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गाजियाबाद: सिर के आर-पार हुआ सरिया, डॉक्टर्स ने मैराथन सर्जरी कर मजदूर को दिया नया जीवन - मजदूर को दिया नया जीवन

राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद में एक मजदूर के सिर में बीचों-बीच सरिया घुस गया. जिसे चार घंटे की सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने निकाला और व्यक्ति को नया जीवन दिया.

20 feet iron rod entered the forehead of the laborers ghaziabad doctors gave new life
मजदूर को दिया नया जीवन
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Published : Aug 7, 2021, 9:20 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में एक ऐसे व्यक्ति का सफल ऑपरेशन किया है. जिसके सिर में बीचों-बीच माथे में सरिया घुस गया था. मगर डॉक्टर ने कड़ी मेहनत करके ना केवल सरिया बाहर निकाला बल्कि व्यक्ति को नया जीवन दिया.

जानकरी के मुताबिक बीते शनिवार को 24 वर्षीय मजदूर रमेश (परिवर्तित नाम) ने प्रताप विहार गाजियाबाद में एक निर्माण स्थल पर रोज की तरह अपना काम शुरू किया. वह नहीं जानता था कि उसके साथ क्या होने वाला है. जब दूसरे मजदूर 20 वी मंजिल के पास से शटरिंग हटा रहे थे, तभी उस इमारत के पास से रमेश गुजर रहा था. उसी दौरान एक 20 फीट लंबा लोहे का सरिया अचानक नीचे गिर गया. लोग रमेश को वहां से हटने और दूसरी जगह जाने के लिए चिल्ला रहे थे.

चार घंटे की सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने सिर के आर-पार हुआ सरिया निकाला

रमेश ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए ऊपर देखा लेकिन उसे बचने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया. 20 फीट का सरिया एक तीर की तरह उसके सिर को चीरता हुआ निकला और सिर में फंस गया. सरिये के दोनों सिरे रमेश के सिर के आगे पिछले निकले दिखाई दे रहे थे. जिसके बाद लोग उसकी मदद के लिए दौड़े और सरिये को आगे पीछे से काटने के बाद तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया.

ये भी पढ़ें-गाजियाबाद: डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके महिला के पेट से निकाली 14 किलो की रसौली


रमेश का इलाज कर रहे निजी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया जब रमेश को अस्पताल लाया गया. तभी उसकी हालत ठीक नहीं लग रही थी. उसके सिर में 12 मिली मीटर का सरिया फंसा हुआ था. जो कि सिर के आगे-पीछे से निकला दिखाई दे रहा था. अस्पताल में तुरंत कुछ जरूरी जांच कराई गई. दो न्यूरो सर्जन ने मिलकर सरिया निकालने के लिए एक मैराथन सर्जरी की और मरीज को एक नया जीवन दिया.


ये भी पढ़ें-आवारा सांड ने मारी टक्कर, अस्पताल में नहीं मिला वेंटिलेटर तो हो गई मौत

रमेश का इलाज कर रहे निजी अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर अभिनव गुप्ता बताते हैं 20 साल के मेरे न्यूरो सर्जरी करियर में इस तरह का पहला मामला था. चार घंटे तक चली सर्जरी बहुत चुनौतीपूर्ण थी. सबसे पहले सरिये को हड्डी से अलग करने के लिए खोपड़ी का आधा भाग खोलना पड़ा. सबसे बड़ी चुनौती मस्तिष्क से लोहे की छड़ को बिना कोई और नुकसान पहुंचाए निकालना था. सरिये को सर से बाहर निकालने में टीम कामयाब हुई.


ये भी पढ़ें-बांस के सहारे गाजियाबाद का एमएमजी जिला अस्पताल !

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में एक ऐसे व्यक्ति का सफल ऑपरेशन किया है. जिसके सिर में बीचों-बीच माथे में सरिया घुस गया था. मगर डॉक्टर ने कड़ी मेहनत करके ना केवल सरिया बाहर निकाला बल्कि व्यक्ति को नया जीवन दिया.

जानकरी के मुताबिक बीते शनिवार को 24 वर्षीय मजदूर रमेश (परिवर्तित नाम) ने प्रताप विहार गाजियाबाद में एक निर्माण स्थल पर रोज की तरह अपना काम शुरू किया. वह नहीं जानता था कि उसके साथ क्या होने वाला है. जब दूसरे मजदूर 20 वी मंजिल के पास से शटरिंग हटा रहे थे, तभी उस इमारत के पास से रमेश गुजर रहा था. उसी दौरान एक 20 फीट लंबा लोहे का सरिया अचानक नीचे गिर गया. लोग रमेश को वहां से हटने और दूसरी जगह जाने के लिए चिल्ला रहे थे.

चार घंटे की सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने सिर के आर-पार हुआ सरिया निकाला

रमेश ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए ऊपर देखा लेकिन उसे बचने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया. 20 फीट का सरिया एक तीर की तरह उसके सिर को चीरता हुआ निकला और सिर में फंस गया. सरिये के दोनों सिरे रमेश के सिर के आगे पिछले निकले दिखाई दे रहे थे. जिसके बाद लोग उसकी मदद के लिए दौड़े और सरिये को आगे पीछे से काटने के बाद तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया.

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रमेश का इलाज कर रहे निजी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया जब रमेश को अस्पताल लाया गया. तभी उसकी हालत ठीक नहीं लग रही थी. उसके सिर में 12 मिली मीटर का सरिया फंसा हुआ था. जो कि सिर के आगे-पीछे से निकला दिखाई दे रहा था. अस्पताल में तुरंत कुछ जरूरी जांच कराई गई. दो न्यूरो सर्जन ने मिलकर सरिया निकालने के लिए एक मैराथन सर्जरी की और मरीज को एक नया जीवन दिया.


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रमेश का इलाज कर रहे निजी अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर अभिनव गुप्ता बताते हैं 20 साल के मेरे न्यूरो सर्जरी करियर में इस तरह का पहला मामला था. चार घंटे तक चली सर्जरी बहुत चुनौतीपूर्ण थी. सबसे पहले सरिये को हड्डी से अलग करने के लिए खोपड़ी का आधा भाग खोलना पड़ा. सबसे बड़ी चुनौती मस्तिष्क से लोहे की छड़ को बिना कोई और नुकसान पहुंचाए निकालना था. सरिये को सर से बाहर निकालने में टीम कामयाब हुई.


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