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दिल्ली महिला आयोग ने की कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग

दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की है. उन्होंने दिल्ली सरकार को रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि यौन उत्पीड़न से बचने के लिए बनाए गए कानून (रोकथाम, निषेध और निवारण) का सुचारु रूप से पालन नहीं किया जा रहा है.

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Published : Sep 19, 2022, 7:11 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने दिल्ली सरकार को रिपोर्ट सौंपी है. जिसमें सवाल उठाते हुए बताया गया है कि राजधानी में कार्यस्थल पर महिलाओं के हो रहे यौन उत्पीड़न से बचने के लिए बनाए गए कानून (रोकथाम, निषेध और निवारण) का सुचारु रूप से पालन नहीं किया जा रहा है. मालीवाल ने दिल्ली सरकार से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सख्ती से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है.

ये भी पढ़ें :-दिल्ली में महिला को छत से फेंका, हालत गंभीर, महिला आयोग ने भेजा नोटिस

लोकल कंप्लेंट कमेटी का गठन अनिवार्य : कानून के अन्तर्गत हर जिले में लोकल कंप्लेंट कमेटी (LCC) का गठन करना अनिवार्य है. दिल्ली में स्थानीय शिकायत समितियों (LCC) की स्थिति का पता लगाने के लिए आयोग की ओर से दिल्ली के सभी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर अपने जिले में समिति के संबंध में विशेष जानकारी मांगी गई थी.

मांगी गई जानकारी से यह बात निकलकर सामने आई कि पिछले 3 वर्षों 2019 से 2021 में स्थानीय शिकायत समिति को सिर्फ 40 शिकायतें ही प्राप्त हुई हैं. जैसे साउथ वेस्ट जिले में पिछले 3 वर्षों में सिर्फ 3 शिकायतों का ही निवारण किया गया. वेस्ट जिले में तो एक भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की गई है. इतनी कम शिकायतें मिलने के बावजूद तय समय पर शिकायतों का निवारण नहीं किया गया, जो अत्यन्त दुःखद है.

उदाहरण के तौर पर साउथ जिले में 2020 में सिर्फ एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसका आज तक समाधान नहीं किया गया है. जबकि कानून में लिखा गया गया है कि समस्त जांच कार्यवाही 90 दिनों में पूर्ण कर ली जानी चाहिए .

समितियों के गठन में बहुत सारी अनियमितताएं : यह भी पाया गया है कि समितियां गठन करने में बहुत सारी अनियमितताएं थी. कानून इन समितियों के अध्यक्ष को सामाजिक कार्य के क्षेत्र से प्रतिष्ठित महिलाओं को नामित करने का आदेश देता है, जिसका पालन कई जिलों की ओर से नहीं किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर एक जिले की LCC अध्यक्ष के रूप में उसी जिले की एसडीएम को नामित किया गया था. दूसरे जिले में अध्यक्ष जनप्रतिनिधि के परिवार से थे. ऐसे कई जिले भी थे जिनमें जानी मानी सामाजिक संस्थाओं के सदस्यों का नामित नहीं किया गया था.

यह भी पाया गया कि नॉर्थ वेस्ट जिले की समिति में सभी सदस्य सरकारी अधिकारी ही थे. साथ ही आयोग को यह जानकारी भी मिली कि समितियों के सुचारु रुप से संचालन के लिए समुचित संसाधन जैसे कार्यालय का स्थान, बजट एवं कर्मचारी तक नहीं उपलब्ध करवाए गए थे. जिससे काम में गुणवत्ता न्यूनतम रहती है. साउथ, वेस्ट व शहादरा जिले के जिलाधिकारी की ओर से भेजे गए जवाब में बताया गया है कि उनके पास समितियों के कामकाज के लिए स्टाफ एवं कार्यालय स्थल उपलब्ध नहीं कराया गया.

