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दिल्ली हिंसा : आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर आंशिक दलीलें पेश

दिल्ली हिंसा मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई 3 और 6 सितंबर को करने का आदेश दिया. उमर खालिद को दिल्ली हिंसा मामले में सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है.

umar khalid bail plea adjourned-till 3 september in karkardooma court
मर खालिद की जमानत याचिका
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Published : Aug 23, 2021, 5:09 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर उमर खालिद के वकील की आंशिक दलीलें सुनीं. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 3 और 6 सितंबर को करने के आदेश दिये.


सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पायस ने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ 6 मार्च 2020 को FIR दर्ज की गई और गिरफ्तारी 13 सितंबर 2020 को हुई. दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद की ये पहली गिरफ्तारी थी. इस मामले में उमर खालिद से पहली पूछताछ 30 जुलाई 2020 को हुई. जब भी उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया वो बिना देरी किए पहुंचा. खालिद पूछताछ के लिए गुवाहाटी से दिल्ली आया. उमर खालिद नोटिस पर आया था, जब उसे गिरफ्तार किया गया. उसे कहीं से गिरफ्तार नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि उमर खालिद को दूसरे FIR नंबर 101 में 1 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया. उस मामले में उसे जमानत मिल चुकी है.


पायस ने कहा कि जिस मामले में जमानत मिली है उस FIR में उमर खालिद का नाम भी नहीं है. FIR नंबर 59 में उमर खालिद का नाम अनावश्यक रूप से घसीटा गया है. इस FIR में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को टारगेट किया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों के सभी FIR में अलग-अलग आरोप हैं. सभी FIR को अलग-अलग अपराधों के लिए दर्ज किया गया है, लेकिन इस FIR में ऐसी कोई बात नहीं है. इस तरह के आरोप लगाए गए हैं कि बयानों के आधार पर लोगों को फंसाया जा सके. ये सभी बयान पूर्वनियोजित तरीके से दर्ज किए गए हैं. पुलिस के सामने दर्ज बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयानों से मेल नहीं खाते हैं. चार्जशीट भी फर्जीवाड़ा है. बयानों का साक्ष्यों से कोई लेना-देना नहीं है. इस FIR में किसी की गिरफ्तारी तक नहीं होनी चाहिए, बल्कि FIR भी दर्ज नहीं होना चाहिए.

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पायस ने कहा कि FIR में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में चक्काजाम के दौरान महिलाओं और बच्चों को आगे किया गया. उन्होंने कहा कि 15 मार्च 2020 को FIR में धारा 302, 307, 153ए इत्यादि जोड़ीं गईं. इसमें कोई शक नहीं है कि दिल्ली दंगों से जुड़े सभी FIR में ये सारी बातें होंगी. हास्यास्पद बयान दर्ज किए गए हैं. उन्होंने UAPA की धारा 43डी को पढ़ते हुए कहा कि ये अभियोजन पर है कि वो आरोपों को प्रमाणित करे.

पायस ने कोर्ट को खालिद के अमरावती वाले भाषण को दिखाया. उन्होंने वीडियो दिखाने के बाद कहा कि वीडियो इसलिए दिखाना पड़ा क्योंकि इससे साफ हो सके कि आरोप राजद्रोह के लायक नहीं हैं. आयोजकों ने उमर खालिद को बुलाया था, जिसमें रिटायर्ड आईपीएस अफसर भी आमंत्रित थे. पायस की दलीलें जब लंबी चलीं तो कोर्ट ने कहा कि हमें इस केस की सुनवाई रोकनी होगी, क्योंकि कई मामलों पर आदेश पारित करना है. कोर्ट ने पायस से पूछा कि आपको और कितना समय चाहिए तो पायस ने कहा कि एक घंटे. उसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 3 और 6 सितंबर को करने के आदेश दिये.

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पिछले 27 जुलाई दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपना जवाब दाखिल किया था. सुनवाई के दौरान त्रिदिप पेस ने इस जवाब को पढ़ने के लिए समय देने की मांग की. पिछले 15 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

बता दें कि क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की. इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.

