नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप केस के दोषियों की फांसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने कहा कि 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे उनकी फांसी लगभग तय है. वह अपने सभी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर चुके हैं. लेकिन इस केस ने कानून में मौजूद खामियों को उजागर किया है. अब केंद्र सरकार को अंग्रेजो के जमाने के कानून की जगह आज के हालात को ध्यान में रखते हुए कानून बनाना चाहिए.
'दोषियों के पास कोई कानूनी विकल्प नहीं'
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने बताया कि इस मामले में सभी दोषियों की क्यूरेटिव पेटिशन और दया याचिका खारिज हो चुकी है. उनके पास फांसी से बचने के लिए अब कोई कानूनी हथियार नहीं बचा है. वह इससे बचने के लिए अलग-अलग हथकंडे आजमा रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि इस बार वह फांसी से बच पाएंगे. हाल में उनके द्वारा अदालत में याचिका दाखिल हुई है. लेकिन उन्हें नहीं लगता कि इससे दोषियों को कोई लाभ होगा.
'कानून में बदलाव पर विचार करे सरकार'
प्रशांत पटेल ने बताया कि इस मामले में कानून की सभी खामियां उजागर हुई हैं इन खामियों को दूर करने के लिए सरकार को कदम उठाने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि भारत में आज भी 150 से 200 साल पुराने कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि आज के समय के अनुसार कानून बनाने की आवश्यकता है. फिर वह चाहे आईपीसी एक्ट हो, पुलिस एक्ट हो या एविडेंस एक्ट . विदेशों में आज साइंटिफिक एविडेंस का इस्तेमाल अपराधियों के लिए किया जाता है जिसे लेकर अभी भारत में बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ है.
'अधिवक्ता एपी सिंह पर नहीं बनती कार्रवाई'
अधिवक्ता प्रशांत पटेल ने बताया कि इस मामले में दोषियों के अधिवक्ता एपी सिंह ने कानून में मौजूद खामियों का इस्तेमाल फांसी को टालने के लिए किया. उन्होंने इस केस में जो भी पैरवी की है, वह कानून के दायरे में रहते हुए की है. इसलिए बार काउंसिल या कोई अदालत उनके खिलाफ किसी प्रकार का एक्शन नहीं ले सकती.