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गाजियाबाद: पहली बार रामलीला मंचन के बगैर जलाए गए कुंभकरण, रावण और मेघनाद के पुतले - कवि नगर में रामलीला के मंचन के बिना दशहरा

कविनगर रामलीला ग्राउंड में इस साल बिना रामलीला मंचन के रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया. रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि धार्मिक प्रथा जारी रखने के लिए बिना रामलीला के पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

Ravana burnt without Ramleela staging in ghaziabad
धार्मिक प्रथा जारी रखनें के लिए पुतला दहन कार्यक्रम
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Published : Oct 25, 2020, 7:39 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कविनगर रामलीला ग्राउंड में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया. आपको बता दें, गाजियाबाद में कोरोना की वजह से रामलीला का आयोजन नहीं हुआ था, लेकिन बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार पर, धार्मिक प्रथा जारी रखने के लिए सामान्य पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. हालांकि, इस दौरान आसपास के लोगों की काफी भीड़ मौके पर लग गई थी, जहां कुछ लोग बिना मास्क पहने भी भीड़ में दिखाई दिए.

धार्मिक प्रथा जारी रखने के लिए पुतला दहन कार्यक्रम.
सुंदरकांड का पाठ रखा गयापुतला दहन कार्यक्रम से पहले रामलीला कमेटी द्वारा सुंदरकांड का पाठ रखा गया था, जिसमें सिर्फ कार्यकारिणी के सदस्य और पदाधिकारी ही मौजूद रहे. लेकिन इस बीच तीन छोटे पुतले ग्राउंड में खड़े कर दिए गए. जिसे देखकर आसपास के लोग आकर्षित हुए और मौके पर पहुंच गए. जिसके बाद स्थिति को संभालना रामलीला कमेटी के सदस्यों के लिए काफी मुश्किल साबित हुआ. हालांकि, कमेटी के मेंबर और स्थानीय बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में पुतला दहन कर दिया गया.धार्मिक कारणों से जरूरीरामलीला कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि धार्मिक प्रथा जारी रखना बहुत जरूरी है. हर बार दशहरे पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक तीनों पुतलों का दहन होता है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से रामलीला नहीं हुई और पुतला दहन कार्यक्रम भी औपचारिक तौर पर आयोजित नहीं किया गया था. मगर धार्मिक कारणों से रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जला दिए गए.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कविनगर रामलीला ग्राउंड में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया. आपको बता दें, गाजियाबाद में कोरोना की वजह से रामलीला का आयोजन नहीं हुआ था, लेकिन बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार पर, धार्मिक प्रथा जारी रखने के लिए सामान्य पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. हालांकि, इस दौरान आसपास के लोगों की काफी भीड़ मौके पर लग गई थी, जहां कुछ लोग बिना मास्क पहने भी भीड़ में दिखाई दिए.

धार्मिक प्रथा जारी रखने के लिए पुतला दहन कार्यक्रम.
सुंदरकांड का पाठ रखा गयापुतला दहन कार्यक्रम से पहले रामलीला कमेटी द्वारा सुंदरकांड का पाठ रखा गया था, जिसमें सिर्फ कार्यकारिणी के सदस्य और पदाधिकारी ही मौजूद रहे. लेकिन इस बीच तीन छोटे पुतले ग्राउंड में खड़े कर दिए गए. जिसे देखकर आसपास के लोग आकर्षित हुए और मौके पर पहुंच गए. जिसके बाद स्थिति को संभालना रामलीला कमेटी के सदस्यों के लिए काफी मुश्किल साबित हुआ. हालांकि, कमेटी के मेंबर और स्थानीय बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में पुतला दहन कर दिया गया.धार्मिक कारणों से जरूरीरामलीला कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि धार्मिक प्रथा जारी रखना बहुत जरूरी है. हर बार दशहरे पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक तीनों पुतलों का दहन होता है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से रामलीला नहीं हुई और पुतला दहन कार्यक्रम भी औपचारिक तौर पर आयोजित नहीं किया गया था. मगर धार्मिक कारणों से रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जला दिए गए.
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