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आखिर क्यों ये लोग तीन तलाक बिल का कर रहे हैं विरोध? - इस्लाम धर्म

राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने से लोगों की प्रतिक्रिया आने लगी है. फरीदाबाद में ईटीवी भारत ने मुस्लिम समाज के लोगों से बात की. लोगों ने बताया कि शरीयत में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है.

मुस्लिम समाज के लोगों से बातचीत, etv bharat
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Published : Jul 31, 2019, 11:28 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो चुका है. राष्ट्रपति के स्वीकृति के बाद तीन तलाक कानून 2019 पारित हुआ, जिसके बाद मुस्लिम समाज का कोई भी व्यक्ति अपनी बीवी को तीन बार तलाक बोलकर छोड़ता है तो उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी.

ईटीवी भारत की मुस्लिम समाज के लोगों से बातचीत

तीन तलाक बिल का विरोध

इसको लेकर ईटीवी भारत ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से तीन तलाक पर उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि तीन तलाक को सरकार ने जबरदस्ती उनके ऊपर थोपने का काम किया है.

'शरीयत के हिसाब से मानेंगे कानून'

मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि तीन तलाक का बिल राज्यसभा में पास हुआ है यह बिल्कुल गलत है. उनके इस्लाम में इसके लिए कहीं जगह नहीं है. भले ही कानून बन जाए लेकिन फिर भी वे इस कानून को नहीं मानेंगे और इस कानून के खिलाफ खड़े रहेंगे.

'शरीयत में नहीं हो सकता कोई बदलाव'

इस्लाम धर्म में पहले ही महिलाओं को ऊंचा दर्जा दिया गया है और मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक बिना वजह के नहीं दिया जाता. जो इस तरह से तीन तलाक का फायदा उठाकर अपनी वासनाओं को पूरा करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

मुस्लिम समाज में तलाक शौहर अपनी बीवी को तब देता है जब वह अपनी बीवी की करतूतों से तंग आ चुका होता है या फिर महिला का चरित्र गंदा होता हैं. इस कानून के लिए उनके समाज में या इस्लाम में कहीं मान्यता नहीं है.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो चुका है. राष्ट्रपति के स्वीकृति के बाद तीन तलाक कानून 2019 पारित हुआ, जिसके बाद मुस्लिम समाज का कोई भी व्यक्ति अपनी बीवी को तीन बार तलाक बोलकर छोड़ता है तो उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी.

ईटीवी भारत की मुस्लिम समाज के लोगों से बातचीत

तीन तलाक बिल का विरोध

इसको लेकर ईटीवी भारत ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से तीन तलाक पर उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि तीन तलाक को सरकार ने जबरदस्ती उनके ऊपर थोपने का काम किया है.

'शरीयत के हिसाब से मानेंगे कानून'

मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि तीन तलाक का बिल राज्यसभा में पास हुआ है यह बिल्कुल गलत है. उनके इस्लाम में इसके लिए कहीं जगह नहीं है. भले ही कानून बन जाए लेकिन फिर भी वे इस कानून को नहीं मानेंगे और इस कानून के खिलाफ खड़े रहेंगे.

'शरीयत में नहीं हो सकता कोई बदलाव'

इस्लाम धर्म में पहले ही महिलाओं को ऊंचा दर्जा दिया गया है और मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक बिना वजह के नहीं दिया जाता. जो इस तरह से तीन तलाक का फायदा उठाकर अपनी वासनाओं को पूरा करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

मुस्लिम समाज में तलाक शौहर अपनी बीवी को तब देता है जब वह अपनी बीवी की करतूतों से तंग आ चुका होता है या फिर महिला का चरित्र गंदा होता हैं. इस कानून के लिए उनके समाज में या इस्लाम में कहीं मान्यता नहीं है.

Intro:लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो चुका है राष्ट्रपति के स्वीकृति के बाद तीन तलाक कानून 2019 पारित हो जाएगा जिसके बाद अगर कोई मुस्लिम अपनी बीवी को तीन बार तलाक बोलकर छोड़ता है तो उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्यवाही की जाएगी इसको लेकर ईटीवी भारत ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से तीन तलाक पर उनकी प्रतिक्रिया जानी मुस्लिम समाज के लोगों ने तीन तलाक को बीजेपी सरकार द्वारा जबरदस्ती उनके ऊपर थोपने का आरोप लगाया है मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि तीन तलाक का बिल राज्यसभा में पास हुआ है यह बिल्कुल गलत है उनके इस्लाम में इसके लिए कहीं जगह नहीं है उन्होंने कहा कि भले ही यह कानून बन जाए लेकिन फिर भी वह इस कानून को नहीं मानेंगे और इस कानून के खिलाफ खड़े हैं और इसको लेकर वह आगे भी अपील करेंगे। लोगों ने कहा कि इस्लाम धर्म में पहले ही महिलाओं को ऊंचा दर्जा दिया गया है और मुस्लिम समुदाय में में तीन तलाक बिना वजह के नहीं दिया जाता उन्होंने कहा कि जो इस तरह से तीन तलाक का फायदा उठाकर अपनी वासनाओं का पूरा करते हैं उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए उन्होंने कहा की मुस्लिम समाज में तलाक को शौहर अपनी बीवी को तब देता है जब वह अपनी बीवी की करतूतों से तंग आ चुका होता है या फिर जिस महिला का चरित्र गंदा होता है उन्होंने कहा कि इस कानून के लिए उनके समाज में या इस्लाम में कहीं मान्यता नहीं है और वह इस फैसले को मानने वाले नहीं है जिसके लिए वह ऊपर तक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं


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