नई दिल्ली/भदोही: शहर के निवासी तौहीद आलम के यहां मुरारी लाल बीते 10 सालों से काम कर रहे थे. बीती 13 जून को उनका देहांत हो गया. इसके बाद इस मुस्लिम परिवार ने मुरारी लाल का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से कराया. इतना ही नहीं उनकी तेरहवीं भी धूमधाम से की.
तौहीद आलम ने बताया
- वह 10 साल से हमारे यहां ही रह रहे थे.
- घर के छोटे-मोटे काम किया करते थे.
- वह हमारे परिवार के हिस्सा बन गए थे.
- वह किसी दूसरी जाति या धर्म के थे, यह हमें कभी महसूस नहीं हुआ.
- हमारा उनसे मानवता का रिश्ता था.
- इसीलिए हमने पूरे हिंदू रीति-रिवाज से उनका दाह संस्कार किया.
इस तरह हुई थी मुरारी लाल की मौत
13 जून को मुरारी लाल दोपहर में घर के पीछे पौधों को पानी दे रहे थे. इस दौरान उन्हें एक जहरीले सांप ने काट लिया. हॉस्पिटल ले जाते हुए उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद तौहीद आलम ने मुरारी लाल का दाह संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया. तेरहवीं भी उनकी खूब धूमधाम से मनाई गई.
तौहीद आलम ने बताया कि वह हमारे परिवार के बुजुर्ग की तरह थे. यह एक अलग बात है कि हम दोनों के धर्म अलग-अलग थे. हमें जाति धर्म से ऊपर उठकर मानवता की भावना से सोचना चाहिए और उसी मानवता के भाव से हमने मुरारी लाल जी का अंतिम संस्कार किया.