नई दिल्ली: नॉर्थ मसीडी ने नई पालिसी के तहत अपने क्षेत्र में पेट डॉग्स, कैट और पक्षियों का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है, जिसका रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन के माध्यम से ₹500 की फीस भरकर आसानी से हो सकेगा. साथ ही वेटरनरी विभाग से लोगों को भी अब अपने पशुओं के मद्देनजर आसानी से लाइसेंस ऑनलाइन के माध्यम से इज ऑफ डूइंग बिजनेस नीति के तहत जारी किया जाएगा और इसके लिए ऑनलाइन अप्लाई करके के बाद महज 15 दिन में निगम द्वारा लाइसेंस जारी किया जाएगा, जिस बाबत स्टैंडिंग कमिटी में प्रस्ताव पास हो चुका है. इससे अफसरशाही पर लगाम लगने के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी, लोगों को अपने पेट्स और डेयरी मालिकों को अपने पशुओं का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जरूरी दस्तावेजों में आईडेंटिफिकेशन कार्ड ओर रजिस्टर कराए जाने वाले पशु या पक्षी की तस्वीरें ऑनलाइन जमा करानी होगी.
दिल्ली की सबसे बड़ी सिविक एजेंसी नॉर्थ एमसीडी अब एक नई पॉलिसी लेकर आई है, जिसके तहत यदि आपके घर में पालतू पशु या पक्षी होने पर उनका रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है. बता दे कि जिन लोगों ने अभी तक अपने घरों में डॉग, कैट और पक्षियों को पाल रखा है, उन्हें अब हर हाल में इनका रजिस्ट्रेशन नॉर्थ एमसीडी के थ्रू करवाना होगा. यदि रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता तो उनके खिलाफ एमसीडी लीगल चालान करेंगी, जो ₹500 से लेकर ₹50000 तक हो सकता है. जुर्माने की राशि मामले की गंभीरता पर निर्भर करेगी.
तीनों दिल्ली की नगर निगम को मिला दिया जाए तो लगभग अभी तक सिर्फ 4000 के आसापास ही पालतू कुत्तों का ही रजिस्ट्रेशन हो सका है, जो कि बेहद चौका देने वाला है, क्योंकि दिल्ली में पेट डॉग्स संख्या इससे काफी ज्यादा है. इस मामले में नॉर्थ एमसीडी हमेशा की तरह सबसे पीछे है. नॉर्थ एमसीडी में अब तक महज 488 पेट डॉग्स का ही रजिस्ट्रेशन हो पाया है.
बता दें कि बीते 1 साल में नॉर्थ एमसीडी के क्षेत्र के अंदर कुत्तों के काटने के मामले पहले के मुकाबले तेजी के साथ सामने आए हैं. वही यह पता लगाना भी मुश्किल हो गया है कि कौन सा पेट डॉग किसका है. ऐसे में अब कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य निगम के द्वारा कर दिया गया है, जिसके बाद यह साफ हो पाएगा कि पेट डॉग किसका है और जिम्मेवारी भी तय हो पाएगी. साथ ही पेट डॉग्स को रेबीज और अन्य बीमारियों के मद्देनजर टीके लगाने के लिए भी जिम्मेदारी तय होगी.
ईस्ट एमसीडी कि वेटरनरी विभाग ने बकायदा अपने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि निगम के क्षेत्र में जितने भी लोगों के पास पेट डॉग्स है. उन सभी का रजिस्ट्रेशन अगले 2 महीने में पूरा किया जाए अन्यथा जो व्यक्ति अपने डॉग्स का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जा सकता है. जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है, उसके अनुसार तीनों एमसीडी में अभी फिलहाल पेट डॉग्स के मद्देनजर जो रजिस्ट्रेशन का रिकॉर्ड है, उसके तहत 4138 पेट डॉग्स का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है, जिसमें नॉर्थ एमसीडी में महज 488 साउथ एमसीडी में लगभग 2000 और ईस्ट एमसीडी में 1650 पेट डॉग्स का रजिस्ट्रेशन किया गया है.
राजधानी दिल्ली में बात की जाए तो जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है. वर्तमान में दिल्ली के अंदर पेट डॉग्स की संख्या लाखों में है. ऐसे में निगम के पास यह बहुत बड़ी चुनौती होगी कि आने वाले समय में किस तरह से सभी पेट डॉग्स का रजिस्ट्रेशन किया जाए.
पशु पक्षियों के रजिस्ट्रेशन को सरल बनाने के लिए ही नॉर्थ एमसीडी अब एक नई नीति लाई है, जिसके तहत पेट डॉग्स, कैट्स ओर पक्षियों के साथ जिन लोगों के पास पालतू गाय भैंस है. वह अब इन सब का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन नॉर्थ एमसीडी की वेबसाइट पर आसानी से कर सकते हैं, जिसके लिए निगम को महज ₹500 के शुल्क का भुगतान करना होगा और अप्लाई करने के 15 दिन के भीतर ही निगम के द्वारा लाइसेंस दे दिया जाएगा. साथ ही रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करने के मद्देनजर ही प्रक्रिया का सरलीकरण करते हुए अब महज चंद डाक्यूमेंट्स देने होंगे, जिसमें आईडेंटिफिकेशन कार्ड पालतू पशु से जुड़े हुए जरूरी दस्तावेज और जिस पशु या पक्षी का रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं उसकी तस्वीर ही चाहिए होगी.
नॉर्थ एमसीडी नेता सदन छैल गोस्वामी ने इस मामले पर बात रखते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन करना थोड़ा कठिन है, जिसके लिए अब निगम ने ऑनलाइन प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है, जिसमे लोग घर बैठे-बैठे अपने पालतू पशु और पक्षियों का रजिस्ट्रेशन आसानी से करा सकते हैं. कहीं आने-जाने या फिर निगम के दफ्तरों का चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. रजिस्ट्रेशन के लिए जो शुल्क है उसे भी नहीं बढ़ाया गया है वह भी पहले जितना ही है.
हालांकि इस मामले को लेकर बहुत कम लोगों को जानकारी है, जिसको लेकर बकायदा निगम के द्वारा अवेयरनेस कैंपेन चलाया जाएगा और निगम के सभी पार्षद और निगम अधिकारी लोगों को इस बारे में जागरूक करेंगे. रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन इज ऑफ डूइंग बिजनेस की नीति के तहत करी गई है, जिससे अफसरशाही के साथ भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी.