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गाजियाबाद के नाहल गांव में एक महीने में हुईं 100 से ज्यादा मौतें

गाजियाबाद के नाहल गांव में 40 हजार से अधिक की आबादी है, लेकिन करीब 30 दिन में यहां कोरोना से 100 से अधिक मौतें हो गई हैं. गांव के लोगों के मुताबिक किसी दिन, पांच तो किसी दिन 8-10 मौतें हुई हैं.

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नहाल गांव में 30 दिन में 100 से अधिक मौतें
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Published : May 20, 2021, 10:27 AM IST

Updated : May 20, 2021, 12:03 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : राजधानी और देश के बाकी हिस्सों में कोरोना महामारी के गिरते आंकड़ों ने गांवों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि बीते कुछ दिनों से ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.

गाजियाबाद के नाहल गांव में 40 हजार से अधिक की आबादी है. बीते कुछ दिनों पहले गांव के हालात सामान्य थे, लेकिन हफ्ते भर पहले करीब 30 दिन में 100 से अधिक मौतें हुईं. गांव के लोगों के मुताबिक, हर दिन कभी पांच मृत्यु, कभी 10 तो कभी आठ मृत्यु हुई है.

नाहल गांव में 30 दिन में 100 से अधिक मौतें

कुछ गांव वालों का यह भी कहना है कि गांव में कोरोना को लेकर कोई जांच नहीं हुई और किसी तरह का कोई कैम्प नहीं लगाया गया. हल्के बुखार के लक्षण दिखाई देने के बाद अचानक लोगों की मृत्यु होनी शुरू हो गई. गांव वालों ने यह भी आरोप लगाया कि पंचायती चुनाव के बाद हालात बिगड़े.

वहीं स्थानीय हाजी तैयब ने बताया कि मौजूद समय में गांव के हालात सामान्य हैं, लेकिन बीते एक महीने में गांव में काफी लोगों की मौतें हुई. गांव में तक़रीबन 150 लोगों की मौत हुई हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गांव में कोरोना की टेस्टिंग नहीं हुई.

ये भी पढ़ें : दिल्ली: आदेश और योजनाओं की भरमार, फिर भी मरीज हो रहे मुनाफाखोरी के शिकार

नाहल गांव के पूर्व प्रधान फजर मोहम्मद भी टेस्टिंग को लेकर ही सवाल उठाते हैं. वह कहते हैं कि गांव में काफी मौतें हुई हैं. उनका कहना है कि भारी आबादी के इस इलाके में जब लगातार मौतें हो रही थीं तब भी कोरोना टेस्टिंग गांव में नहीं कराई गई. उन्होंने कहा कि जब गांव में लोग बीमार पड़े तब गांव में मौजूद झोलाछाप डॉक्टरों से लोगों ने इलाज कराया.

गांव के मास्टर साकिर हुसैन के मुताबिक, गांव में तक़रीबन 100 लोगों की बीते एक महीने में मौत हुई है. गांव में एक दिन तो 10 लोगों की मौत हुई थी. गांव में कोरोना की जांच के लिए कोई कैम्प नहीं लगा.

वहीं एक अन्य स्थानीय हाफिज नूर हसन ने बताया कि पंचायत चुनाव के बाद हालात गड़बड़ होने शुरू हो गए और लोग बीमार पड़ने लगे. उनके मुताबिक हर घर में किसी को बुखार जैसे लक्षण थे. अस्पतालों के हालातों को लेकर पूर्व प्रधान मुनव्वर कहते हैं कि अस्पतालों में बेड की किल्लत थी. ऐसे में कुछ लोग ही अस्पतालों में भर्ती हो सके बाकी लोगों ने गांव में मौजूद झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराया.

ये भी पढ़ें : दिल्ली: पिछले 24 घंटे में कोरोना से 235 की मौत, नए मामले आए 3846

नई दिल्ली/गाजियाबाद : राजधानी और देश के बाकी हिस्सों में कोरोना महामारी के गिरते आंकड़ों ने गांवों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि बीते कुछ दिनों से ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.

गाजियाबाद के नाहल गांव में 40 हजार से अधिक की आबादी है. बीते कुछ दिनों पहले गांव के हालात सामान्य थे, लेकिन हफ्ते भर पहले करीब 30 दिन में 100 से अधिक मौतें हुईं. गांव के लोगों के मुताबिक, हर दिन कभी पांच मृत्यु, कभी 10 तो कभी आठ मृत्यु हुई है.

नाहल गांव में 30 दिन में 100 से अधिक मौतें

कुछ गांव वालों का यह भी कहना है कि गांव में कोरोना को लेकर कोई जांच नहीं हुई और किसी तरह का कोई कैम्प नहीं लगाया गया. हल्के बुखार के लक्षण दिखाई देने के बाद अचानक लोगों की मृत्यु होनी शुरू हो गई. गांव वालों ने यह भी आरोप लगाया कि पंचायती चुनाव के बाद हालात बिगड़े.

वहीं स्थानीय हाजी तैयब ने बताया कि मौजूद समय में गांव के हालात सामान्य हैं, लेकिन बीते एक महीने में गांव में काफी लोगों की मौतें हुई. गांव में तक़रीबन 150 लोगों की मौत हुई हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गांव में कोरोना की टेस्टिंग नहीं हुई.

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नाहल गांव के पूर्व प्रधान फजर मोहम्मद भी टेस्टिंग को लेकर ही सवाल उठाते हैं. वह कहते हैं कि गांव में काफी मौतें हुई हैं. उनका कहना है कि भारी आबादी के इस इलाके में जब लगातार मौतें हो रही थीं तब भी कोरोना टेस्टिंग गांव में नहीं कराई गई. उन्होंने कहा कि जब गांव में लोग बीमार पड़े तब गांव में मौजूद झोलाछाप डॉक्टरों से लोगों ने इलाज कराया.

गांव के मास्टर साकिर हुसैन के मुताबिक, गांव में तक़रीबन 100 लोगों की बीते एक महीने में मौत हुई है. गांव में एक दिन तो 10 लोगों की मौत हुई थी. गांव में कोरोना की जांच के लिए कोई कैम्प नहीं लगा.

वहीं एक अन्य स्थानीय हाफिज नूर हसन ने बताया कि पंचायत चुनाव के बाद हालात गड़बड़ होने शुरू हो गए और लोग बीमार पड़ने लगे. उनके मुताबिक हर घर में किसी को बुखार जैसे लक्षण थे. अस्पतालों के हालातों को लेकर पूर्व प्रधान मुनव्वर कहते हैं कि अस्पतालों में बेड की किल्लत थी. ऐसे में कुछ लोग ही अस्पतालों में भर्ती हो सके बाकी लोगों ने गांव में मौजूद झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराया.

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Last Updated : May 20, 2021, 12:03 PM IST
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