नई दिल्ली: महिलाएं किसी भी मायने में पुरुषों से कम नहीं हैं. हर एक क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. चाहे बात फिर सेना की हो, शिक्षा की हो या फिर मेडिकल क्षेत्र की.
हर एक क्षेत्र में महिलाएं अपनी मेहनत और लगन से अपना परचम लहरा रही हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है महिला डॉक्टर उषा एम कुमार की, जिन्होंने एक छोटे से शहर से अपने सफर की शुरुआत करते हुए, दिल्ली के जाने-माने अस्पताल मैक्स में अपनी पहचान बनाई.
'अपने हुनर और प्रतिभा को पहचाने महिलाएं'
उषा एम कुमार मध्य प्रदेश के शिवपुरी की रहने वाली हैं और आज दिल्ली के मैक्स अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट हैं. वह केवल महिलाओं को बेहतर इलाज भी नहीं देती. बल्कि उन्हें बेहतर जीवन जीने के लिए भी प्रेरित करती हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए उषा ने बताया कि जरूरी है कि महिलाएं अपनी प्रतिभा और अपने हुनर को पहचाने. क्योंकि कई बार महिलाएं अपने बारे में ना सोच कर अपने परिवार या अपने लोगों के बारे में सोचती हैं और अपनी इच्छाओं को मार देती हैं.
हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई कर बनी डॉक्टर
उषा एम कुमार ने बताया कि उन्होंने मध्य प्रदेश के छोटे से शहर शिवपुरी से अपनी पढ़ाई की और फिर वह डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गईं. यहां पर बहुत सी चीजें उनके लिए नयी थीं. क्योंकि वह एक हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ कर आई थीं और जब वह कॉलेज में गईं तो अंग्रेजी मीडियम में सारी शिक्षा होनी थी.
उन्हें थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने आप पर विश्वास रखते हुए मेहनत की और एक गायनेकोलॉजिस्ट बन गई.
'हर एक क्षेत्र में महिलाओं को मिले समान अधिकार'
उन्होंने कहा कि महिला दिवस हर एक वर्ष आता है, लेकिन यह दिन इसीलिए मनाया जाता है कि, महिलाएं अपने लिए समय निकालें. अपने आप को महत्व दें और समाज में उन्हें बराबरी का दर्जा मिले. हर एक दिन महिला दिवस है और वह इस महिला दिवस पर महिलाओं को यही प्रेरणा और संदेश देना चाहती हैं कि हर एक महिला चाहे वह हाउसवाइफ है या वर्किंग वूमेन है. वह अपने लिए समय निकाले. वो खुद को पहचाने और अपनी खुशी के लिए जिए.