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'गेट-वे ऑफ हरियाणा' बना कबाड़घर, दिल्ली से कचरे को किया जा रहा शिफ्ट - दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार और एनजीटी के दबाव में प्लास्टिक कबाड़ की मार्केट को दिल्ली से बाहर कर दिया गया है. दिल्ली के निजामपुर, टिकरी और झाड़ोदा से सटे परनाला और जटवाड़ा के खेतों में अब ये प्लास्टिक कबाड़ की मंडी सज गई है.

pvc market in bahadurgarh
प्लास्टिक कबाड़ की मार्केट
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Published : Jan 10, 2020, 2:39 PM IST

नई दिल्ली/झज्जर: 'गेट वे ऑफ हरियाणा' यानि बहादुरगढ़ धीरे-धीरे कबाड़गढ़ बनता जा रहा है. दरअसल, दिल्ली से निकाली गई प्लास्टिक कबाड़ की मंडी ने बहादुरगढ़ में डेरा जमा लिया है. ये अब दिल्ली के बाद बहादुरगढ़ को गंदा कर रहा है. पहले जटवाड़ा की करीब 80 एकड़ खेती की जमीन में ये प्लास्टिक का बाजार बसाया गया और अब परनाला के खेतों में भी ये कबाड़ का बाजार बस गया है. आप जहां तक नजर घुमाएंगे, आपको सिर्फ कबाड़ ही कबाड़ नजर आएगा.

कबाड़घर बना 'गेट वे ऑफ हरियाणा'

दिल्ली सीमा से सटे बहादुरगढ़ में घुसते ही हरियाणा की पहचान का एहसास होना चाहिये था, लेकिन यहां हर तरफ कबाड़ ही नजर आएगा. प्लास्टिक कबाड़, प्लास्टिक की थैलियां, रैक्सिन की कटिंग, प्लास्टिक मेडिकल वेस्ट भी. ये प्लास्टिक कबाड़ का बाजार पूरी तरह से अवैध है.

कबाड़गढ़ बना बहादुरगढ़!

पूर्व पार्षद वजीर राठी की माने तो प्रशासन और स्थानीय नेताओं की मदद से ये अवैध मार्केट बसाई गई है. जिसे जल्द नहीं हटाया गया तो हल्की सी चिंगारी से बहादुरगढ़ जल सकता है.

पूरी तरह से अवैध है ये मार्केट

अवैध पीवीसी मार्केट कहें या प्लास्टिक कबाड़ का बाजार. पहले टिकरी और झाड़ौदा बार्डर से सटे जटवाड़ा के खेतों से इसकी शुरुआत हुई. ईपीसीए के चेयरमैन ने भी दौरा किया और अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए, लेकिन ढीली कार्रवाई का असर ये हुआ कि छोटूराम नगर के साथ लगते परनाला के खेतों में भी अब प्लास्टिक का कबाड़ पहले से भी ज्यादा बस गया है.

जल्द की जाएगी कार्रवाई

प्रदूषण नियंत्रण विभाग को भी कबाड़ मार्केट की खबर मीडिया से ही लगी है. विभाग के आरओ केके यादव की मानें तो सर्वे करवाकर किसानों को नोटिस दिया जायेगा और जल्द ही इस कबाड़ मार्केट को हटाया जाएगा. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से जटवाड़ा के 58 किसानों को पहले ही प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत नोटिस दे रखे हैं. अब उनके खिलाफ फरीदाबाद की पर्यावरण अदालत में केस दायर करने की तरफ भी विभाग बढ़ रहा है.

नई दिल्ली/झज्जर: 'गेट वे ऑफ हरियाणा' यानि बहादुरगढ़ धीरे-धीरे कबाड़गढ़ बनता जा रहा है. दरअसल, दिल्ली से निकाली गई प्लास्टिक कबाड़ की मंडी ने बहादुरगढ़ में डेरा जमा लिया है. ये अब दिल्ली के बाद बहादुरगढ़ को गंदा कर रहा है. पहले जटवाड़ा की करीब 80 एकड़ खेती की जमीन में ये प्लास्टिक का बाजार बसाया गया और अब परनाला के खेतों में भी ये कबाड़ का बाजार बस गया है. आप जहां तक नजर घुमाएंगे, आपको सिर्फ कबाड़ ही कबाड़ नजर आएगा.

कबाड़घर बना 'गेट वे ऑफ हरियाणा'

दिल्ली सीमा से सटे बहादुरगढ़ में घुसते ही हरियाणा की पहचान का एहसास होना चाहिये था, लेकिन यहां हर तरफ कबाड़ ही नजर आएगा. प्लास्टिक कबाड़, प्लास्टिक की थैलियां, रैक्सिन की कटिंग, प्लास्टिक मेडिकल वेस्ट भी. ये प्लास्टिक कबाड़ का बाजार पूरी तरह से अवैध है.

कबाड़गढ़ बना बहादुरगढ़!

पूर्व पार्षद वजीर राठी की माने तो प्रशासन और स्थानीय नेताओं की मदद से ये अवैध मार्केट बसाई गई है. जिसे जल्द नहीं हटाया गया तो हल्की सी चिंगारी से बहादुरगढ़ जल सकता है.

