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150 से ज्यादा लापता बच्चे ढूंढ़ चुके हैं ASI अमर सिंह, दूसरे राज्यों की पुलिस भी लेती है मदद

अमर सिंह साल 2017 में फरीदाबाद में तैनात हुए थे. जिसके बाद उन्होंने स्टेट क्राइम ब्रांच काम करना शुरू किया. वो यहां पर मिसिंग सेल के इंचार्ज हैं. जो बच्चों को ढूंढने का काम करते हैं.

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150 से ज्यादा लापता बच्चे ढूंढ़ चुके हैं ASI अमर सिंह, दूसरे राज्यों की पुलिस भी लेती है मदद
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Published : Dec 4, 2020, 2:16 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद : स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात एएसआई अमर सिंह डेढ़ साल में 150 से भी ज्यादा गुमशुदा बच्चों को ढूंढ कर उनके परिवार को सौंप चुके हैं. अमर सिंह फरीदाबाद स्टेट क्राइम की मिसिंग ब्रांच में तैनात हैं. वो ऐसे बच्चों की तलाश करते हैं जो या तो मां-बाप से बिछड़ जाते हैं या नाराज होकर घर से निकल जाते हैं, या फिर जिनका अपहरण हो जाता है.

वीडियो पर क्लिक कर जानें कौन हैं एएसआई अमर सिंह

साल 2019 के जनवरी में कैलाश नगर में रहने वाले लाल सिंह की 10 साल की बेटी घर से निकल गई थी. जिसके बाद वो लापता हो गई. लाल सिंह की बेटी ना तो बोल सकती है और ना ही सुन सकती है. ढूंढने के बाद भी जब उन्हें बेटी नहीं मिली तो लाल सिंह ने एएसआई अमर सिंह से संपर्क किया. उन्होंने अमर सिंह को अपनी बेटी का फोटो दिया. अगले ही दिन अमर सिंह ने उनकी बेटी को ढूंढ निकाला. अब लाल सिंह एएसआई की तारीफ करते नहीं थक रहे.

कैसे काम करती है मिसिंग सेल?

चलिए आपको बताते हैं कि मिसिंग सेल कैसे बच्चों को ढूंढने का काम करती है. थाने में बच्चों की गुमशुगदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सूचना मिसिंग सेल को दी जाती है. बच्चों को ढूंढने का सबसे बड़ा जरिया सोशल मीडिया होता है. सबसे पहले मिसिंग टीम ये पता लगाने की कोशिश करती है कि बच्चे का किडनैप हुआ है या किन परिस्थितियों में गायब हुआ है. इसके बाद बच्चों को ढूंढ़ने का काम शुरू किया जाता है. पुलिस उपायुक्त आईपीएस डॉक्टर अर्पित जैन ने भी मिसिंग सेल की जमकर तारीफ की.

एएसआई अमर सिंह ने बताया कि करीब ढाई साल पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर चलाने वालों से संपर्क साधना शुरू किया और अब वो हजारों पेज बनाने वालों से संपर्क में है. कुछ भेज चलाने वाले भी उनके इस काम में सहयोग के लिए आगे आए. आज नतीजा ये है कि सोशल मीडिया पर 200 के करीब ऐसे फेसबुक पेज हैं. जिनको रोजाना लाखों की संख्या में लोग फॉलो करते हैं. जिसकी मदद से गुमशुदा बच्चों को ढुंढ़ना आसान होता है.

दूसरे राज्यों की पुलिस लेती है मदद

हरियाणा पुलिस के एएसआई अमर सिंह से गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए दूसरे राज्यों की पुलिस भी मदद लेती है. हरियाणा के साथ लगते उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों की पुलिस भी उनसे दर्जनों मामलों में मदद ले चुकी है. जब भी हरियाणा के आसपास के लगते राज्यों से कोई बच्चा गायब होता है तो ज्यादातर मामलों में अमर सिंह से संपर्क दूसरे राज्यों की पुलिस कर्मचारी करते हैं. अमर सिंह भी खुले दिल के साथ दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद करते हैं.

अमर सिंह बताते हैं कि सबसे ज्यादा मुश्किल हालात वहां पर होते हैं जहां पर बच्चे की उम्र कम होती हैं. वह अपने गांव या शहर का पता नहीं बता पाता. ऐसे में उसके परिवार तक बच्चे को पहुंचाना काफी मुश्किल होता है और इस तरह की केसों में वह सोशल मीडिया का साथ लेते हैं. उन्होंने कहा कि कई बड़े बच्चे मां बाप से नाराज होकर घर छोड़ कर चले जाते हैं. ऐसे में उन बच्चों को भी ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है.

