नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. 2011 में दिल्ली के जैतपुर इलाके में एक व्यक्ति की हत्या करके उसे जंगल में फेंक दिया गया था. हाईकोर्ट ने इसी मामले में दोषी दो लोगों की उम्रकैद की सजा पर मुहर लगा दी है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस आईएस मेहता ने ट्रायल कोर्ट के मृतक की पत्नी को दोषी करार देने के फैसले को निरस्त कर दिया है.
ससुराल गया था फिर नहीं लौटा
घटना 7 मई 2011 की है. राकेश के पिता ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. रिपोर्ट में कहा गया था कि राकेश 7 मई को अपनी पत्नी से मिलने के लिए अपने ससुराल गया था. लेकिन वह घर नहीं लौटा था. राकेश की पत्नी अपने पति से अनबन की वजह से अलग रह रही थी. पुलिस ने राकेश की पत्नी के कॉल रिकॉर्ड निकाले. कॉल रिकॉर्ड्स से पता चला कि वो राकेश की हत्या के पहले लगातार सचिन और सुनील के संपर्क में थी. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने दो हफ्ते के बाद राकेश की हड्डियां जंगल से बरामद की. पुलिस ने 23 मई 2011 को गिरफ्तार कर लिया.
उम्रकैद की सजा बरकरार
साकेत कोर्ट ने जुलाई 2017 में तीनों को हत्या का दोषी पाया. साकेत कोर्ट ने पाया कि हत्या की वजह का खुलासा तो नहीं हुआ है. लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के मुताबिक तीनों ने मिलकर राकेश की हत्या की. मामले की सुनवाई के दौरान तीनों ने ट्रायल कोर्ट में खुद को निर्दोष बताया था. ट्रायल कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर तीनों को दोषी पाया. हाईकोर्ट ने सुनील और सचिन को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. और राकेश की पत्नी को जेल से रिहा करने का आदेश दिया.