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विश्व पार्किंसंस दिवस को लेकर एम्स में मैराथन का आयोजन, विजेताओं को डायरेक्टर ने किया सम्मानित

दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में 500 डॉक्टर्स ने विश्व पार्किंसन दिवस को लेकर मैराथन दौड़ लगाई. इसमें एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हरी झंडी दिखाकर डॉक्टरों के मैराथन को रवाना किया. मैराथन में विजयी प्रतिभागियों को एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने सम्मानित किया.

Marathon organized in AIIMS on World Parkinsons Day director honored winners
Marathon organized in AIIMS on World Parkinsons Day director honored winners
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Published : Apr 11, 2022, 8:05 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में 500 डॉक्टर्स ने विश्व पार्किंसन दिवस को लेकर मैराथन दौड़ लगाई. इसमें एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हरी झंडी दिखाकर डॉक्टरों के मैराथन को रवाना किया. मैराथन में विजयी प्रतिभागियों को एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने सम्मानित किया. इस कार्यक्रम को एसबीआई के सहयोग और न्यूरोलॉजी विभाग RDA एम्स के द्वारा करवाया गया. इस मैराथन रेस में आरडीए एम्स के प्रेसिडेंट डॉक्टर जसवंत जांगड़ा, न्यूरोलॉजी विभाग डॉ. इला के साथ समस्त डॉक्टर एवं उनका परिवार मौजूद रहा.


हर साल 11 अप्रैल को पार्किंसन दिवस मनाया जाता है. यह एक बीमारी है जिसके कारण चलने-फिरने की गति धीमी पड़ जाती है. लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर वर्ष इस दिवस को मनाया जाता है. मासपेशियां सख्त हो जाती हैं और शरीर में कंपन्न की समस्या पैदा हो जाती है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह बीमारी अक्सर किसी एक हाथ में कंपन के साथ शुरू होती है. दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. इसके इलाज के लिए कई दवाइयां भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप डॉक्टर की सलाह पर ले सकते हैं.

विश्व पार्किंसंस दिवस को लेकर एम्स में मैराथन का आयोजन, विजेताओं को डायरेक्टर ने किया सम्मानित


आंकड़ों के मुताबिक चीन में 30 लाख से अधिक लोग पार्किंसन से ग्रस्त हैं. ये तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है. पार्किंसंस रोग कैंसर और हृदय रोग के बाद बुजुर्गों की “तीसरी जानलेवा बीमारी” बन गई है. हर साल लगभग 1 लाख नए मामले सामने आते हैं. मौजूदा चिकित्सा स्थितियों में पार्किंसंस रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है. यह रोग न केवल रोगियों और उनके परिवारों पर भारी मानसिक दबाव डालता है, बल्कि उन पर आर्थिक बोझ भी लादता है. जो उनके जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.

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इसे भी पढ़ें : टोरंटो में बेटे की मौत का मांग रहे इंसाफ, अब तक स्वदेश नहीं आया शव

पार्किंसंस रोग एक दीर्घकालिक बीमारी है. फिलहाल इसे जड़ से मिटाने वाला कोई इलाज नहीं है. इसलिए उपचार का लक्ष्य रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है. एम्स अस्पताल की तरफ से समय-समय पर स्वास्थ्य को लेकर तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. ये मैराथन भी इसी कोशिश का एक हिस्सा था.

नई दिल्ली : दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में 500 डॉक्टर्स ने विश्व पार्किंसन दिवस को लेकर मैराथन दौड़ लगाई. इसमें एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हरी झंडी दिखाकर डॉक्टरों के मैराथन को रवाना किया. मैराथन में विजयी प्रतिभागियों को एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने सम्मानित किया. इस कार्यक्रम को एसबीआई के सहयोग और न्यूरोलॉजी विभाग RDA एम्स के द्वारा करवाया गया. इस मैराथन रेस में आरडीए एम्स के प्रेसिडेंट डॉक्टर जसवंत जांगड़ा, न्यूरोलॉजी विभाग डॉ. इला के साथ समस्त डॉक्टर एवं उनका परिवार मौजूद रहा.


हर साल 11 अप्रैल को पार्किंसन दिवस मनाया जाता है. यह एक बीमारी है जिसके कारण चलने-फिरने की गति धीमी पड़ जाती है. लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर वर्ष इस दिवस को मनाया जाता है. मासपेशियां सख्त हो जाती हैं और शरीर में कंपन्न की समस्या पैदा हो जाती है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह बीमारी अक्सर किसी एक हाथ में कंपन के साथ शुरू होती है. दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. इसके इलाज के लिए कई दवाइयां भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप डॉक्टर की सलाह पर ले सकते हैं.

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आंकड़ों के मुताबिक चीन में 30 लाख से अधिक लोग पार्किंसन से ग्रस्त हैं. ये तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है. पार्किंसंस रोग कैंसर और हृदय रोग के बाद बुजुर्गों की “तीसरी जानलेवा बीमारी” बन गई है. हर साल लगभग 1 लाख नए मामले सामने आते हैं. मौजूदा चिकित्सा स्थितियों में पार्किंसंस रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है. यह रोग न केवल रोगियों और उनके परिवारों पर भारी मानसिक दबाव डालता है, बल्कि उन पर आर्थिक बोझ भी लादता है. जो उनके जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.

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विश्व पार्किंसंस दिवस को लेकर एम्स में मैराथन का आयोजन, विजेताओं को डायरेक्टर ने किया सम्मानित

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पार्किंसंस रोग एक दीर्घकालिक बीमारी है. फिलहाल इसे जड़ से मिटाने वाला कोई इलाज नहीं है. इसलिए उपचार का लक्ष्य रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है. एम्स अस्पताल की तरफ से समय-समय पर स्वास्थ्य को लेकर तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. ये मैराथन भी इसी कोशिश का एक हिस्सा था.

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