ये भी पढ़ें : पेगासस की सूची में उमर खालिद समेत कई कार्यकर्ताओं के फोन नंबर: रिपोर्ट

उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को करीब 10 घंटे की पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने रात में गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल करीब 18 हजार पन्नों का चार्जशीट लेकर दो बक्सों में पहुंची थी.

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर उमर खालिद के वकील की आंशिक दलीलें सुनीं. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 3 और 6 सितंबर को करने के आदेश दिये.


सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पायस ने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ 6 मार्च 2020 को FIR दर्ज की गई और गिरफ्तारी 13 सितंबर 2020 को हुई. दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद की ये पहली गिरफ्तारी थी. इस मामले में उमर खालिद से पहली पूछताछ 30 जुलाई 2020 को हुई. जब भी उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया वो बिना देरी किए पहुंचा. खालिद पूछताछ के लिए गुवाहाटी से दिल्ली आया. उमर खालिद नोटिस पर आया था, जब उसे गिरफ्तार किया गया. उसे कहीं से गिरफ्तार नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि उमर खालिद को दूसरे FIR नंबर 101 में 1 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया. उस मामले में उसे जमानत मिल चुकी है.


पायस ने कहा कि जिस मामले में जमानत मिली है उस FIR में उमर खालिद का नाम भी नहीं है. FIR नंबर 59 में उमर खालिद का नाम अनावश्यक रूप से घसीटा गया है. इस FIR में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को टारगेट किया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों के सभी FIR में अलग-अलग आरोप हैं. सभी FIR को अलग-अलग अपराधों के लिए दर्ज किया गया है, लेकिन इस FIR में ऐसी कोई बात नहीं है. इस तरह के आरोप लगाए गए हैं कि बयानों के आधार पर लोगों को फंसाया जा सके. ये सभी बयान पूर्वनियोजित तरीके से दर्ज किए गए हैं. पुलिस के सामने दर्ज बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयानों से मेल नहीं खाते हैं. चार्जशीट भी फर्जीवाड़ा है. बयानों का साक्ष्यों से कोई लेना-देना नहीं है. इस FIR में किसी की गिरफ्तारी तक नहीं होनी चाहिए, बल्कि FIR भी दर्ज नहीं होना चाहिए.

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पायस ने कहा कि FIR में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में चक्काजाम के दौरान महिलाओं और बच्चों को आगे किया गया. उन्होंने कहा कि 15 मार्च 2020 को FIR में धारा 302, 307, 153ए इत्यादि जोड़ीं गईं. इसमें कोई शक नहीं है कि दिल्ली दंगों से जुड़े सभी FIR में ये सारी बातें होंगी. हास्यास्पद बयान दर्ज किए गए हैं. उन्होंने UAPA की धारा 43डी को पढ़ते हुए कहा कि ये अभियोजन पर है कि वो आरोपों को प्रमाणित करे.

पायस ने कोर्ट को खालिद के अमरावती वाले भाषण को दिखाया. उन्होंने वीडियो दिखाने के बाद कहा कि वीडियो इसलिए दिखाना पड़ा क्योंकि इससे साफ हो सके कि आरोप राजद्रोह के लायक नहीं हैं. आयोजकों ने उमर खालिद को बुलाया था, जिसमें रिटायर्ड आईपीएस अफसर भी आमंत्रित थे. पायस की दलीलें जब लंबी चलीं तो कोर्ट ने कहा कि हमें इस केस की सुनवाई रोकनी होगी, क्योंकि कई मामलों पर आदेश पारित करना है. कोर्ट ने पायस से पूछा कि आपको और कितना समय चाहिए तो पायस ने कहा कि एक घंटे. उसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 3 और 6 सितंबर को करने के आदेश दिये.

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पिछले 27 जुलाई दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपना जवाब दाखिल किया था. सुनवाई के दौरान त्रिदिप पेस ने इस जवाब को पढ़ने के लिए समय देने की मांग की. पिछले 15 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

बता दें कि क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की. इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.

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उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को करीब 10 घंटे की पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने रात में गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल करीब 18 हजार पन्नों का चार्जशीट लेकर दो बक्सों में पहुंची थी.

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