नई दिल्ली/गाजियाबाद: अधिकतर पेरेंट्स इस साल अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. ईटीवी भारत ने कई पेरेंट्स से बात की है और उनका कहना है कि इस सत्र को 0 सत्र घोषित कर दिया जाना चाहिए और बच्चों को अगली क्लास में भी प्रमोट कर दिया जाए. सरकार की तरफ से 15 अक्टूबर के बाद स्कूल खोले जाने की गाइड लाइन आने के बाद पेरेंट्स लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं. पेरेंट्स का कहना है कि रोजाना सामने आ रहे कोरोना के मामले चिंता बढ़ा देने वाले हैं. इसलिए फिलहाल अपने बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दे रहे हैं. उन्हें स्कूल भेजने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. पेरेंट्स ने कहा कि हम अपने बच्चों को स्कूल भेजने की अनुमति नहीं देंगे.
बच्चों की जान पढ़ाई से जरूरी
पेरेंट्स ने कहा है कि भले ही पेरेंट्स की लिखित अनुमति जरूरी हो, लेकिन स्कूलों की तरफ से फीस मांगने का दबाव स्कूल खुलते ही बढ़ जाएगा. जबकि, बहुत सारे पेरेंट्स ऐसे हैं, जो अभी पिछला बकाया दने में असमर्थ हैं क्योंकि कोरोना ने आर्थिक तंगी बढ़ा दी है. पेरेंट्स ने कहा कि स्कूल में बच्चे डिस्टेंसिंग मेंटेन नहीं कर पाएंगे. ज्यादातर बच्चे अपना लंच दूसरे बच्चों से शेयर कर लेते हैं. जो खतरनाक साबित हो सकता है. हालांकि, इस पर सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि लंच शेयर करने और कॉपी किताब आदि शेयर करने पर पूरी तरह से रोक होगी. जिस पर स्कूल का स्टाफ निगरानी भी रखेगा. बता दें कि सभी पेरेंट्स किसी न किसी आरडब्ल्यूए का हिस्सा है इसलिए आरडब्ल्यूए में भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं.
नौवीं से बारहवीं तक के स्कूलों पर विचार
सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन के मुताबिक नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को अल्टरनेट क्लास प्रणाली पर स्कूल भेजने पर विचार हो रहा है. किसी अभिभावक पर कोई दबाव नहीं होगा कि वह बच्चों को स्कूल भेजें. बता दें कि ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी.