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'पड़ोसी राज्यों की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है बायो डी कंपोजर घोल का इस्तेमाल करना' - डी कंपोजर घोल निर्माण केंद्र दिल्ली

साउथ वेस्ट दिल्ली के खरखरी नाहर गांव में पराली को गलाने के लिए बनाए गए डी कंपोजर घोल निर्माण केंद्र का सीएम अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने निरीक्षण किया.

Inspection of d composer ghol nirman center
डी कंपोजर घोल निर्माण केंद्र का निरीक्षण
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Published : Oct 6, 2020, 8:34 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने साउथ वेस्ट दिल्ली के खरखरी नाहर गांव में पराली को गलाने के लिए बनाए गए डी कंपोजर घोल निर्माण केंद्र का निरीक्षण किया और घोल बनाने की प्रक्रिया को जाना. इस मौके पर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस घोल की मदद से खेतों के अंदर ही पराली के डंठल गल जाते हैं जिसका सीधा फायदा किसान भाइयों को मिलेगा.

डी कंपोजर घोल निर्माण केंद्र का निरीक्षण


'दूसरे राज्यों से आता है पराली का धुआं'

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर पराली बहुत कम मात्रा में जलाई जाती है, लेकिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है और यह दिल्ली के प्रदूषण को करीब 45% तक प्रभावित करती है. हम दिल्ली के अंदर पूसा संस्थान के सहयोग से घोल तैयार कर रहे हैं. हम दिल्ली को एक रोल मॉडल के रूप में खड़ा कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि ऐसा रोल मॉडल खड़ा हो जाए जिससे किसी भी सरकार को पराली जलाने से रोकने को लेकर कोई बहाना बनाने का मौका ना मिले. इस पराली जलाने की जगह कम खर्च में पराली जलाने के बायो सिस्टम का उपयोग पूरे देश में हो ताकि दिल्ली के लोगों को पराली जलने से सर्दियों में होने वाली दिक्कत से मुक्ति मिल सके.




'सामने है दूसरा विकल्प'

पराली के समाधान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि हम प्रणाली के समाधान को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं और इसलिए हम इसका प्रयोग करके परिणाम सामने लाना चाहते हैं कि पराली को जलाने के अलावा भी दूसरा विकल्प है. मेरे ख्याल से पराली की समस्या के समाधान को लेकर जो भी लोग गंभीर हैं उन सभी लोगों को इस विकल्प का उपयोग करना चाहिए. पूसा द्वारा विकसित इस नई तकनीक का पड़ोसी राज्यों में इस्तेमाल के संबंध में पर्यावरण मंत्री ने कहा कि उन राज्यों की इच्छा शक्ति के ऊपर निर्भर करता है. हमने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के साथ हुई बैठक के दौरान भी कहा था जिसमें आसपास के राज्यों के मंत्री भी शामिल थे. हमने कहा था कि हम दिल्ली के अंदर केंद्रित व्यवस्था करके इसे लागू कर पा रहे हैं तो वह भी अपने राज्यों में यह व्यवस्था लागू कर सकते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने साउथ वेस्ट दिल्ली के खरखरी नाहर गांव में पराली को गलाने के लिए बनाए गए डी कंपोजर घोल निर्माण केंद्र का निरीक्षण किया और घोल बनाने की प्रक्रिया को जाना. इस मौके पर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस घोल की मदद से खेतों के अंदर ही पराली के डंठल गल जाते हैं जिसका सीधा फायदा किसान भाइयों को मिलेगा.

डी कंपोजर घोल निर्माण केंद्र का निरीक्षण


'दूसरे राज्यों से आता है पराली का धुआं'

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर पराली बहुत कम मात्रा में जलाई जाती है, लेकिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है और यह दिल्ली के प्रदूषण को करीब 45% तक प्रभावित करती है. हम दिल्ली के अंदर पूसा संस्थान के सहयोग से घोल तैयार कर रहे हैं. हम दिल्ली को एक रोल मॉडल के रूप में खड़ा कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि ऐसा रोल मॉडल खड़ा हो जाए जिससे किसी भी सरकार को पराली जलाने से रोकने को लेकर कोई बहाना बनाने का मौका ना मिले. इस पराली जलाने की जगह कम खर्च में पराली जलाने के बायो सिस्टम का उपयोग पूरे देश में हो ताकि दिल्ली के लोगों को पराली जलने से सर्दियों में होने वाली दिक्कत से मुक्ति मिल सके.




'सामने है दूसरा विकल्प'

पराली के समाधान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि हम प्रणाली के समाधान को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं और इसलिए हम इसका प्रयोग करके परिणाम सामने लाना चाहते हैं कि पराली को जलाने के अलावा भी दूसरा विकल्प है. मेरे ख्याल से पराली की समस्या के समाधान को लेकर जो भी लोग गंभीर हैं उन सभी लोगों को इस विकल्प का उपयोग करना चाहिए. पूसा द्वारा विकसित इस नई तकनीक का पड़ोसी राज्यों में इस्तेमाल के संबंध में पर्यावरण मंत्री ने कहा कि उन राज्यों की इच्छा शक्ति के ऊपर निर्भर करता है. हमने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के साथ हुई बैठक के दौरान भी कहा था जिसमें आसपास के राज्यों के मंत्री भी शामिल थे. हमने कहा था कि हम दिल्ली के अंदर केंद्रित व्यवस्था करके इसे लागू कर पा रहे हैं तो वह भी अपने राज्यों में यह व्यवस्था लागू कर सकते हैं.

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