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जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में लापरवाही, कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर OPD में देखती रहीं मरीज - OPD

जग प्रवेश चंद्र अस्पताल 200 बेड का है. जहां नार्थ-ईस्ट के इलाके से हर रोज औसतन दो हजार मरीज इलाज कराने आते हैं. आज यह अस्पताल एमएस की लापरवाही से खतरनाक हो गया है. बाल रोग विभाग के एक सीनियर डॉक्टर के कोविड पॉजिटिव पाये जाने के बावजूद न सिर्फ लगातार विभाग की ओपीडी सेवा जारी रखी गई, बल्कि इलाज के लिए आने वाले बच्चों की जान को जानबूझकर खतरे में डाला गया.

Jag Pravesh Chandra Hospital
जगप्रवेश चंद्र अस्पताल
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Published : Apr 27, 2020, 4:45 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार एक तरफ कोरोना को मात देने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल सरकार के हर प्रयास को विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. नॉर्थ-ईस्ट इलाके के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में कोरोना को नियंत्रित करने की बजाय इसे फैलाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. अस्पताल के बालरोग विभाग की जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. अदिति 24 अप्रैल को ही कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी, लेकिन अस्पताल के एमएस इसको लेकर सतर्क नहीं हुए. केवल विभाग के अध्यक्ष ने डॉक्टर को मौखिक रूप से घर पर ही रहने की सलाह दी.

इसके अलावा 21 अप्रैल को केजुअल्टी विभाग में एक कोरोना संदिग्ध मरीज क्रिटीकल कंडीशन में आई थी. उसे एलएनजेपी में रेफर किया गया. उसी दिन उसकी मौत हो गयी. रिपोर्ट में पता चला कि वो कोरोना पॉजिटिव थी. इसके बावजूद विभाग को बंद करने के बजाय लगातार चालू रखा गया है. कम्युनिटी लेवल पर पता नहीं यह बीमारी कहां तक फैल गयी होगी.

आरडब्ल्यूए की मदद से डॉक्टर पहुंची अस्पताल

पीड़ित डॉक्टर खुद अपनी सोसाइटी के आरडब्ल्यूए को अपनी कोविड पॉजिटिव होने की बात बताई. तब आरडब्ल्यूए वालों ने इलाके के कोविड नोडल अधिकारी से संपर्क कर उन्हें बताया तो फिर डॉक्टर को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जानकारी के मुताबिक बाल रोग विभाग की जूनियर डॉक्टर 15 अप्रैल से विभाग में काम कर रही थी. 17 अप्रैल से ही उनको सर्दी- खांसी जैसे कोविड के लक्षण दिखने शुरू हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद वह इसे सामान्य कोल्ड समझकर लगातार ड्यूटी करती रही. 24 अप्रैल को आखिरकार उस डॉक्टर को कोविड पॉजिटिव पाया गया. इस दौरान पता नहीं वह कितने मरीजों को देखी होगी, कितने लोग उनके संपर्क में आये होंगे.

नहीं किया गया था क्वारंटाइन

यह जानकारी जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के ही एक नर्सिंग स्टाफ ने नाम नहीं लिए जाने की शर्त पर हमें दी है. उन्होंने हमें बताया कि केवल मौखिक आदेश पर ही सभी डॉक्टर अपने घर पर बैठे हुए हैं. विभाग पहले की तरह ही चल रहा है. नर्सिंग स्टाफ और दूसरे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी पहले की तरह ही ड्यूटी के लिए बुलाये जा रहे हैं. सिर्फ एक डॉक्टर को लेबर रूम में रखा गया है ताकि वो डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं को अटेंड कर सकें. अस्पताल प्रशासन नियमों का पालन करने की बजाय अपनी तरफ से पल्ला झाड़ रहा है. साथ ही इस दौरान मीडिया में एक खबर चलवा दी गयी कि जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के 27 संदिग्धों को क्वारंटाइन किया गया है, लेकिन इस खबर की सच्चाई पर खुद अस्पताल के ही स्टाफ ने सवाल खड़े कर दिए. दरअसल किसी को क्वारंटाइन नहीं किया गया था.

कब बंद किया जाएगा विभाग

जब इस बारे में अस्पताल प्रशासन से पूछा जा रहा है कि अस्पताल के उस विभाग को कब बंद किया जाएगा. कोविड पॉजिटिव पाए गए मरीज के संपर्क में आने वाले स्टाफ को कब क्वारंटाइन सेंटर्स भेजा जाएगा तो एक ही जवाब मिल रहा है कि मीटिंग चल रही है. आखिर यह कौन सी मैराथन मीटिंग चल रही है कि तीन दिनों से खत्म ही नहीं हो रही है.

इस दौरान कम से कम यह तो किया ही जा सकता था कि जो भी नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर कोविड पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आये हैं, उन्हें होम क्वारंटाइन तो किया ही जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. एमएस आदर्श कुमार पहले ही नर्सिंग स्टाफ को विभागीय सर्कुलर का हवाला देकर डरा रखे हैं कि कोई भी सूचना मीडिया को लीक नहीं होनी चाहिए. जो भी ऐसा करते हुए पाये जाएंगे, उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा.

