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जानिए: कोरोना काल में कैसे मनाई जा रही गणेश चतुर्थी और मूर्तिकारों पर पड़ा क्या असर

महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान की अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने घर पर ही मिट्टी से भगवान गणेश की मूर्ति बनाई तो दिल्ली के सरोजनी नगर में प्रजापति समाज के मूर्ति कारोबार पर भी कोरोना का असर देखने को मिला.

Muradnagar Ganesh Chaturthi
गाजियाबाद गणेश चतुर्थी
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Published : Aug 22, 2020, 5:03 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान के अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर घर पर ही मिट्टी और मुल्तानी मिट्टी से गणपति की मूर्ति बनाई है ताकि विसर्जन के दिन वह आसानी से पानी में घुल सके.

मुरादनगर में घर में बनाई मूर्ति

बता दें कि गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों और मोहल्लों में भगवान गणेश की प्रतिमा लेकर आते हैं. निश्चित दिनों के लिए उनकी सेवा कर कुछ दिन बाद उनका विसर्जन करते हैं.

गणेश विसर्जन के दिन गणपति की मूर्ति को नदी, नहर, समंदर आदि में विसर्जित किया जाता है. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में गणेश विसर्जन के दिन अस्थाई तालाब बनाए जाते हैं. इनमें मूर्ति विसर्जन किया जाता है. ऐसे में केमिकल द्वारा बनाई जा रही मूर्तियों से पानी के दूषित होने और मूर्ति पानी में सही तरीके से विसर्जित ना होने के कारण खंडित होने से आस्था को ठेस भी पहुंचती है. इसी को ध्यान में रखते हुए आज गणेश चतुर्थी के दिन महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान की अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने घर पर ही मिट्टी से गणपति की मूर्ति बनाई है, जो विसर्जन के दिन आसानी से पानी में घुल सके.


लोगों से की मिट्टी के गणपति बनाकर स्थापिक करने की अपील
ईटीवी भारत को महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान की अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने बताया कि आज गणेश चतुर्थी के दिन उन्होंने मिट्टी और मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करते हुए गणपति की मूर्ति बनाई है ताकि जब हम इनका विसर्जन करें तो यह है आसानी से पानी में घुल सके. दुर्गेश शर्मा का कहना है कि वह समस्त जनता से अपील करना चाहती हैं कि सभी मिट्टी के गणपति बनाकर अपने घर में स्थापित करें ताकि उनका पानी में आसानी से विसर्जन हो सके.

मूर्तिकारों को नहीं मिले ग्राहक

गणेश चतुर्थी पर कोरोना का असर

इसके अलावा कोरोना की मार अब गणपति पूजा पर भी पड़ी. गणेश चतुर्थी के लिए मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार परेशान हैं, क्योंकि मूर्ति के ग्राहक नहीं आर रहे हैं. दिल्ली में गणेश चतुर्थी को लेकर प्रजापति समाज के लोगों ने भगवान गणेश की प्रतिमाएं तो बनाईं हैं. पहले यह उत्सव सिर्फ महाराष्ट्र में होता था, लेकिन अब पूरे देश भर में गणेश उत्सव की धूम देखने को मिलती है.

इस बार ना के बराबर ग्राहक

हालांकि, इस बार कोरोना महामारी के संकट के दौरान सरकार की तरफ से फैसला लिया गया है ना तो गणेश मूर्ति विसर्जन होगा ना ही कोई बड़े पंडाल लगाए जाएंगे. मंदिरों में और छोटी-छोटी जगहों पर ही गणेश उत्सव की झलक देखने को जरूर मिलेगी. दुकानदार ने बताया कि हर साल गणेश चतुर्थी से चार-पांच दिन पहले से यहां ग्राहकों की काफी भीड़ रहती थी. इस बार ना के बराबर ही ग्राहक मूर्ति खरीदने के लिए आए थे.

