नई दिल्लीः दिल्ली की जामा मस्जिद में भी रोजेदारों की खासा रौनक देखने को मिल रही है. बीते दो सालों के दौरान कोरोना महामारी के चलते मस्जिदे पूरी तरह से बंद रही. इस दौरान लोगों ने घरों में ही नमाज अदा की. कोरोना का कहर कम होने के बाद इस साल रमजान के महीने में लोग मस्जिदों में इबादत कर रहे हैं. लगभग शाम 7:00 बजे रोजा इफ्तार का वक्त होता है. रोजा इफ्तार के वक्त से तकरीबन डेढ़ से दो घंटे पहले जामा मस्जिद के सहन में लोग इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं.
लोग अपने साथ इफ्तार का सामान और चटाइयां लेकर मस्जिद में पहुंचते हैं. छोटे-छोटे ग्रुप में जामा मस्जिद के सहन में रोज़ेदार इफ्तार करने के लिए बैठे होते हैं. इफ्तार का वक्त होने तक लोग इबादत करते हैं. जैसे ही इफ्तार का वक्त होता है रोजेदार इफ्तार करते हैं. जिसके बाद मस्जिद में नमाज अदा की जाती है. मर्द मस्जिद के मुख्य हिस्से में जमात के साथ नमाज अदा करते हैं जबकि औरतें मस्जिद के सहन में नमाज़ अदा करती हैं.
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मटिया महल इलाके के रहने वाले नसीरुद्दीन बताते हैं कि उनके नाना जान सन 1947 से पहले से जामा मस्जिद में रोजा इफ्तार करवाते आ रहे हैं. नाना जान के गुजर जाने के बाद यह जिम्मेदारी उनके मामू जान ने निभाई. मामू जान के दुनिया से रुखसत होने के बाद बीते 25 सालों जामा मस्जिद में इफ़्तयारी कराने की जिम्मेदारी नसीरुद्दीन निभा रहे हैं. नसीरुद्दीन बताते हैं की जामा मस्जिद में इफ़्तयार के लिए दस्तरखान लगता है. जिसमें वह तमाम लोग इफ्तार करते हैं जो अपने साथ इफ़्तयारी नहीं लाते. दस्तरखान पर अमीर गरीब सब एक साथ बैठकर एक इफ्तयारी करते हैं.