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जगतगुरु शंकराचार्य ने गौरक्षकों के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर साधा निशाना

पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज गाजियाबाद में एक धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने गौरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार और यूपी सरकार को आड़े हाथों लिया.

गाजियाबाद जगतगुरु शंकराचार्य
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Published : Oct 3, 2021, 12:48 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज गाजियाबाद में एक धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने गौरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार और यूपी सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री का भी नाम गोरक्षा के मामले पर लिया.

नरेंद्र गिरि की मौत मामले में उन्होंने कहा कि जब सीबीआई जांच चल रही है, तो बोलना उचित नहीं होगा. सीबीआई को काम करने देना चाहिए. इसके बाद सरकार के कामों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र में, जो शासन तंत्र है, उसके नायक अगर मुझसे पूछे तो मैं बता सकता हूं कि क्या कमी है. प्रधानमंत्री कह देते हैं कि गौरक्षक गुंडे हैं, तो अपने गौहत्यारों के हौसले बुलंद हो जाते हैं. उनमें दूरदर्शिता है मगर, उन्हें राजनीति की परिभाषा ठीक से पता नही है.

गाजियाबाद जगतगुरु शंकराचार्य




उन्होंने कहा कि उड़ीसा में गाय के बड़े भक्त महानुभाव चुनाव में जीत गए और केंद्र में राज्य मंत्री भी बन गए. अब गौरक्षा की बात करने वालों को टेढ़ी आंख दिखाने लग गए. कब तक कौन गौरक्षक रह सकता है, यह कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि गाय पहले भी थी, जब वन का विलोप हो गया, तो गाय प्रसन्न नहीं रहती है. गौवंश की रक्षा ज़रूरी है. यूपी में गौरक्षा के लिए तदनकूल माहौल नहीं बन पाया है.


ये भी पढ़ें-भगवान के घर पर भी बदमाशाें की नजरः मंदिर में महंत को घायल करके की लूटपाट


किसानों को लेकर कहा कि विकास की परिभाषा दूषित है. जब एक प्रांत के तीन प्रांत बना दिये जाते हैं, तो खेती सिमट जाती है. भविष्य में अमेरिका से अन्न मंगवाना पड़ेगा. सूझबूझ की कमी है. कृषि प्रधान भारत को लेकर उन्होंने सवाल खड़े किए. हमारी श्रम शक्ति का उपयोग ठीक से नहीं हो पा रहा है. किसानों को बलि का बकरा बनाकर कौन लोग फायदा उठाना चाहते हैं, इसका ज्ञान भी ज़रूरी है.

नई दिल्ली/गाजियाबादः पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज गाजियाबाद में एक धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने गौरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार और यूपी सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री का भी नाम गोरक्षा के मामले पर लिया.

नरेंद्र गिरि की मौत मामले में उन्होंने कहा कि जब सीबीआई जांच चल रही है, तो बोलना उचित नहीं होगा. सीबीआई को काम करने देना चाहिए. इसके बाद सरकार के कामों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र में, जो शासन तंत्र है, उसके नायक अगर मुझसे पूछे तो मैं बता सकता हूं कि क्या कमी है. प्रधानमंत्री कह देते हैं कि गौरक्षक गुंडे हैं, तो अपने गौहत्यारों के हौसले बुलंद हो जाते हैं. उनमें दूरदर्शिता है मगर, उन्हें राजनीति की परिभाषा ठीक से पता नही है.

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उन्होंने कहा कि उड़ीसा में गाय के बड़े भक्त महानुभाव चुनाव में जीत गए और केंद्र में राज्य मंत्री भी बन गए. अब गौरक्षा की बात करने वालों को टेढ़ी आंख दिखाने लग गए. कब तक कौन गौरक्षक रह सकता है, यह कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि गाय पहले भी थी, जब वन का विलोप हो गया, तो गाय प्रसन्न नहीं रहती है. गौवंश की रक्षा ज़रूरी है. यूपी में गौरक्षा के लिए तदनकूल माहौल नहीं बन पाया है.


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किसानों को लेकर कहा कि विकास की परिभाषा दूषित है. जब एक प्रांत के तीन प्रांत बना दिये जाते हैं, तो खेती सिमट जाती है. भविष्य में अमेरिका से अन्न मंगवाना पड़ेगा. सूझबूझ की कमी है. कृषि प्रधान भारत को लेकर उन्होंने सवाल खड़े किए. हमारी श्रम शक्ति का उपयोग ठीक से नहीं हो पा रहा है. किसानों को बलि का बकरा बनाकर कौन लोग फायदा उठाना चाहते हैं, इसका ज्ञान भी ज़रूरी है.

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