ईस्ट, शहादरा और वेस्ट जिले ने बताया कि उनको कोई भी बजट आवंटित नहीं हुआ था, जिससे समिति का संचालन किया जा सके. नई दिल्ली ने बताया कि जब भी समिति की बैठक का संचालन किया जाता है, उसके मद के खर्च के लिए जिले के कोष का उपयोग किया गया. समितियों से उनके कामकाज के लिए उचित बजट के अभाव में गुणवत्तापरक काम करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. साथ ही इन समितियों के गठन एवं कार्यों के बारे में प्रचार-प्रसार का अभाव रहा है.

ऑनलाइन और ऑफलाइन शिकायत लेने के लिए बने तंत्र : एक शिकायतकर्ता आज भी बड़े पैमाने पर यह नहीं जानता है कि शिकायत करने के लिए किससे और कैसे संपर्क करना है. इस सन्दर्भ में दिल्ली महिला आयोग की अनुशंसा यह है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने के लिए पूरी दिल्ली में लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन एक शिकायत प्राप्त करने वाला तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए.

आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि पंजीकृत शिकायतों की कम संख्या और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अन्य प्रावधानों के बारे में जनजागरुकता की कमी के कारण भी हो सकती है. आयोग ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार को यौन उत्पीड़न और अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जनता को प्रचार प्रसार के विभिन्न माध्यमों से जागरूक करना चाहिए.

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए उठाए जाएं ठोस कदम :दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा,“ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न करना एक संगीन अपराध है जिसे गंभीरता से निपटना चाहिए एवं ठोस कदम उठाए जाने चाहिए. यह बताते हुए दुख हो रहा है कि राजधानी में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून को लागू किए जाने की स्थिति चिंताजनक है. हमने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है और इस पर जल्दी कार्रवाई करने का सुझाव दिया है.

स्थानीय शिकायत समितियों को स्वतंत्र और फुर्तीले तरीके से काम करना चाहिए. साथ ही यह भी सुनिश्चित करनी चाहिए कि सुचारु रुप से काम करे और इनको ऑफिस, कर्मचारी, बजट भी पर्याप्त रुप से आवंटित हो. इसके अलावा, सरकार को कार्यस्थल कानून और स्थानीय शिकायत समितियों पर यौन उत्पीड़न के प्रावधानों का पर्याप्त मात्रा में प्रचार करना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि इस मामले में सरकार कार्रवाई करेगी तथा इस पर रिपोर्ट हमें 20 दिनों में सौंपेगी.

ये भी पढ़ें :- नगर निगम के स्कूल में 8 साल की दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न, महिला आयोग ने जारी किया नोटिस

नई दिल्ली : दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने दिल्ली सरकार को रिपोर्ट सौंपी है. जिसमें सवाल उठाते हुए बताया गया है कि राजधानी में कार्यस्थल पर महिलाओं के हो रहे यौन उत्पीड़न से बचने के लिए बनाए गए कानून (रोकथाम, निषेध और निवारण) का सुचारु रूप से पालन नहीं किया जा रहा है. मालीवाल ने दिल्ली सरकार से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सख्ती से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है.

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लोकल कंप्लेंट कमेटी का गठन अनिवार्य : कानून के अन्तर्गत हर जिले में लोकल कंप्लेंट कमेटी (LCC) का गठन करना अनिवार्य है. दिल्ली में स्थानीय शिकायत समितियों (LCC) की स्थिति का पता लगाने के लिए आयोग की ओर से दिल्ली के सभी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर अपने जिले में समिति के संबंध में विशेष जानकारी मांगी गई थी.

मांगी गई जानकारी से यह बात निकलकर सामने आई कि पिछले 3 वर्षों 2019 से 2021 में स्थानीय शिकायत समिति को सिर्फ 40 शिकायतें ही प्राप्त हुई हैं. जैसे साउथ वेस्ट जिले में पिछले 3 वर्षों में सिर्फ 3 शिकायतों का ही निवारण किया गया. वेस्ट जिले में तो एक भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की गई है. इतनी कम शिकायतें मिलने के बावजूद तय समय पर शिकायतों का निवारण नहीं किया गया, जो अत्यन्त दुःखद है.

उदाहरण के तौर पर साउथ जिले में 2020 में सिर्फ एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसका आज तक समाधान नहीं किया गया है. जबकि कानून में लिखा गया गया है कि समस्त जांच कार्यवाही 90 दिनों में पूर्ण कर ली जानी चाहिए .

