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एन्टी करप्शन ब्रांच कर रहा जांच में देरी, उपराज्यपाल ने मांगा जवाब - दिल्ली सरकार की भ्र्ष्टाचार निरोधक शाखा

दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की भ्र्ष्टाचार निरोधक शाखा से लंबित मामलों पर जवाब मांगा है. उन्होंने इस जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. उपराज्यपाल ने एसीबी से जांचों में असमान्य देरी के लिए स्पष्टीकरण भी मांगा है.

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दिल्ली सरकार की भ्र्ष्टाचार निरोधक शाखा
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Published : Aug 2, 2022, 10:55 PM IST

नई दिल्ली : भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली दिल्ली सरकार की भ्र्ष्टाचार निरोधक शाखा से लंबित मामलों को लेकर उपराज्यपाल ने उनसे जवाब मांगा है. उन्होंने शाखा से पूछा है कि वर्षों से लंबित पड़े मामलों की जांच तेजी से क्यों नहीं हो रही है. उन्होंने इस जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. उपराज्यपाल ने एसीबी से जांचों में असमान्य देरी के लिए स्पष्टीकरण भी मांगा है.

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना पद संभालने के बाद से ही भ्र्ष्टाचार को लेकर सख्त रवैया अपना रहे हैं. उन्होंने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा एवं सतर्कता निदेशालय द्वारा हो रही प्रक्रियात्मक चूकों और देरी पर गंभीर संज्ञान लिया है. उन्होंने संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा अपने अधिकारियों के विरूद्ध शिकायतों की जांच के लिए एजेंसियों द्वारा मांगी गई जानकारियों को समय पर उपलब्ध नहीं कराने एवं देरी करने पर भी नाराजगी जाहिर की है.

उपराज्यपाल ने इस संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के संबंधित अधिकारियों द्वारा एक वर्ष से अधिक समय से लंबित सभी मामलों के लिए स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने शाखा से ऐसे लंबित मामलों की सूची कारण सहित उपराज्यपाल सचिवालय में भेजने को कहा है. उन्होंने सतर्कता निदेशालय और सभी विभागों के अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि जांच के लिए भेजे गए सभी मामलों/शिकायतों पर गंभीरता से विचार कर उसका अध्ययन करके उसे निश्चित समय सीमा के अन्दर कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया जाना चाहिए.

उपराज्यपाल द्वारा यह निर्देश तब जारी किए गए, जब उन्होंने पाया कि सरकारी अधिकारियों के कथित भ्रष्टाचार के मामले में संबंधित विभागों और एजेंसियों द्वारा विवेकपूर्ण अध्ययन नहीं किया गया. इसमें बेवजह देरी की गई है जहां कई मामले 2012-2017 से जांच के लिए लंबित हैं. वहीं कईयों में संबंधित प्रशासनिक विभाग ने अपनी टिप्पणीयां प्रस्तुत नहीं की थी. वहीं कुछ मामलों में सतर्कता विभाग ने स्वीकृति प्रदान करने के लिए विरोधाभासी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं.

ये भी पढ़ें : नई आबकारी नीति : शराब की सभी दुकानें एक महीने और खोलने को उपराज्यपाल ने दी मंजूरी

उपराज्यपाल ने यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा शिकायत संबंधी अनुरोध उनके विचार के लिए तभी प्रस्तुत किया जाए जब संबंधित प्रशासनिक विभाग अभियुक्त अधिकारियों के खिलाफ उचित छानबीन कर अपनी टिप्पणी फाइल पर दे दें. उपराज्यपाल ने कहा कि इससे जहां एक तरफ मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित होगा तो वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता के साथ-साथ प्रतिवादी को भी न्याय मिल सकेगा.

नई दिल्ली : भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली दिल्ली सरकार की भ्र्ष्टाचार निरोधक शाखा से लंबित मामलों को लेकर उपराज्यपाल ने उनसे जवाब मांगा है. उन्होंने शाखा से पूछा है कि वर्षों से लंबित पड़े मामलों की जांच तेजी से क्यों नहीं हो रही है. उन्होंने इस जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. उपराज्यपाल ने एसीबी से जांचों में असमान्य देरी के लिए स्पष्टीकरण भी मांगा है.

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना पद संभालने के बाद से ही भ्र्ष्टाचार को लेकर सख्त रवैया अपना रहे हैं. उन्होंने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा एवं सतर्कता निदेशालय द्वारा हो रही प्रक्रियात्मक चूकों और देरी पर गंभीर संज्ञान लिया है. उन्होंने संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा अपने अधिकारियों के विरूद्ध शिकायतों की जांच के लिए एजेंसियों द्वारा मांगी गई जानकारियों को समय पर उपलब्ध नहीं कराने एवं देरी करने पर भी नाराजगी जाहिर की है.

उपराज्यपाल ने इस संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के संबंधित अधिकारियों द्वारा एक वर्ष से अधिक समय से लंबित सभी मामलों के लिए स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने शाखा से ऐसे लंबित मामलों की सूची कारण सहित उपराज्यपाल सचिवालय में भेजने को कहा है. उन्होंने सतर्कता निदेशालय और सभी विभागों के अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि जांच के लिए भेजे गए सभी मामलों/शिकायतों पर गंभीरता से विचार कर उसका अध्ययन करके उसे निश्चित समय सीमा के अन्दर कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया जाना चाहिए.

उपराज्यपाल द्वारा यह निर्देश तब जारी किए गए, जब उन्होंने पाया कि सरकारी अधिकारियों के कथित भ्रष्टाचार के मामले में संबंधित विभागों और एजेंसियों द्वारा विवेकपूर्ण अध्ययन नहीं किया गया. इसमें बेवजह देरी की गई है जहां कई मामले 2012-2017 से जांच के लिए लंबित हैं. वहीं कईयों में संबंधित प्रशासनिक विभाग ने अपनी टिप्पणीयां प्रस्तुत नहीं की थी. वहीं कुछ मामलों में सतर्कता विभाग ने स्वीकृति प्रदान करने के लिए विरोधाभासी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं.

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उपराज्यपाल ने यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा शिकायत संबंधी अनुरोध उनके विचार के लिए तभी प्रस्तुत किया जाए जब संबंधित प्रशासनिक विभाग अभियुक्त अधिकारियों के खिलाफ उचित छानबीन कर अपनी टिप्पणी फाइल पर दे दें. उपराज्यपाल ने कहा कि इससे जहां एक तरफ मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित होगा तो वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता के साथ-साथ प्रतिवादी को भी न्याय मिल सकेगा.

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