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केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से बढ़ाकर छह साल करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज - 6 plus years age criteria for admission in KVS for the year 2022-23

याचिका आरिन नामक छात्रा ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन का आदेश मनमाना और गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के आदेश से छात्रों के अभिभावक परेशान हैं.

Delhi High Court dismissed the petitions challenging the 6 plus years age criteria for admission in KVS
Delhi High Court dismissed the petitions challenging the 6 plus years age criteria for admission in KVS
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Published : Apr 11, 2022, 4:49 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा आठ साल करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये आदेश दिया.

पिछले आठ अप्रैल को केंद्रीय विद्यालय ने कक्षा एक में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख बढ़ाकर अब 13 अप्रैल कर दी थी. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक होनी चाहिए. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से बढ़ाकर छह साल करने से शिक्षा के अधिकार कानून का कोई उल्लंघन नहीं होता है.

केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा सात साल से बढ़ाकर आठ साल करने के आदेश का बचाव करते कहा था कि ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया गया है. केंद्र सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर केंद्रीय विद्यालय को लागू करना अनिवार्य है. केंद्र सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पैराग्राफ 4.1 के मुताबिक 5+3+3+4 का प्रावधान किया गया है. इसके तहत तीन से आठ साल तक फाउंडेशन चरण होगा. पहला तीन साल आंगनवाड़ी या प्री-स्कूल का , दो साल प्राइमरी स्कूल का जैसे कक्षा एक से दो तक.

8 मार्च को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया था. याचिका आरिन नामक छात्रा ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन का आदेश मनमाना और गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के आदेश से छात्रों के अभिभावक परेशान हैं.

पढ़ें: अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामला: पूर्व रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट ने लिया संज्ञान

4 मार्च को केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से कहा गया था कि याचिकाकर्ता को नई शिक्षा नीति को चुनौती देनी चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि वो नई शिक्षा नीति को चुनौती नहीं दे रहे हैं, क्योंकि पहले तो वो कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं है और दूसरा यह कि नई शिक्षा नीति में पहली कक्षा के लिए न्यूनतम उम्र सीमा छह साल से ज्यादा करने का जिक्र कहीं नहीं है. अशोक अग्रवाल ने कहा था कि केंद्रीय विद्यालय संगठन नई शिक्षा नीति की गलत व्याख्या कर रही है. बता दें कि केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए पहले उम्र सीमा पांच से सात साल थी जो अब छह से आठ साल कर दी गई है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा आठ साल करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये आदेश दिया.

पिछले आठ अप्रैल को केंद्रीय विद्यालय ने कक्षा एक में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख बढ़ाकर अब 13 अप्रैल कर दी थी. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक होनी चाहिए. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से बढ़ाकर छह साल करने से शिक्षा के अधिकार कानून का कोई उल्लंघन नहीं होता है.

केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा सात साल से बढ़ाकर आठ साल करने के आदेश का बचाव करते कहा था कि ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया गया है. केंद्र सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर केंद्रीय विद्यालय को लागू करना अनिवार्य है. केंद्र सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पैराग्राफ 4.1 के मुताबिक 5+3+3+4 का प्रावधान किया गया है. इसके तहत तीन से आठ साल तक फाउंडेशन चरण होगा. पहला तीन साल आंगनवाड़ी या प्री-स्कूल का , दो साल प्राइमरी स्कूल का जैसे कक्षा एक से दो तक.

8 मार्च को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया था. याचिका आरिन नामक छात्रा ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन का आदेश मनमाना और गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के आदेश से छात्रों के अभिभावक परेशान हैं.

पढ़ें: अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामला: पूर्व रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट ने लिया संज्ञान

4 मार्च को केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से कहा गया था कि याचिकाकर्ता को नई शिक्षा नीति को चुनौती देनी चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि वो नई शिक्षा नीति को चुनौती नहीं दे रहे हैं, क्योंकि पहले तो वो कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं है और दूसरा यह कि नई शिक्षा नीति में पहली कक्षा के लिए न्यूनतम उम्र सीमा छह साल से ज्यादा करने का जिक्र कहीं नहीं है. अशोक अग्रवाल ने कहा था कि केंद्रीय विद्यालय संगठन नई शिक्षा नीति की गलत व्याख्या कर रही है. बता दें कि केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए पहले उम्र सीमा पांच से सात साल थी जो अब छह से आठ साल कर दी गई है.

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