नई दिल्ली/गाजियाबादः गाजियाबाद में कई इंजीनियरिंग उत्पाद बनाने वाली इकाइयां हैं. रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते Engineering Goods से जुड़े उद्योग प्रभावित हो रहे हैं. Russia-Ukrain के हालात खराब होने के बाद कच्चे माल (Raw Material) के दामों के उछाल आई है, जिसका सीधा असर प्रोडक्शन पर पड़ रहा है. यूक्रेन दुनिया का सातवा सबसे बड़ा लौह अयस्क (Iron Ore) का उत्पादक देश है.
गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा ने बताया कि वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत गाज़ियाबाद में फैब्रिकेशन और इंजीनियरिंग गुड्स से संबंधित उत्पाद तैयार होते हैं. तक़रीबन 15 हजार औद्योगिक इकाइयां फैब्रिकेशन और इंजीनियरिंग गुड्स से संबंधित उत्पाद तैयार करते हैं. रूस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के चलते कच्चे माल के दामों तक़रीबन 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा है. औद्योगिक इकाइयों द्वारा जो सरकारी टेंडर (हाईवे, मेट्रो आदि) लिए गए थे अब उनको पूरा करने में अधिक लागत आ रही है. जिसका बोझ औद्योगिक इकाइयों के ऊपर पड़ रहा है.
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कविनगर इंडस्ट्रियल एरिया के उपाध्यक्ष और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के मालिक नंदलाल शर्मा ने बताया रूस और यूक्रेन के युद्ध के हालात के चलते कच्चे माल की कीमत में इज़ाफ़ा हुआ है. जिससे कि जो टेंडर और आर्डर पुराने रेट पर ले रखे थे अब उनको पूरा करने में कठिनाई हो रही है. मौजूदा हालातों के चलते कच्चे माल की कीमत में तेजी के साथ इजाफा हो रहा है ऐसे में नए आर्डर और टेंडर नही ले रहे हैं. जिसके चलते प्रोडक्शन कम करना पड़ रहा है.
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कवि नगर इंडस्ट्रियल एरिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश अरोड़ा के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते केवल औद्योगिक इकाइयां ही नहीं छोटे वेंडर और सप्लायर भी प्रभावित हो रहे हैं. आने वाले समय में उत्पादन प्रभावित होता है तो उसका सीधा असर रोजगार पर भी पड़ सकता है क्योंकि और इन इकाइयों में बड़ी संख्या में लोग कॉन्ट्रेक्ट पर काम करते हैं.
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उद्योग कुंज इंडस्ट्रियल एरिया के जनरल सेक्रेटरी जितेंद्र त्यागी का तार (Wire Factory) का उद्योग है. तार उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल (वायर रॉड-Wire Rod) के दामों में तकरीबन पांच से से हज़ार रुपये टन का इजाफा हो चुका है. युद्ध से पहले जिस कच्चे माल की कीमत 55 हज़ार रुपये टन थी अब वह 60 हज़ार रुपये टन पार कर चुका है. उत्पाद की लागत बढ़ने से बाजार में मांग प्रभावित होती है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. मौजूदा हालात के चलते फैक्ट्री में तकरीबन 25 से 30% उत्पादन घटा है.
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