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स्पेशल कवरेज: कांवड़ यात्रा में शिव भक्ति के साथ दिख रहे देश भक्ति के भी रंग - रंग

कांवड़ के ऊपर तिरंगा और लाउडस्पीकर से आती देश भक्ति गानों की आवाज़ आपको भी शिव और देश भक्ति से सराबोर कर देगी.

कांवड़ यात्रा पर देश भक्ति का भी रंग
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Published : Jul 29, 2019, 8:54 PM IST

नई दिल्ली: सावन का महीना और शिव भक्ति में डूबी दिल्ली के साथ कांवड़ियों के अंदर जोश भरती देश भक्ति की भावना. जी हां! यह नजारा दिल्ली की सड़कों पर आपको आजकल खूब देखने को मिलेगा. उत्तराखंड के हरिद्वार से जल लेकर लौट रहे कांवड़ियों के अंदर शिव भक्ति तो सराबोर है ही, देश भक्ति में भी डूबे हुए हैं.

कांवड़ के ऊपर तिरंगा और लाउडस्पीकर से आती देश भक्ति गानों की आवाज़ आपको भी शिव और देश भक्ति से सराबोर कर देगी.

कांवड़ यात्रा पर देश भक्ति का भी रंग

शिविरों में की गई है पूरी व्यवस्था

पूरी दिल्ली में कांवड़ियों के लिए व्यवस्था की गई है और दिल्ली के फिल्मिस्तान इलाके में तो सरकारी और समाजिक संगठन दोनों के तरफ से पूरा प्रबन्ध है. इस शिविर ही नहीं, दिल्ली के सभी शिविरों में खाने-पीने और दवाइयों की पूरी व्यवस्था है. शिव भक्ति से सराबोर कांवड़िए शिविरों में विश्राम भी करते हैं. उनके पैरों में छाले हैं, लेकिन जुबान पर बम-बम भोले. कांवड़िए कहते हैं सामान्य दिनों में या कोई दूसरे उद्देश्य से इतना चलना हो तो सम्भव ही नहीं, लेकिन भगवान शिव की महिमा से 250 किलोमीटर का सफर कैसे तय हो जाता है पता ही नहीं चलता.

कांवड़ियों की यात्रा शुरू तो होती है हरिद्वार से, लेकिन सम्पन्न उनके अपने घर पास होता है. किसी का घर हरिद्वार से 250 किलोमीटर तो किसी को 300 किलोमीटर. कांवड़ियों की मानें तो उनके पैरों में दिक्कत होती है, लेकिन पता नहीं चलता और भोले बाबा की कृपा से मंजिल तक पहुंच भी जाते हैं.

नई दिल्ली: सावन का महीना और शिव भक्ति में डूबी दिल्ली के साथ कांवड़ियों के अंदर जोश भरती देश भक्ति की भावना. जी हां! यह नजारा दिल्ली की सड़कों पर आपको आजकल खूब देखने को मिलेगा. उत्तराखंड के हरिद्वार से जल लेकर लौट रहे कांवड़ियों के अंदर शिव भक्ति तो सराबोर है ही, देश भक्ति में भी डूबे हुए हैं.

कांवड़ के ऊपर तिरंगा और लाउडस्पीकर से आती देश भक्ति गानों की आवाज़ आपको भी शिव और देश भक्ति से सराबोर कर देगी.

कांवड़ यात्रा पर देश भक्ति का भी रंग

शिविरों में की गई है पूरी व्यवस्था

पूरी दिल्ली में कांवड़ियों के लिए व्यवस्था की गई है और दिल्ली के फिल्मिस्तान इलाके में तो सरकारी और समाजिक संगठन दोनों के तरफ से पूरा प्रबन्ध है. इस शिविर ही नहीं, दिल्ली के सभी शिविरों में खाने-पीने और दवाइयों की पूरी व्यवस्था है. शिव भक्ति से सराबोर कांवड़िए शिविरों में विश्राम भी करते हैं. उनके पैरों में छाले हैं, लेकिन जुबान पर बम-बम भोले. कांवड़िए कहते हैं सामान्य दिनों में या कोई दूसरे उद्देश्य से इतना चलना हो तो सम्भव ही नहीं, लेकिन भगवान शिव की महिमा से 250 किलोमीटर का सफर कैसे तय हो जाता है पता ही नहीं चलता.

कांवड़ियों की यात्रा शुरू तो होती है हरिद्वार से, लेकिन सम्पन्न उनके अपने घर पास होता है. किसी का घर हरिद्वार से 250 किलोमीटर तो किसी को 300 किलोमीटर. कांवड़ियों की मानें तो उनके पैरों में दिक्कत होती है, लेकिन पता नहीं चलता और भोले बाबा की कृपा से मंजिल तक पहुंच भी जाते हैं.

Intro:नई दिल्ली. सावन का महीना और शिव भक्ति में डूबी दिल्ली के साथ कांवड़ियों के अंदर जोश भरती देश भक्ति की भावना. जी हां ! यह नजारा दिल्ली की सड़कों पर आपको आजकल खूब देखने को मिलेगा. उत्तराखंड के हरिद्वार से जल लेकर लौट रहे कांवड़ियों के अंदर शिव भक्ति तो सराबोर है ही, देश भक्ति में भी डूबे हुए हैं. कांवड़ के ऊपर तिरंगा और लाउडस्पीकर से आती देश भक्ति गानों की आवाज़ आपको भी शिव और देश भक्ति से सराबोर कर देंगी.


Body:पूरी दिल्ली में कांवड़ियों के लिए व्यवस्था की गई है और दिल्ली के फिल्मिस्तान इलाके में तो सरकारी और समाजिक संगठन दोनों के तरफ से पूरा प्रबन्ध है. इस शिविर ही नहीं, दिल्ली के सभी शिविरों में खाने-पीने और दवाइयों की पूरी व्यवस्था है. शिव भक्ति से सराबोर कांवड़िए शिविरों में विश्राम भी करते हैं. उनके पैरों में छाले हैं, लेकिन जुबान पर बम-बम भोले. कांवड़िए कहते हैं सामान्य दिनों में या कोई दूसरे उद्देश्य से इतना चलना हो तो सम्भव ही नहीं, लेकिन भगवान शिव की महिमा से 250 किलोमीटर का सफर कैसे तय हो जाता है पता ही नहीं चलता.


Conclusion:कांवड़ियों की यात्रा शुरू तो होती है हरिद्वार से, लेकिन सम्पन्न उनके अपने घर पास होता है. किसी का घर हरिद्वार से 250 किलोमीटर तो किसी को 300 किलोमीटर. कांवड़ियों की मानें तो उनके पैरों में दिक्कत होती है, लेकिन पता नहीं चलता और भोले बाबा की कृपा से मंजिल तक पहुंच भी जाते हैं.
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