ETV Bharat / city

NGT ने 500 TDS से कम पानी वाले स्थानों पर RO बैन करने का दिया आदेश - ngt latest news

NGT ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) को निर्देश दिया है कि वो सभी RO निर्माताओं को निर्देश दें कि वो 500 मिलीग्राम के कम TDS वाले स्थानों पर RO पर रोक लगाएं.

बैन करने का दिया आदेश
बैन करने का दिया आदेश
author img

By

Published : Dec 3, 2021, 7:56 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (National Green Tribunal) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) को निर्देश दिया है कि वो सभी RO निर्माताओं को निर्देश दें कि वो 500 मिलीग्राम के कम TDS वाले स्थानों पर RO पर रोक लगाएं. NGT चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता बेंच ने ये आदेश दिया.

NGT ने RO के रेगुलेशन को लेकर केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन को नाकाफी बताते हुए नाराजगी जताई. NGT ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण नियम 115 में संशोधन करने की जरूरत है. NGT ने CPCB को निर्देश दिया कि वो Ro से अपशिष्ट उपकरणों के प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश जारी करे. NGT ने कहा कि RO को लेकर NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उचित रूप से पालन करने के लिए एक महीने के अंदर दिशानिर्देश जारी किए जाएं.


NGT ने कहा कि उसने अपने आदेश में कहा था कि 500 TDS से कम वाले स्थानों पर RO पर रोक लगाई जाए, लेकिन पर्यावरण और वन मंत्रालय के नोटिफिकेशन में 500 TDS से कम वाले स्थानों पर RO के रेगुलेशन का कोई प्रावधान नहीं है. इसी तरह इस नोटिफिकेशन में पानी की बर्बादी पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है.
NGT ने 20 मई 2019 को आदेश दिया था कि जहां के पानी का TDS 500 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हो वहां RO की जरूरत नहीं है. इससे ज्यादा होने पर ही RO का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन इस संबंधी नोटिफिकेशन अभी तक वन और पर्यावरण मंत्रालय ने जारी नहीं किया था. NGT ने कहा कि इस नोटिफिकेशन को जारी करने में देरी से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.

ये भी पढ़ें - पालिका कर्मचारी संघ ने ओमीक्रोन वैरिएंट के बीच बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस का किया विरोध

दरअसल NGT की ओर से गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों या जल बोर्ड की ओर से घरों में जो पानी की आपूर्ति की जाती है उसके शुद्धिकरण के लिए RO लगाने की कोई जरूरत नहीं है. विशेषज्ञ कमेटी ने NGT को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों के पानी को अगर RO के जरिये पीते हैं तो यह हमारे सेहत को खराब करता है क्योंकि इससे मिनरल गायब हो जाते हैं.

कमेटी के मुताबिक नदी, तालाबों और झील के सतह पर मौजूद पानी के स्रोतों से निगम द्वारा पाइप के जरिए सप्लाई किए जाने वाले पानी के लिए RO की कोई जरूरत नहीं है. कमेटी के मुताबिक, RO की जरूरत उन्हीं इलाकों में पड़ती है, जहां TDS का लेवल 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो.



ये भी पढ़ें -कोविड वैक्सीन की नहीं लगी पहली डोज तो बैन हो सकती है मेट्रो और बसों में एंट्री


FRIEND नाम के NGO की याचिका पर सुनवाई करते हुए NGT ने 21 दिसंबर 2018 को एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में केंद्रीय पर्यावरण विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड, आईआईटी दिल्ली और नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल हैं.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (National Green Tribunal) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) को निर्देश दिया है कि वो सभी RO निर्माताओं को निर्देश दें कि वो 500 मिलीग्राम के कम TDS वाले स्थानों पर RO पर रोक लगाएं. NGT चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता बेंच ने ये आदेश दिया.

NGT ने RO के रेगुलेशन को लेकर केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन को नाकाफी बताते हुए नाराजगी जताई. NGT ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण नियम 115 में संशोधन करने की जरूरत है. NGT ने CPCB को निर्देश दिया कि वो Ro से अपशिष्ट उपकरणों के प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश जारी करे. NGT ने कहा कि RO को लेकर NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उचित रूप से पालन करने के लिए एक महीने के अंदर दिशानिर्देश जारी किए जाएं.


NGT ने कहा कि उसने अपने आदेश में कहा था कि 500 TDS से कम वाले स्थानों पर RO पर रोक लगाई जाए, लेकिन पर्यावरण और वन मंत्रालय के नोटिफिकेशन में 500 TDS से कम वाले स्थानों पर RO के रेगुलेशन का कोई प्रावधान नहीं है. इसी तरह इस नोटिफिकेशन में पानी की बर्बादी पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है.
NGT ने 20 मई 2019 को आदेश दिया था कि जहां के पानी का TDS 500 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हो वहां RO की जरूरत नहीं है. इससे ज्यादा होने पर ही RO का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन इस संबंधी नोटिफिकेशन अभी तक वन और पर्यावरण मंत्रालय ने जारी नहीं किया था. NGT ने कहा कि इस नोटिफिकेशन को जारी करने में देरी से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.

ये भी पढ़ें - पालिका कर्मचारी संघ ने ओमीक्रोन वैरिएंट के बीच बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस का किया विरोध

दरअसल NGT की ओर से गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों या जल बोर्ड की ओर से घरों में जो पानी की आपूर्ति की जाती है उसके शुद्धिकरण के लिए RO लगाने की कोई जरूरत नहीं है. विशेषज्ञ कमेटी ने NGT को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नगर निगमों के पानी को अगर RO के जरिये पीते हैं तो यह हमारे सेहत को खराब करता है क्योंकि इससे मिनरल गायब हो जाते हैं.

कमेटी के मुताबिक नदी, तालाबों और झील के सतह पर मौजूद पानी के स्रोतों से निगम द्वारा पाइप के जरिए सप्लाई किए जाने वाले पानी के लिए RO की कोई जरूरत नहीं है. कमेटी के मुताबिक, RO की जरूरत उन्हीं इलाकों में पड़ती है, जहां TDS का लेवल 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो.



ये भी पढ़ें -कोविड वैक्सीन की नहीं लगी पहली डोज तो बैन हो सकती है मेट्रो और बसों में एंट्री


FRIEND नाम के NGO की याचिका पर सुनवाई करते हुए NGT ने 21 दिसंबर 2018 को एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में केंद्रीय पर्यावरण विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड, आईआईटी दिल्ली और नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.