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महाशिवरात्रि: गाजियाबाद के इस मंदिर में रावण के पिता ने की थी पूजा-अर्चना

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में शिवालयों को सजाया गया है तो वहीं दूसरी तरफ हम आपको राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद के एक ऐसे मंदिर की कहानी बताएंगे. जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां रावण के पिता ने पूजा-अर्चना की थी.

doodheshvaranaath mandir gaajiyaabaad Dudheshwarnath Temple Ghaziabad
दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता
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Published : Feb 21, 2020, 5:20 AM IST

Updated : Feb 21, 2020, 9:35 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: महाशिवरात्रि के त्यौहार पर देश के अलग-अलग हिस्सों में शिवालयों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. एक ऐसा ही शिवालय राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में है. जहां की मान्यता रावण के पिता से जुड़ी है.

दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता

दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता

गाजियाबाद के जस्सीपुरा मोड़ पर स्थित प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां रावण के पिता ने कठोर तपस्या की थी. रावण के पिता ने यहां पूजा-अर्चना की थी. इसके अलावा एक और मान्यता ये भी है कि प्राचीन काल में यहां स्थित एक टीले पर एक गाय रोजाना आकर दूध देती थी. बाद में जब उस टीले की खुदाई की गई तो शिवलिंग प्रकट हुआ. तभी से यहां दूधेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना हुई. महाशिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. अनुमान है कि करीब तीन लाख श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करेंगे.

doodheshvaranaath mandir gaajiyaabaad Dudheshwarnath Temple Ghaziabad
दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता

बता दें कि मान्यता है कि आज के दिन ही भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, ऐसे में आज के दिन भगवान शिव का ध्यान करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. महंत नारायण गिरी ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर महासंयोग भी बन रहा है. 117 साल बाद ये महासंयोग बन रहा है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: महाशिवरात्रि के त्यौहार पर देश के अलग-अलग हिस्सों में शिवालयों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. एक ऐसा ही शिवालय राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में है. जहां की मान्यता रावण के पिता से जुड़ी है.

दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता

दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता

गाजियाबाद के जस्सीपुरा मोड़ पर स्थित प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां रावण के पिता ने कठोर तपस्या की थी. रावण के पिता ने यहां पूजा-अर्चना की थी. इसके अलावा एक और मान्यता ये भी है कि प्राचीन काल में यहां स्थित एक टीले पर एक गाय रोजाना आकर दूध देती थी. बाद में जब उस टीले की खुदाई की गई तो शिवलिंग प्रकट हुआ. तभी से यहां दूधेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना हुई. महाशिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. अनुमान है कि करीब तीन लाख श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करेंगे.

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दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता

बता दें कि मान्यता है कि आज के दिन ही भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, ऐसे में आज के दिन भगवान शिव का ध्यान करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. महंत नारायण गिरी ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर महासंयोग भी बन रहा है. 117 साल बाद ये महासंयोग बन रहा है.

Last Updated : Feb 21, 2020, 9:35 AM IST
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