नई दिल्ली/गाजियाबाद: एमएमजी जिला अस्पताल गाजियाबाद की मुख्य इमारत का बड़ा हिस्सा बुरी तरह से जर्जर हो गया है. जिसका लेंटर कभी भी गिर सकता है. हैरत की बात ये है कि इस लेंटर को गिरने से रोकने के लिए फटे हुए बांस लगाए गए हैं. बता दें कि, अस्पताल के इस हिस्से को कुछ साल पहले ही जर्जर घोषित कर दिया गया था. लेकिन फिर भी इससे संबंधित बिल्डिंग में मरीजों का इलाज चल रहा है. इसी जर्जर हिस्से के ठीक सामने इमरजेंसी वार्ड है.
एमएमजी जिला अस्पताल की इस बिल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से जर्जर हाल में है. कई जगहों से लेंटर टूट कर गिर चुका है, बचे हुए हिस्से से प्लास्टर गिर रहा है. जबकि इसी बिल्डिंग के ठीक सामने इमरजेंसी वार्ड है, जहां लगातार मरीजों और उनके तीमारदारों की आवाजाही लगी रहती है साथ ही यहां से एंबुलेंस भी गुजरती है. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
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इस सरकारी अस्पताल को 2017 में ही जर्जर घोषित किया जा चुका है. साथ ही इसे रिपेयर के आदेश भी हो चुके हैं, लेकिन अब तक यह तय नहीं हो पाया कि कौन सा विभाग इसको ठीक करवाएगा. इससे संबंधित फाइल स्वास्थ्य विभाग के गलियारों में लगातार घूम रही है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने अपने स्तर पर इस जर्जर लेंटर को गिरने से रोकने के लिए बांस लगवा दिया है. यह हिस्सा अस्पताल की जिस मुख्य बिल्डिंग का पार्ट है वहां ओपीडी, टीकाकरण, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, पैथोलॉजी लैब, दवा वितरण जैसी गतिविधियां संचालित होती हैं.
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वहीं, इस मामले में अस्पताल के सीएमएस अनुराग भार्गव का कहना है कि यहां कुछ तार फैला है, जिनको शिफ्ट नहीं किया जा सका है. उन्होंने बताया कि इसको हटाने के लिए ठेकेदार को कह दिया गया है, लेकिन मेन बिल्डिंग से जो तार आए हुए हैं उनको काटा जाना है. उनका कहना है कि इस हिस्से को बंद करने के लिए इसमें बांस लगाए गए हैं.
हालांकि, इससे पहले भी इस तरह के जवाब दिए जाते रहे हैं कि व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा लेकिन व्यवस्था अब तक दुरुस्त नहीं हो पाई है. सवाल यह है कि सरकारी व्यवस्था कब तक बांस के सहारे टिकी रहेगी. कब तक लोग खौफ के साए में स्वास्थ्य सेवाएं लेते रहेंगे. इस सवाल का जवाब देने वाला फिलहाल कोई नहीं है.