समितियों के गठन में बहुत सारी अनियमितताएं : यह भी पाया गया है कि समितियां गठन करने में बहुत सारी अनियमितताएं थी. कानून इन समितियों के अध्यक्ष को सामाजिक कार्य के क्षेत्र से प्रतिष्ठित महिलाओं को नामित करने का आदेश देता है, जिसका पालन कई जिलों की ओर से नहीं किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर एक जिले की LCC अध्यक्ष के रूप में उसी जिले की एसडीएम को नामित किया गया था. दूसरे जिले में अध्यक्ष जनप्रतिनिधि के परिवार से थे. ऐसे कई जिले भी थे जिनमें जानी मानी सामाजिक संस्थाओं के सदस्यों का नामित नहीं किया गया था.

यह भी पाया गया कि नॉर्थ वेस्ट जिले की समिति में सभी सदस्य सरकारी अधिकारी ही थे. साथ ही आयोग को यह जानकारी भी मिली कि समितियों के सुचारु रुप से संचालन के लिए समुचित संसाधन जैसे कार्यालय का स्थान, बजट एवं कर्मचारी तक नहीं उपलब्ध करवाए गए थे. जिससे काम में गुणवत्ता न्यूनतम रहती है. साउथ, वेस्ट व शहादरा जिले के जिलाधिकारी की ओर से भेजे गए जवाब में बताया गया है कि उनके पास समितियों के कामकाज के लिए स्टाफ एवं कार्यालय स्थल उपलब्ध नहीं कराया गया.

ईस्ट, शहादरा और वेस्ट जिले ने बताया कि उनको कोई भी बजट आवंटित नहीं हुआ था, जिससे समिति का संचालन किया जा सके. नई दिल्ली ने बताया कि जब भी समिति की बैठक का संचालन किया जाता है, उसके मद के खर्च के लिए जिले के कोष का उपयोग किया गया. समितियों से उनके कामकाज के लिए उचित बजट के अभाव में गुणवत्तापरक काम करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. साथ ही इन समितियों के गठन एवं कार्यों के बारे में प्रचार-प्रसार का अभाव रहा है.

ऑनलाइन और ऑफलाइन शिकायत लेने के लिए बने तंत्र : एक शिकायतकर्ता आज भी बड़े पैमाने पर यह नहीं जानता है कि शिकायत करने के लिए किससे और कैसे संपर्क करना है. इस सन्दर्भ में दिल्ली महिला आयोग की अनुशंसा यह है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने के लिए पूरी दिल्ली में लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन एक शिकायत प्राप्त करने वाला तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए.

आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि पंजीकृत शिकायतों की कम संख्या और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अन्य प्रावधानों के बारे में जनजागरुकता की कमी के कारण भी हो सकती है. आयोग ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार को यौन उत्पीड़न और अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जनता को प्रचार प्रसार के विभिन्न माध्यमों से जागरूक करना चाहिए.

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए उठाए जाएं ठोस कदम :दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा,“ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न करना एक संगीन अपराध है जिसे गंभीरता से निपटना चाहिए एवं ठोस कदम उठाए जाने चाहिए. यह बताते हुए दुख हो रहा है कि राजधानी में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून को लागू किए जाने की स्थिति चिंताजनक है. हमने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है और इस पर जल्दी कार्रवाई करने का सुझाव दिया है.

स्थानीय शिकायत समितियों को स्वतंत्र और फुर्तीले तरीके से काम करना चाहिए. साथ ही यह भी सुनिश्चित करनी चाहिए कि सुचारु रुप से काम करे और इनको ऑफिस, कर्मचारी, बजट भी पर्याप्त रुप से आवंटित हो. इसके अलावा, सरकार को कार्यस्थल कानून और स्थानीय शिकायत समितियों पर यौन उत्पीड़न के प्रावधानों का पर्याप्त मात्रा में प्रचार करना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि इस मामले में सरकार कार्रवाई करेगी तथा इस पर रिपोर्ट हमें 20 दिनों में सौंपेगी.

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