नई दिल्ली: सरकारें भले ही मजदूरों को सामान्य रेखा से जोड़ने और सभी सुविधाएं देने की बात करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, आज भी अलग-अलग वर्ग से जुड़े मजदूर किसी न किसी लेबर चौक पर खड़े होकर काम आने का इंतजार करते हैं और तो और दिल्ली सरकार की तरफ से तमाम मजदूरों को जो सहायता दिए जाने के लिए लेबर कार्ड बनाए जाने की बात कही जाती है, लेकिन अधिकतर मजदूरों को तो उन लेबर कार्ड के बारे में जानकारी ही नहीं होती.
सुबह से शाम तक करते हैं काम का इंतजार
ईटीवी भारत ने दक्षिणी दिल्ली स्थित गोविंदपुरी के लेबर चौक पर काम मिलने के इंतजार में खड़े मजदूरों से बात की और कोरोना के समय में आ रही उनकी परेशानियों के बारे में जानने की कोशिश की. पिछले 25 सालों से राज मिस्त्री का काम कर रहे कैलाश ने बताया कि कोरोना काल जैसी परेशानी कभी नहीं आई. कोरोना बीमारी की शुरुआत से अब तक काम मिलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन काम नहीं मिल रहा है, रोजाना सुबह 8:00 बजे आकर यहां लेबर चौक पर खड़े हो जाते हैं और शाम 5:30 बजे तक काम मिलने का इंतजार करते रहते हैं.
मजदूरों को भी नहीं मिल रहा कोरोना का हाल में काम
इसके अलावा निर्माण कार्य में मजदूर हेल्पर का काम करने वाले ख्यालीराम ने कहा कि पिछले 1 साल से काम बिल्कुल नहीं मिल रहा है, बहुत परेशानी हो रही है घर में बीवी बच्चे हैं. पूरा परिवार पालने का जिम्मा उनके ऊपर है, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है. इसके अलावा जब हमने उनसे लेबर कार्ड को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा की लेबर कार्ड के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है.
जानकारी के अभाव में नहीं बन पाया लेबर कार्ड
इसके अलावा बिजली का काम करने वाले मजदूर देव मुनि प्रसाद ने बताया कि दिल्ली सरकार की तरफ से लेबर कार्ड बनाए जाने के लिए जो कैंप लगाया गया था. उन्होंने वहां पर जाकर अपना लेबर कार्ड बनाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका लेबर कार्ड नहीं बन पाया. बात दें अलग-अलग मजदूरों से हमने बात की, जिनमें से अधिकतर मजदूरों को इस बारे में जानकारी ही नहीं है, कि लेबर कार्ड से उन्हें क्या-क्या सुविधाएं सरकार की तरफ से दी जा रही हैं. वहीं कुछ मजदूरों ने बताया कि लेबर कार्ड बनवाने के लिए उन्होंने कई लोगों को पैसे भी दिए लेकिन उसके बाद भी उनका लेबर कार्ड नहीं बन पाया.