प्रजापति समाज को थी त्यौहार से कमाई की आस

सरोजिनी नगर के प्रजापति मोहल्ले में प्रजापति समाज के परिवार अलग-अलग उत्सव के समय मिट्टी की मूर्तियां बनाकर बेचते हैं. वैसे तो ये साल भर मिट्टी के अलग-अलग तरह के बर्तन और मूर्तियां बेचते हैं, लेकिन जब भी कोई त्यौहार होता है तो उसकी तैयारी पहले से ही शुरू कर दी जाती है. लॉकडाउन के बाद हुए अनलॉक से इन परिवारों को गणेश चतुर्थी से आस बंधी, लेकिन कोरोना का असर यहां भी साफ देखने को मिला.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान के अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर घर पर ही मिट्टी और मुल्तानी मिट्टी से गणपति की मूर्ति बनाई है ताकि विसर्जन के दिन वह आसानी से पानी में घुल सके.

मुरादनगर में घर में बनाई मूर्ति

बता दें कि गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों और मोहल्लों में भगवान गणेश की प्रतिमा लेकर आते हैं. निश्चित दिनों के लिए उनकी सेवा कर कुछ दिन बाद उनका विसर्जन करते हैं.

गणेश विसर्जन के दिन गणपति की मूर्ति को नदी, नहर, समंदर आदि में विसर्जित किया जाता है. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में गणेश विसर्जन के दिन अस्थाई तालाब बनाए जाते हैं. इनमें मूर्ति विसर्जन किया जाता है. ऐसे में केमिकल द्वारा बनाई जा रही मूर्तियों से पानी के दूषित होने और मूर्ति पानी में सही तरीके से विसर्जित ना होने के कारण खंडित होने से आस्था को ठेस भी पहुंचती है. इसी को ध्यान में रखते हुए आज गणेश चतुर्थी के दिन महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान की अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने घर पर ही मिट्टी से गणपति की मूर्ति बनाई है, जो विसर्जन के दिन आसानी से पानी में घुल सके.


लोगों से की मिट्टी के गणपति बनाकर स्थापिक करने की अपील
ईटीवी भारत को महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान की अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा ने बताया कि आज गणेश चतुर्थी के दिन उन्होंने मिट्टी और मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करते हुए गणपति की मूर्ति बनाई है ताकि जब हम इनका विसर्जन करें तो यह है आसानी से पानी में घुल सके. दुर्गेश शर्मा का कहना है कि वह समस्त जनता से अपील करना चाहती हैं कि सभी मिट्टी के गणपति बनाकर अपने घर में स्थापित करें ताकि उनका पानी में आसानी से विसर्जन हो सके.

मूर्तिकारों को नहीं मिले ग्राहक

गणेश चतुर्थी पर कोरोना का असर

इसके अलावा कोरोना की मार अब गणपति पूजा पर भी पड़ी. गणेश चतुर्थी के लिए मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार परेशान हैं, क्योंकि मूर्ति के ग्राहक नहीं आर रहे हैं. दिल्ली में गणेश चतुर्थी को लेकर प्रजापति समाज के लोगों ने भगवान गणेश की प्रतिमाएं तो बनाईं हैं. पहले यह उत्सव सिर्फ महाराष्ट्र में होता था, लेकिन अब पूरे देश भर में गणेश उत्सव की धूम देखने को मिलती है.

इस बार ना के बराबर ग्राहक

हालांकि, इस बार कोरोना महामारी के संकट के दौरान सरकार की तरफ से फैसला लिया गया है ना तो गणेश मूर्ति विसर्जन होगा ना ही कोई बड़े पंडाल लगाए जाएंगे. मंदिरों में और छोटी-छोटी जगहों पर ही गणेश उत्सव की झलक देखने को जरूर मिलेगी. दुकानदार ने बताया कि हर साल गणेश चतुर्थी से चार-पांच दिन पहले से यहां ग्राहकों की काफी भीड़ रहती थी. इस बार ना के बराबर ही ग्राहक मूर्ति खरीदने के लिए आए थे.

प्रजापति समाज को थी त्यौहार से कमाई की आस

सरोजिनी नगर के प्रजापति मोहल्ले में प्रजापति समाज के परिवार अलग-अलग उत्सव के समय मिट्टी की मूर्तियां बनाकर बेचते हैं. वैसे तो ये साल भर मिट्टी के अलग-अलग तरह के बर्तन और मूर्तियां बेचते हैं, लेकिन जब भी कोई त्यौहार होता है तो उसकी तैयारी पहले से ही शुरू कर दी जाती है. लॉकडाउन के बाद हुए अनलॉक से इन परिवारों को गणेश चतुर्थी से आस बंधी, लेकिन कोरोना का असर यहां भी साफ देखने को मिला.

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