पूरी तरह से अवैध है ये मार्केट

अवैध पीवीसी मार्केट कहें या प्लास्टिक कबाड़ का बाजार. पहले टिकरी और झाड़ौदा बार्डर से सटे जटवाड़ा के खेतों से इसकी शुरुआत हुई. ईपीसीए के चेयरमैन ने भी दौरा किया और अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए, लेकिन ढीली कार्रवाई का असर ये हुआ कि छोटूराम नगर के साथ लगते परनाला के खेतों में भी अब प्लास्टिक का कबाड़ पहले से भी ज्यादा बस गया है.

जल्द की जाएगी कार्रवाई

प्रदूषण नियंत्रण विभाग को भी कबाड़ मार्केट की खबर मीडिया से ही लगी है. विभाग के आरओ केके यादव की मानें तो सर्वे करवाकर किसानों को नोटिस दिया जायेगा और जल्द ही इस कबाड़ मार्केट को हटाया जाएगा. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से जटवाड़ा के 58 किसानों को पहले ही प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत नोटिस दे रखे हैं. अब उनके खिलाफ फरीदाबाद की पर्यावरण अदालत में केस दायर करने की तरफ भी विभाग बढ़ रहा है.

Intro: गेट वे ऑफ हरियाणा, यानि कि बहादुरगढ़ धीरे धीरे कबाडगढ़ बनता जा रहा है। दरअसल दिल्ली से निकाली गई प्लास्टिक कबाड़ की मंडी ने बहादुरगढ़ में ढेरा जमा लिया है। पहले जटवाड़ा की करीब 80 एकड़ खेती की जमीन में प्लास्टिक कबाड़ का बाजार बसाया गया। और अब परनाला के खेतों में भी प्लास्टिक कबाड़ का बाजार बस गया है। हर तरफ कबाड़ ही कबाड़। प्रदूशण नियंत्रण विभाग ने अब किसानों को नोटिस देना षुरू कर दिया है।Body:हर तरफ प्लास्टिक कबाड़ का ये दृष्य है गेट वे ऑफ हरियाणा , बहादुरगढ़ का । दिल्ली सीमा से सटे बहादुरगढ़ में घुसते ही हरियाणा की पहचान का अहसास होना चाहिये था। लेकिन यहां हर तरफ कबाड़ है। प्लास्टिक कबाड़, प्लास्टिक की थैलियां, रैक्सिन की कटिंग, प्लास्टिक मैडिकल वेस्ट भी । प्लास्टिक कबाड़ का ये बाजार पूरी तरह से अवैध है। दरअसल दिल्ली सरकार और एनजीटी के दबाव में प्लास्टिक कबाड़ की मार्किट को दिल्ली से बाहर कर दिया है। दिल्ली के निजामपुर, टिकरी और झाड़ोदा से सटे परनाला और जटवाड़ा के खेतों में अब ये प्लास्टिक कबाड़ की मंडी सज गई है। हल्की सी चिंगारी से बहादुरगढ़ जल उठेगा ये भी हकीकत बन गई है। पूर्व पार्शदों का कहना है कि प्रषासन और स्थानीय नेताओं की मदद से ये अवैध मार्किट बसी है इसे यहां से हटवाना चाहिये।
फाईल बाईट वजीर राठी पूर्व पार्शद

अवैध पीवीसी मार्किट कहें या प्लास्टिक कबाड़ का बाजार। टिकरी और झाड़ौदा बार्डर से सटे जटवाड़ा के खेतों से इसकी षुरूवात हुई । ईपीसीए के चेयरमैन ने भी दौरा किया और अधिकारियों को सख्त कार्यवाही करने को कहा । लेकिन ढीली कार्यवाही का असर ये हुआ कि छोटूराम नगर के साथ लगते परनाला के खेतों में भी अब प्लास्टिक का कबाड़ पहले से भी ज्यादा बस गया है। प्रदूशण नियंत्रण विभाग को भी इसकी खबर मीडिया से ही लगी है। विभाग के आरओ कृश्ण कुमार यादव का कहना है कि सर्वे करवा कर किसानों को नोटिस दिया जायेगा और परिशद के मार्फत अवैध र्मािर्क को हटवाया जायेगा।
बाईट केके यादव आर ओ प्रदूशण नियंत्रण विभाग।

प्रदूशण नियंत्रण विभाग ने जटवाड़ा के 58 किसानों को पहले ही प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत नोटिस दे रखे हैं। अब उनके खिलाफ फरीदाबाद की पर्यावरण अदालत में केस दायर करने की तरफ भी विभाग बढ़ रहा है। वहीं नगर परिशद ने अवैध पीवीसी मार्किट हटाने के लिये एसडीएम की कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है । 12 केस इसके लिये एसडीएम कोर्ट में लगाये गये हैं।
बाईट के के यादव।Conclusion:प्लास्टिक कबाड़ का ये बाजार षहर के विकास के लिहाज से सही नही है। राजनेता , सरकार और प्रषासन के लिये ये अवैध प्लास्टिक कबाड़ का बाजार चुनौती है । क्योंकि ये सारे अक्सर षहर के योजनागत विकास का दावा जो करते रहे हैं।
प्रदीप धनखड़
बहादुरगढ़।
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