नई दिल्ली : ड्रग्स मामले में खुद पर हो रही मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक की मांग के लिए अभिनेत्री रकुलप्रीत ने याचिका दायर की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) के आदेश की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने रकुलप्रीत को भी अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले पर अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी.
प्रसार भारती का नाम पक्षकार की सूची से हटाया गया
इसके अलावा कोर्ट ने प्रसार भारती का नाम पक्षकार की सूची से हटाने का आदेश दिया. कोर्ट ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) का बयान दर्ज करते हुए एनबीएसए के आदेश की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की ओर से वकील राहुल भाटिया ने कहा कि हमने रकुलप्रीत की याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लिया है.
दस चैनल हैं, हमें आदेश जारी करने के लिए तीन हफ्ते का समय चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि तीन हफ्ते काफी ज्यादा हैं. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि हमारी स्टेटस रिपोर्ट रिकॉर्ड में है. इस पर रकुलप्रीत की ओर से वकील अमन हिंगोरानी ने कहा कि हम केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारी एनबीए पर डाल दी है. केंद्र ने रकुलप्रीत की याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर नहीं लिया और उन्होंने खुद कोई फैसला नहीं लिया.
ई-पेपर के क्षेत्राधिकार को लेकर बहस
हिंगोरानी ने कहा कि मैं प्रसार भारती के खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन प्रेस काउंसिल को पक्षकार से हटाने की मांग का विरोध कर रहा हूं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को प्रेस काउंसिल नियंत्रित कर सकता है, तब हिंगोरानी ने कहा कि ई-पेपर हैं.
उन्होंने कहा कि ई-पेपर किनके क्षेत्राधिकार में है ये एक भ्रम की स्थिति है. प्रेस काउंसिल का काम पत्रकारीय मानदंड को बनाए रखना है. प्रेस काउंसिल की ओर से वकील श्रेया सिन्हा ने कहा कि ई-पेपर हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं आता है. इस पर हिंगोरानी ने कहा कि अगर प्रेस काउंसिल अपनी एडवाइजरी को नहीं मानता को उन्हें पक्षकार से हटा दिया जाए.
इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने ई-पेपर के बारे में कहा, क्या आपने प्रिंटेड पेपर के बारे में याचिका में कुछ कहा है. क्या किसी मीडिया हाउस में इलेक्ट्रॉनिक चैनल और प्रिंटेड पेपर दोनों हैं तो प्रेस काउंसिल का क्षेत्राधिकार चैनल पर भी हो जाएगा.
केंद्र सरकार को पर्याप्त अधिकार
मामले पर 29 सितंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार, एनबीए, प्रेस काउंसिल को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने कहा था कि बिना मीडिया संस्थानों को सुने रिपोर्टिंग पर रोक का एकतरफा आदेश नहीं दिया जा सकता. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि रकुलप्रीत आरोपी नहीं है.
केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा था कि रकुलप्रीत को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है. फिलहाल मीडिया रिपोर्ट्स पर बैन का आदेश सही नहीं है. ये संजीदा मसला है. रकुलप्रीत के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में संतुलन की ज़रूरत है, तब कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को केबल टीवी एक्ट के तहत अधिकार है और वो केवल ये नहीं कह सकती है कि ये एक संवेदनशील मसला है.
निजता के अधिकार का उल्लंघन
सुनवाई के दौरान प्रसार भारती ने पक्षकारों की सूची से खुद को हटाने की मांग की थी, क्योंकि उसका इस केस से कोई लेना-देना नहीं है. इस पर कोर्ट ने रकुलप्रीत की ओर से पेश वकील अमन हिंगोरानी से प्रसार भारती की भूमिका के बारे में पूछा था. वकील अमन हिंगोरानी ने कहा था कि फर्जी खबरें चलाई जा रही हैं जो रकुलप्रीत की निजता के अधिकार का उल्लंघन है. उन्होंने रकुलप्रीत से जुड़ी खबरों के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी.