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जजों-वकीलों को पहले चरण में कोरोना की वैक्सीन देने की मांग HC में खारिज

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Published : Feb 4, 2021, 12:40 PM IST

Updated : Feb 17, 2021, 12:53 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले चरण में न्यायाधीशों, वकीलों और अदालत के कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीन देने की मांग को खारिज कर दी है.

Delhi High court rejected the demand for giving Corona vaccine to judges, lawyers and court staff in first phase
दिल्ली उच्च न्यायालय

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जजों, वकीलों, कोर्ट स्टाफ को भी कोरोना के पहले चरण की वैक्सिनेशन ड्राइव में शामिल करने की मांग खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि ये सरकार का नीतिगत फैसला है. हमारे दखल की जरूरत नहीं है. 'आप' सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं, सरकार उस पर कानून के मुताबिक विचार करें.


'पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी'

याचिका वकील अमरेंद्र सिंह ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि इसके लिए दो महीने के अंदर सभी कोर्ट परिसरों में कोरोना वैक्सिनेशन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने का दिशानिर्देश जारी किया जाए. याचिका में कहा गया था कि कानून का शासन कोर्ट के कामकाज और पक्षकारों को न्याय जल्दी मिलने पर निर्भर होता है. कोरोना संकट के दौरान कोर्ट में कामकाज सुचारु रुप से नहीं चलने की वजह से पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी हो रही है. वकीलों को भी इस दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.

'विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को शामिल करने की मांग'


याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सिनेशन के पहले चरण में विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को शामिल नहीं किया. जिसकी वजह से जज, वकील और कोर्ट के स्टाफ इससे बाहर रह गए. ऐसी स्थिति में कोर्ट अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं. गवाहों की गवाही और साक्ष्य नहीं दी जा रही है. कोर्ट परिसरों में चलने वाले छोटे-छोटे कैंटीन, कुरियर, फोटोस्टेट और स्टेशनरी की दुकानें चलाने वाले भी संकट के दौर से गुजर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:- HC: जजों, वकीलों और स्टाफ को पहले चरण में वैक्सीन देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई


'सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने पत्र लिखा'

याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने पिछले 18 जनवरी को केंद्रीय कानून मंत्री से आग्रह किया था कि जजों, कोर्ट स्टाफ और वकीलों और दूसरे विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को फ्रंटलाईन वर्कर्स का दर्जा दिया जाए. साथ ही वैक्सिनेशन कार्यक्रम में शामिल किया जाए. लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जजों, वकीलों, कोर्ट स्टाफ को भी कोरोना के पहले चरण की वैक्सिनेशन ड्राइव में शामिल करने की मांग खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि ये सरकार का नीतिगत फैसला है. हमारे दखल की जरूरत नहीं है. 'आप' सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं, सरकार उस पर कानून के मुताबिक विचार करें.


'पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी'

याचिका वकील अमरेंद्र सिंह ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि इसके लिए दो महीने के अंदर सभी कोर्ट परिसरों में कोरोना वैक्सिनेशन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने का दिशानिर्देश जारी किया जाए. याचिका में कहा गया था कि कानून का शासन कोर्ट के कामकाज और पक्षकारों को न्याय जल्दी मिलने पर निर्भर होता है. कोरोना संकट के दौरान कोर्ट में कामकाज सुचारु रुप से नहीं चलने की वजह से पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी हो रही है. वकीलों को भी इस दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.

'विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को शामिल करने की मांग'


याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सिनेशन के पहले चरण में विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को शामिल नहीं किया. जिसकी वजह से जज, वकील और कोर्ट के स्टाफ इससे बाहर रह गए. ऐसी स्थिति में कोर्ट अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं. गवाहों की गवाही और साक्ष्य नहीं दी जा रही है. कोर्ट परिसरों में चलने वाले छोटे-छोटे कैंटीन, कुरियर, फोटोस्टेट और स्टेशनरी की दुकानें चलाने वाले भी संकट के दौर से गुजर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:- HC: जजों, वकीलों और स्टाफ को पहले चरण में वैक्सीन देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई


'सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने पत्र लिखा'

याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने पिछले 18 जनवरी को केंद्रीय कानून मंत्री से आग्रह किया था कि जजों, कोर्ट स्टाफ और वकीलों और दूसरे विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को फ्रंटलाईन वर्कर्स का दर्जा दिया जाए. साथ ही वैक्सिनेशन कार्यक्रम में शामिल किया जाए. लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है.

Last Updated : Feb 17, 2021, 12:53 PM IST
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