नई दिल्ली : केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले करीब 3 महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं इस दौरान किसानों ने कड़कड़ाती सर्दी में सड़क पर रातें गुजारी तो अब चिलचिलाती गर्मी का सितम झेलने के लिए भी किसान पूरी तरह तैयार दिखाई दे रहे हैं. सिंघु बॉर्डर पर किसानों का कहना है कि आंदोलन स्थल पर हमारे पास आराम की सभी भौतिक सुविधाएं मौजूद हैं. ऐसे में जब तक सरकार कृषि बिलों को रद्द करती हम इसी तरह बॉर्डर पर बैठे रहेंगे.
गर्मी से बचने के लिए बॉर्डर पर बनने लगे घर
ईटीवी भारत की टीम ने सिंघु बॉर्डर पर जाकर आंदोलन की वर्तमान स्थिति जानने की कोशिश की. इस दौरान वहां बैठे किसानों ने बताया कि हमने यहां लंबे समय तक बैठने के लिए पक्के मकान बनाना शुरू कर दिए हैं.
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किसानों ने बताया कि जिस तरह हमने सर्दी के दिनों में हवादार व जालीदार आशियाने बनाए थे अब उन्हीं में कूलर-पंखे और एसी लगाए जा रहे हैं. आपको बता दें बॉर्डर पर बैठे किसान अपनी ट्रॉलियोंनुमा घरों में इन दिनों एसी लगवा रहे हैं.
मौजूद है आराम की सभी सुविधाएं
यहां मौजूद कुछ किसानों का कहना है कि किसान तो मिट्टी में पैदा होकर इस मिट्टी में ही मरता है. उन्होंने कहा कि किसानों ने सर्दी, गर्मी व बरसात सभी मौसम से बचने के लिए यहां पूरी तैयारी कर ली है. आपको बता दें कि आंदोलन में बैठे किसानों को हरियाणा के स्थानीय लोगोंं का पूरा सहयोग मिल रहा है, यहां के लोग किसानों को मुफ्त में बिजली दे रहे हैं.
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कब तक चलेगा किसान आंदोलन
फिलहाल किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और दूसरी तरफ सरकार से लगातार अपनी मांगों को लेकर गतिरोध बना हुआ है, अब देखना यह होगा कि आखिर आने वाले दिनों में आंदोलन की दिशा क्या होगी और सरकार आंदोलनरत किसानों की मांगों पर क्या रूख अपनाती है.