नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना के कहर से कराहते हिन्दुस्तान में एक और बीमारी बढ़ने लगी है. इससे होने वाले खतरे का अंदेशा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई लोग अब तक अपनी आंखें खो चुके हैं. उत्तर प्रदेश में भी कोरोना संक्रमितों पर अब म्यूकरमाइकोसिस यानी कि ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. अकेले गाजियाबाद में ब्लैक फंगस के करीब दो दर्जन से ज्यादा मामले सामने आए हैं.
अब तक जिले में ब्लैक फंगस से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. आम तौर पर कोरोना को मात देने बाद ब्लैक फंगस का खतरा मंडराने लगता है. ब्लैक फंगस उन लोगों को शिकार बना रही है. जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है.
कई गुना महंगा है इलाज
ब्लैक फंगस को न सिर्फ कोरोना से ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है बल्कि ब्लैक फंगस का इलाज भी कोरोना के इलाज से कई गुना महंगा है. ENT स्पेशलिस्ट, प्रोफेसर डॉ. बृजपाल सिंह त्यागी के मुताबिक म्यूकरमाइकोसिस में Amphotericin-B नाम का इंजेक्शन दिया जाता है. Amphotericin-B के 50/एमजी इंजेक्शन की कीमत बाजार में 6 हजार रुपये है. म्यूकरमाइकोसिस के मरीज के वजन के 5/एमजी प्रीति किलो दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर मरीज का वजन अगर 50 किलो है तो 250/एमजी एम्फोटेरिसिन-बी दिया जाता है यानी कि एक दिन में 5 Amphotericin-B के 6 इंजेक्शन लगाए जाते हैं. जिसका खर्च 30 हज़ार रुपये आता है.
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21 दिन का होता है कोर्स
प्रोफेसर डॉ. त्यागी ने बताया म्यूकरमाइकोसिस में 21 दिन का Amphotericin-B का कोर्स होता है. 21 दिन लगातार इंजेक्शन दिए जाते हैं. जिसका कुल खर्च 6 लाख से अधिक है. जिसके बाद मरीज को ओरल ट्रीटमेंट पर रखना पड़ता है.
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नहीं मिल रहे इंजेक्शन
डॉ. त्यागी ने बताया अस्पताल में Amphotericin-B का स्टॉक एक हफ्ते पहले की खत्म हो चुका है. अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों के तीमारदार दिल्ली से Amphotericin-B इंजेक्शन लेकर आते हैं. तीमारदारों को भी पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन भी नहीं मिल रहा है. मतलब रेमेडेसीवर के बाद अब Amphotericin-B इंजेक्शन की किल्लत होने लगी है. जिसे दूर करने की जरूरत है.