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श्रद्धांजलि व पुष्पांजलि तक सीमित न रहें, गांधी जी के आदर्शों को जीवन में अपनाएं: गोयल

विश्व प्रसिद्ध संस्था ‘गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उपाध्यक्ष मनोनीत किए जाने पर विजय गोयल ने तीस जनवरी मार्ग पर स्थित कार्यालय में पदभार ग्रहण किया. उन्होंने कहा कि सिर्फ श्रद्धांजलि व पुष्पांजलि तक सीमित न रहें, गांधी जी के सिद्धांतों, आदर्शों को जीवन में अपनाएं.

Vijay Goyal took charge as the Vice President of Gandhi Smriti and Darshan Samiti
तीस जनवरी मार्ग पर स्थित कार्यालय में पदभार ग्रहण करते विजय गोयल
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Published : Sep 11, 2021, 12:53 PM IST

नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध संस्था ‘गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उपाध्यक्ष मनोनीत किए जाने पर विजय गोयल ने तीस जनवरी मार्ग पर स्थित कार्यालय में पदभार ग्रहण किया. उसके बाद महात्मा गांधी के बलिदान स्थल पर पुष्पांजलि की. इस अवसर पर विजय गोयल ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है.

वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दिखाए मार्ग व आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने का पूरा प्रयत्न करेंगे. केवल संगोष्ठियों और सेमिनार तक हमें सीमित नहीं रहना है, बल्कि त्याग भी करना है. गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भी गांधी जी के मार्ग पर चल भागीदारी से योजनाएं चला रहे हैं. स्वच्छता अभियान, शौचालय निर्माण, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी, भारतीय चिकित्सा आदि इसके उदाहरण हैं.

इस मौके पर पार्टी के महासचिव बी.एल. संतोष ने कहा कि जिस संस्था के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री मोदी हों, उसका उपाध्यक्ष बनना सौभाग्य की बात है. तो वहीं बड़ी चुनौती भी है, क्योंकि प्रधानमंत्री स्वयं बहुत परिश्रम करते हैं और अन्य लोगों से भी ऐसी अपेक्षा रखते हैं. विजय गोयल की क्षमताओं में विश्वास जताते हुए संतोष ने कहा कि ये बहुत सक्रिय राजनेता हैं, चुनौतियों पर खरा उतरेंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि हमें महापुरुषों की स्मृति में केवल मूर्ति लगाकर और प्रदर्शनी आयोजित कर उनको श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि के कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रखना है, अपितु उनके आदर्शों को अपने जीवन में चरितार्थ करना है और घर-घर तक पहुंचाना है. बी.एल. संतोष ने कहा कि बीसवीं सदी में तीन शब्द बहुत प्रचलित हुए महात्मा गांधी का रामराज्य, विनोबा भावे का सर्वोदय और पं दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय. प्रधानमंत्री मोदी इन्हीं तीन सिद्धांतों पर चल रहे हैं. प्रशासन भी आगे बढ़ रहा है और देश भी आगे बढ़ रहा है.

‘गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति’ संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वतंत्र निकाय है. नौ सदस्यों के साथ उपाध्यक्ष का मनोनयन तीन वर्ष के लिए होता है. अन्य सदस्यों में विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवी, अनुभवी लोग सदस्य बनाए गए हैं. 2 अक्तूबर को गांधी जयंती और 30 जनवरी को बलिदान दिवस दो ऐसे बड़े कार्यक्रम हैं, जो गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति हर वर्ष आयोजित करती है.

नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध संस्था ‘गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उपाध्यक्ष मनोनीत किए जाने पर विजय गोयल ने तीस जनवरी मार्ग पर स्थित कार्यालय में पदभार ग्रहण किया. उसके बाद महात्मा गांधी के बलिदान स्थल पर पुष्पांजलि की. इस अवसर पर विजय गोयल ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है.

वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दिखाए मार्ग व आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने का पूरा प्रयत्न करेंगे. केवल संगोष्ठियों और सेमिनार तक हमें सीमित नहीं रहना है, बल्कि त्याग भी करना है. गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भी गांधी जी के मार्ग पर चल भागीदारी से योजनाएं चला रहे हैं. स्वच्छता अभियान, शौचालय निर्माण, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी, भारतीय चिकित्सा आदि इसके उदाहरण हैं.

इस मौके पर पार्टी के महासचिव बी.एल. संतोष ने कहा कि जिस संस्था के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री मोदी हों, उसका उपाध्यक्ष बनना सौभाग्य की बात है. तो वहीं बड़ी चुनौती भी है, क्योंकि प्रधानमंत्री स्वयं बहुत परिश्रम करते हैं और अन्य लोगों से भी ऐसी अपेक्षा रखते हैं. विजय गोयल की क्षमताओं में विश्वास जताते हुए संतोष ने कहा कि ये बहुत सक्रिय राजनेता हैं, चुनौतियों पर खरा उतरेंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि हमें महापुरुषों की स्मृति में केवल मूर्ति लगाकर और प्रदर्शनी आयोजित कर उनको श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि के कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रखना है, अपितु उनके आदर्शों को अपने जीवन में चरितार्थ करना है और घर-घर तक पहुंचाना है. बी.एल. संतोष ने कहा कि बीसवीं सदी में तीन शब्द बहुत प्रचलित हुए महात्मा गांधी का रामराज्य, विनोबा भावे का सर्वोदय और पं दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय. प्रधानमंत्री मोदी इन्हीं तीन सिद्धांतों पर चल रहे हैं. प्रशासन भी आगे बढ़ रहा है और देश भी आगे बढ़ रहा है.

‘गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति’ संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वतंत्र निकाय है. नौ सदस्यों के साथ उपाध्यक्ष का मनोनयन तीन वर्ष के लिए होता है. अन्य सदस्यों में विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवी, अनुभवी लोग सदस्य बनाए गए हैं. 2 अक्तूबर को गांधी जयंती और 30 जनवरी को बलिदान दिवस दो ऐसे बड़े कार्यक्रम हैं, जो गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति हर वर्ष आयोजित करती है.

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