नई दिल्ली/गाजियाबाद: कृषि कानूनों (agricultural laws) की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की गारंटी पर कानून की मांग को लेकर पिछले करीब छह महीने से दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर (Delhi Ghazipur Border) समेत विभिन्न सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. किसान आंदोलन को तेज करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) द्वारा तमाम कवायद की जा रही हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) ने बयान जारी कर कहा था कि सरकार किसानों को थकाना चाहती है. सरकार बिल वापसी व समर्थन मूल्य कानून पर कोई बात नहीं कर रही है.
संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) की ओर से पांच जून को भाजपा (B J P) सांसदों एवं विधायकों के घर पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का आह्वान किया गया था. मोर्चे ने कहा था कि जिन जिलों में भाजपा (B J P) के सांसद और विधायक नही हैं, वहां पर जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी के कार्यालय पर किसान कृषि कानून की प्रतियां जलाएं.
संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) के आह्वान के बाद शनिवार को गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर किसानों (farmers) ने कृषि कानूनों (agricultural laws) की प्रतियां जलाईं. किसानों ने बॉर्डर पर मार्च निकाला और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद किसानों द्वारा मंच के पास कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गईं. इस दौरान भारतीय किसान यूनियन (Indian Farmer's Union) के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत (Gaurav Tikait), प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन (Rajveer Singh Jadoun) समेत सैकड़ों की संख्या में किसान महिलाएं और बच्चे मौजूद रहे.
बढ़ रहा किसानों का गुस्सा
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने बताया कि ठीक एक वर्ष पहले केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून (agricultural laws) लाये गए थे. बीते एक वर्ष से लगातार देशभर का किसान केंद्र सरकार (central government) द्वारा लाए गए कानूनों का विरोध कर रहा है. गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर शनिवार को किसानों ने कृषि कानूनों (agricultural laws) की प्रतियां जलाकर सत्ता में बैठे लोगों को संदेश देने का काम किया है कि किसान किसी भी हालत में कृषि कानूनों (agricultural laws) को स्वीकार नहीं करेगा.
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यही कारण है कि कृषि कानूनों (agricultural laws) के विरोध में तपती गर्मी में किसान बॉर्डर पर डटा हुआ है. सरकार को समझाने का प्रयास किया गया है कि किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि आज देश भर में जिला मुख्यालयों और तहसीलों पर किसान कृषि कानूनों (agricultural laws)की प्रतियां जलाकर विरोध कर रहे हैं.
SKM के आह्वान का नहीं दिखा असर
हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) द्वारा भाजपा (B J P) के सांसदों और विधायकों के घरों और कार्यालयों के बाहर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का आह्वान किया गया था, लेकिन उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन (BKU) संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर खरी उतरती हुई नजर नहीं आई. प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन से, जब यह सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि भाजपा के सांसद और विधायक इस काबिल नहीं हैं कि उनके दरवाजे पर किसान जाए. भाजपा (B J P) के विधायक और सांसद कर्मों से इतने नीचे गिर चुके हैं कि किसान अब उनकी सूरत तक नहीं देखना चाहता है.
ना मास्क, ना दिखी सामाजिक दूरी
एक तरफ तमाम किसान नेता लगातार दावे कर रहे हैं कि बॉर्डर पर किसान कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कर रहे हैं. विरोध-प्रदर्शन के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन होता हुआ नजर नहीं आया. ना तो बॉर्डर किसान मास्क लगाए नजर आए और ना ही समाजिक दूरी का पालन किया गया.