नई दिल्ली/गाजियाबाद: मुरादनगर में तीन जनवरी को हुए श्मशान घाट हादसे में 24 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. उनके परिजनों को शासन की ओर से 10 लाख रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी, मुफ्त शिक्षा सहित तमाम योजनाओं की घोषणा की गई थी. वहीं दूसरी ओर इस हादसे के घायलों को मुफ्त इलाज की घोषणा की गई थी. हादसे के दो सप्ताह बीत जाने के बाद घायलों के परिजनों का कहना है कि उनको शासन की ओर से इलाज तो मुफ्त मिल गया. लेकिन घर के इकलौते कमाने वाले व्यक्ति के चारपाई पर लेट जाने से उनके परिवार पर आर्थिक संकट आ गया है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने घायलों के परिजनों से बातचीत की है.
अंडों की रेहड़ी लगाकर करते थे गुजारा
ईटीवी भारत को श्मशान घाट हादसे में घायल हुए राकेश गुप्ता ने बताया कि वह अंडों की रेहड़ी लगाकर अपने घर का गुजारा करते थे. श्मशान घाट हादसे में उनके पैरों में प्लेट डली हैं. इसकी वजह से वह अब सालों तक चल नहीं पाएंगे. इसके बावजूद उनको अभी तक शासन की ओर से कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिली है. ऐसे में वह अपनी पत्नी और दो बच्चों का पेट कैसे भरेंगे.
'अब कैसे होगा घर का गुजारा'
ईटीवी भारत को सीमा गुप्ता ने बताया कि पति के इस हादसे में घायल होने के बाद उनके सामने बहुत सारी परेशानी आ रही हैं. यहां तक कि उनके घर में चाय के लिए दूध आना भी बंद हो गया है. वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों ने दूध से दवाई देने के लिए बोला है. लेकिन जब घर के इकलौते कमाने वाले चारपाई पर लेट गए हैं तो वह कैसे अपने घर का गुजारा करेंगी.
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घायलों की आर्थिक मदद की जाए
इसीलिए उनकी मांग है कि जिस तरीके से सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए घोषणा की है. ऐसे ही घायलों के परिजनों के लिए भी जाएं. इसके साथ ही उनको डर सता रहा है कि अब आगे भी उनके पति का सरकार इलाज होगा या नहीं.