसाइटियों के निराश्रित कुत्तों की नसबंदी कराने, शेल्टर होम में रखने की कार्यवाही किए जाने के लिए समयबद्ध प्रभावी नीति तैयार करने के लिए आदेशित किए जाने तथा पीड़ित बच्चों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आर्थिक सहायता (मुआवजा) देने तथा उनका बेहतर इलाज कराए जाने की प्रार्थना की गई है.

कुत्ते के हमले को लेकर एनसीपीसीआर में याचिका
कुत्ते के हमले को लेकर एनसीपीसीआर में याचिका
कुत्ते के हमले को लेकर एनसीपीसीआर में याचिका
कुत्ते के हमले को लेकर एनसीपीसीआर में याचिका

ये भी पढ़ेंः गाजियाबाद में लिफ्ट में जिस कुत्ते ने बच्चे को काटा था, उस कुत्ते की मालकिन का एक और Video वायरल

एडवोकेट गुप्ता का कहना है कि गाजियाबाद में 20 हजार से अधिक कुत्ते होना तथा इनमें से 2600 का पंजीकरण होना विदित हुआ है. पिटबुल, रोटविलर जैसे कुत्तों पर कई देशों में पालने पर प्रतिबंध लगा है. जर्मन शेफर्ड और डाबरमैन जैसे कुत्तों का इस्तेमाल ज्यादातर पुलिस और बचाव दल में होता है. ऐसे कुत्तों को प्रशिक्षण दिलाया जाना अनिवार्य है. पीड़ादायक दर्दनाक घटनाओं के कारण बच्चे स्वतंत्र रूप से खेल नहीं पा रहे हैं तथा उनका बाल जीवन उनसे छिन गया है.

नई दिल्ली/गाजियाबादः दिल्ली एनसीआर में हाल ही में पालतू कुत्तों द्वारा लोगों पर किए गए हमलों के कई मामले सामने आ चुके हैं. बीते दिनों गाजियाबाद संजय नगर में पिटबुल ने एक बच्चे पर हमला कर दिया था. हमले में बच्चा बुरी तरह से जख्मी हो गया था और उसके चेहरे पर डेढ़ सौ टांके लगे थे. इससे पहले, राजनगर एक्सटेंशन की एक सोसाइटी में कुत्ते ने लिफ्ट में मासूम बच्चे पर हमला कर दिया था. लगातार इस तरह की घटनाएं सामने आने के बाद अब मानव अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता विष्णु कुमार गुप्ता (Human rights activist Vishnu Kumar Gupta) द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) को मासूम और छोटे बच्चों की सुरक्षा एवं बाल अधिकार सरंक्षण के लिए याचिका भेजी गई है.


मानव अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता विष्णु कुमार गुप्ता ने याचिका में कहा है कि हाल में हुई घटनाओं से बच्चों तथा उनके अभिभावकों में दहशत है. बच्चे सिर्फ स्कूल और ट्यूशन के लिए ही घर से निकल पा रहे हैं. कुत्तों के द्वारा सबसे ज्यादा अपने मुंह के दांतों से ही मानव जीवन को नुकसान पहुंचाया जाता है. यदि पालतू कुत्तों के मुंह पर मजल कवर (जालीदार मास्क) लगा होता तो शायद ये दुखद पीड़ादायक घटनाएं नहीं हुई होती.

मानव अधिकार कार्यकर्ता विष्णु कुमार गुप्ता



याचिका में नगर निगम को पालतू कुत्तों का पंजीकरण और वैक्सिनेशन (टीकाकरण) के साथ ही घर से कुत्ते को बाहर निकालने पर उसके मुंह पर मजल कवर (जालीदार मास्क) लगाना और केवल एक मीटर का गले में पट्टा डालना अनिवार्य करने की मांग की गई है. इसके अलावा, गलियों एवं सोसाइटियों के निराश्रित कुत्तों की नसबंदी कराने, शेल्टर होम में रखने की कार्यवाही किए जाने के लिए समयबद्ध प्रभावी नीति तैयार करने के लिए आदेशित किए जाने तथा पीड़ित बच्चों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आर्थिक सहायता (मुआवजा) देने तथा उनका बेहतर इलाज कराए जाने की प्रार्थना की गई है.

कुत्ते के हमले को लेकर एनसीपीसीआर में याचिका
कुत्ते के हमले को लेकर एनसीपीसीआर में याचिका
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एडवोकेट गुप्ता का कहना है कि गाजियाबाद में 20 हजार से अधिक कुत्ते होना तथा इनमें से 2600 का पंजीकरण होना विदित हुआ है. पिटबुल, रोटविलर जैसे कुत्तों पर कई देशों में पालने पर प्रतिबंध लगा है. जर्मन शेफर्ड और डाबरमैन जैसे कुत्तों का इस्तेमाल ज्यादातर पुलिस और बचाव दल में होता है. ऐसे कुत्तों को प्रशिक्षण दिलाया जाना अनिवार्य है. पीड़ादायक दर्दनाक घटनाओं के कारण बच्चे स्वतंत्र रूप से खेल नहीं पा रहे हैं तथा उनका बाल जीवन उनसे छिन गया है.

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