एमएस ने सारे आरोप से झाड़ा पल्ला

जब इस पूरे मामले में अस्पताल के एमएस से बात की तो वो बड़ी सफाई से आरोप से मुकर गए. उन्होंने कहा कि वो हाई पावर वाला कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं. दिन में दो बार अस्पताल को सैनेटाइज करते हैं जिससे कोई खतरा नहीं रहता है. जब केजुअल्टी वाली कोविड मरीज के बारे में पूछा तो घबरा गए. फिर कहा किसी ने हमें गलत सूचना दी है. इससे आगे हम उनसे कुछ पूछ पाते इससे पहले ही उन्होंने फोन काट दिया.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार एक तरफ कोरोना को मात देने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल सरकार के हर प्रयास को विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. नॉर्थ-ईस्ट इलाके के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में कोरोना को नियंत्रित करने की बजाय इसे फैलाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. अस्पताल के बालरोग विभाग की जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. अदिति 24 अप्रैल को ही कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी, लेकिन अस्पताल के एमएस इसको लेकर सतर्क नहीं हुए. केवल विभाग के अध्यक्ष ने डॉक्टर को मौखिक रूप से घर पर ही रहने की सलाह दी.

इसके अलावा 21 अप्रैल को केजुअल्टी विभाग में एक कोरोना संदिग्ध मरीज क्रिटीकल कंडीशन में आई थी. उसे एलएनजेपी में रेफर किया गया. उसी दिन उसकी मौत हो गयी. रिपोर्ट में पता चला कि वो कोरोना पॉजिटिव थी. इसके बावजूद विभाग को बंद करने के बजाय लगातार चालू रखा गया है. कम्युनिटी लेवल पर पता नहीं यह बीमारी कहां तक फैल गयी होगी.

आरडब्ल्यूए की मदद से डॉक्टर पहुंची अस्पताल

पीड़ित डॉक्टर खुद अपनी सोसाइटी के आरडब्ल्यूए को अपनी कोविड पॉजिटिव होने की बात बताई. तब आरडब्ल्यूए वालों ने इलाके के कोविड नोडल अधिकारी से संपर्क कर उन्हें बताया तो फिर डॉक्टर को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जानकारी के मुताबिक बाल रोग विभाग की जूनियर डॉक्टर 15 अप्रैल से विभाग में काम कर रही थी. 17 अप्रैल से ही उनको सर्दी- खांसी जैसे कोविड के लक्षण दिखने शुरू हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद वह इसे सामान्य कोल्ड समझकर लगातार ड्यूटी करती रही. 24 अप्रैल को आखिरकार उस डॉक्टर को कोविड पॉजिटिव पाया गया. इस दौरान पता नहीं वह कितने मरीजों को देखी होगी, कितने लोग उनके संपर्क में आये होंगे.

नहीं किया गया था क्वारंटाइन

यह जानकारी जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के ही एक नर्सिंग स्टाफ ने नाम नहीं लिए जाने की शर्त पर हमें दी है. उन्होंने हमें बताया कि केवल मौखिक आदेश पर ही सभी डॉक्टर अपने घर पर बैठे हुए हैं. विभाग पहले की तरह ही चल रहा है. नर्सिंग स्टाफ और दूसरे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी पहले की तरह ही ड्यूटी के लिए बुलाये जा रहे हैं. सिर्फ एक डॉक्टर को लेबर रूम में रखा गया है ताकि वो डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं को अटेंड कर सकें. अस्पताल प्रशासन नियमों का पालन करने की बजाय अपनी तरफ से पल्ला झाड़ रहा है. साथ ही इस दौरान मीडिया में एक खबर चलवा दी गयी कि जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के 27 संदिग्धों को क्वारंटाइन किया गया है, लेकिन इस खबर की सच्चाई पर खुद अस्पताल के ही स्टाफ ने सवाल खड़े कर दिए. दरअसल किसी को क्वारंटाइन नहीं किया गया था.

कब बंद किया जाएगा विभाग

जब इस बारे में अस्पताल प्रशासन से पूछा जा रहा है कि अस्पताल के उस विभाग को कब बंद किया जाएगा. कोविड पॉजिटिव पाए गए मरीज के संपर्क में आने वाले स्टाफ को कब क्वारंटाइन सेंटर्स भेजा जाएगा तो एक ही जवाब मिल रहा है कि मीटिंग चल रही है. आखिर यह कौन सी मैराथन मीटिंग चल रही है कि तीन दिनों से खत्म ही नहीं हो रही है.

इस दौरान कम से कम यह तो किया ही जा सकता था कि जो भी नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर कोविड पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आये हैं, उन्हें होम क्वारंटाइन तो किया ही जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. एमएस आदर्श कुमार पहले ही नर्सिंग स्टाफ को विभागीय सर्कुलर का हवाला देकर डरा रखे हैं कि कोई भी सूचना मीडिया को लीक नहीं होनी चाहिए. जो भी ऐसा करते हुए पाये जाएंगे, उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा.

एमएस ने सारे आरोप से झाड़ा पल्ला

जब इस पूरे मामले में अस्पताल के एमएस से बात की तो वो बड़ी सफाई से आरोप से मुकर गए. उन्होंने कहा कि वो हाई पावर वाला कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं. दिन में दो बार अस्पताल को सैनेटाइज करते हैं जिससे कोई खतरा नहीं रहता है. जब केजुअल्टी वाली कोविड मरीज के बारे में पूछा तो घबरा गए. फिर कहा किसी ने हमें गलत सूचना दी है. इससे आगे हम उनसे कुछ पूछ पाते इससे पहले ही उन्होंने फोन काट दिया.

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