अपने परिवार से रहते हैं दूर

गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में कई बार अमर सिंह अपनी टीम के साथ दूसरे राज्यों में निकल जाते हैं. ऐसे में वह कई सप्ताह तक परिवार से मिल नहीं पाते. केवल फोन के माध्यम से ही परिवार से संपर्क हो पाता है. अमर सिंह बताते हैं कि उनके बच्चों से उनको मोटिवेशन मिलता है. उन्होंने कहा कि उनके बच्चे उनको खुद बोलते हैं कि पापा दूसरे परिवारों के खुशी लेकर आते हैं और इसी से उनको भी खुशी मिलती है.

नई दिल्ली/फरीदाबाद : स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात एएसआई अमर सिंह डेढ़ साल में 150 से भी ज्यादा गुमशुदा बच्चों को ढूंढ कर उनके परिवार को सौंप चुके हैं. अमर सिंह फरीदाबाद स्टेट क्राइम की मिसिंग ब्रांच में तैनात हैं. वो ऐसे बच्चों की तलाश करते हैं जो या तो मां-बाप से बिछड़ जाते हैं या नाराज होकर घर से निकल जाते हैं, या फिर जिनका अपहरण हो जाता है.

वीडियो पर क्लिक कर जानें कौन हैं एएसआई अमर सिंह

साल 2019 के जनवरी में कैलाश नगर में रहने वाले लाल सिंह की 10 साल की बेटी घर से निकल गई थी. जिसके बाद वो लापता हो गई. लाल सिंह की बेटी ना तो बोल सकती है और ना ही सुन सकती है. ढूंढने के बाद भी जब उन्हें बेटी नहीं मिली तो लाल सिंह ने एएसआई अमर सिंह से संपर्क किया. उन्होंने अमर सिंह को अपनी बेटी का फोटो दिया. अगले ही दिन अमर सिंह ने उनकी बेटी को ढूंढ निकाला. अब लाल सिंह एएसआई की तारीफ करते नहीं थक रहे.

कैसे काम करती है मिसिंग सेल?

चलिए आपको बताते हैं कि मिसिंग सेल कैसे बच्चों को ढूंढने का काम करती है. थाने में बच्चों की गुमशुगदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सूचना मिसिंग सेल को दी जाती है. बच्चों को ढूंढने का सबसे बड़ा जरिया सोशल मीडिया होता है. सबसे पहले मिसिंग टीम ये पता लगाने की कोशिश करती है कि बच्चे का किडनैप हुआ है या किन परिस्थितियों में गायब हुआ है. इसके बाद बच्चों को ढूंढ़ने का काम शुरू किया जाता है. पुलिस उपायुक्त आईपीएस डॉक्टर अर्पित जैन ने भी मिसिंग सेल की जमकर तारीफ की.

एएसआई अमर सिंह ने बताया कि करीब ढाई साल पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर चलाने वालों से संपर्क साधना शुरू किया और अब वो हजारों पेज बनाने वालों से संपर्क में है. कुछ भेज चलाने वाले भी उनके इस काम में सहयोग के लिए आगे आए. आज नतीजा ये है कि सोशल मीडिया पर 200 के करीब ऐसे फेसबुक पेज हैं. जिनको रोजाना लाखों की संख्या में लोग फॉलो करते हैं. जिसकी मदद से गुमशुदा बच्चों को ढुंढ़ना आसान होता है.

दूसरे राज्यों की पुलिस लेती है मदद

हरियाणा पुलिस के एएसआई अमर सिंह से गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए दूसरे राज्यों की पुलिस भी मदद लेती है. हरियाणा के साथ लगते उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों की पुलिस भी उनसे दर्जनों मामलों में मदद ले चुकी है. जब भी हरियाणा के आसपास के लगते राज्यों से कोई बच्चा गायब होता है तो ज्यादातर मामलों में अमर सिंह से संपर्क दूसरे राज्यों की पुलिस कर्मचारी करते हैं. अमर सिंह भी खुले दिल के साथ दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद करते हैं.

अमर सिंह बताते हैं कि सबसे ज्यादा मुश्किल हालात वहां पर होते हैं जहां पर बच्चे की उम्र कम होती हैं. वह अपने गांव या शहर का पता नहीं बता पाता. ऐसे में उसके परिवार तक बच्चे को पहुंचाना काफी मुश्किल होता है और इस तरह की केसों में वह सोशल मीडिया का साथ लेते हैं. उन्होंने कहा कि कई बड़े बच्चे मां बाप से नाराज होकर घर छोड़ कर चले जाते हैं. ऐसे में उन बच्चों को भी ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है.

अपने परिवार से रहते हैं दूर

गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में कई बार अमर सिंह अपनी टीम के साथ दूसरे राज्यों में निकल जाते हैं. ऐसे में वह कई सप्ताह तक परिवार से मिल नहीं पाते. केवल फोन के माध्यम से ही परिवार से संपर्क हो पाता है. अमर सिंह बताते हैं कि उनके बच्चों से उनको मोटिवेशन मिलता है. उन्होंने कहा कि उनके बच्चे उनको खुद बोलते हैं कि पापा दूसरे परिवारों के खुशी लेकर आते हैं और इसी से उनको भी खुशी मिलती है.

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