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लैंडफिल साइट पर भाजपा नेता ने 'आप' नेता दुर्गेश पाठक पर साधा निशाना

राजधानी दिल्ली में लैंडफिल साइट मामले में राजनीति का दौर शुरू हो गया है. इस कड़ी में भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने आम आदमी पार्टी के नेता और निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक पर निशाना साधा है.

BJP leader surrounds AAP leader Durgesh Pathak on landfill site matter
लैंडफिल साइट पर बीजेपी-आप आमने सामने
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Published : Aug 14, 2020, 10:46 PM IST

नई दिल्ली: लैंडफिल साइट मामले पर भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने आम आदमी पार्टी के नेता और निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि दुर्गेश पाठक को यह समझना होगा कि भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल साइट 1984 में तत्कालीन कांग्रेस शासन के दौरान बनाई गई थी. इनकी लोकेशन उस वक्त भारी आबादी से बहुत दूर थीं लेकिन धीरे-धीरे दिल्ली फैलती गई और इनके आस पास के इलाकों में घनी आबादी हो गई.

नहीं बन पाई नई लैंडफिल साइट

डीडीए ने 1984 से 2019 के बीच जहां भी नये लैंडफिल साइट बनाने का प्रयास किया है तो वहां के स्थानिय नागरिकों ने इसका विरोध किया जिसके चलते नगर निगमों को मजबूरी वश उन्हीं लैंडफिल का उपयोग करते रहना पड़ा जो पहले के बने थे. ओखला में लैंडफिल साइट 1996 में बनी और यह 2018 से बंद है. पिछले कुछ वर्षों से सभी नगर निगम इन कूड़े के पहाड़ों के निस्तारण के गम्भीर प्रयास कर रहे हैं. कूड़े की ट्रैशिंग की गई है और सिर्फ एक वर्ष में गाजीपुर एवं भलस्वा दोनों जगह कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 10 मीटर तक कम हुई है.

पांच साल में खत्म हो जाएगा पहाड़

माना जा रहा है कि आगामी 5 वर्ष में यह कूड़े के पहाड़ लोप हो जाएंगे. बेहतर होगा कि दुर्गेश पाठक इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें बल्कि अपने नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री को कहें कि वह नगर निगमों को कूड़ा निस्तारण के लिए अतिरिक्त आर्थिक संसाधन दें और PWD को भी कहें कि वह सड़क परियोजनाओं में ठीक उसी तरह से कूड़े के प्रयोग को प्रोत्साहन दे जिस तरह केंद्रीय हाई-वे प्रोजेक्टों में हो रहा है.

नई दिल्ली: लैंडफिल साइट मामले पर भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने आम आदमी पार्टी के नेता और निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि दुर्गेश पाठक को यह समझना होगा कि भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल साइट 1984 में तत्कालीन कांग्रेस शासन के दौरान बनाई गई थी. इनकी लोकेशन उस वक्त भारी आबादी से बहुत दूर थीं लेकिन धीरे-धीरे दिल्ली फैलती गई और इनके आस पास के इलाकों में घनी आबादी हो गई.

नहीं बन पाई नई लैंडफिल साइट

डीडीए ने 1984 से 2019 के बीच जहां भी नये लैंडफिल साइट बनाने का प्रयास किया है तो वहां के स्थानिय नागरिकों ने इसका विरोध किया जिसके चलते नगर निगमों को मजबूरी वश उन्हीं लैंडफिल का उपयोग करते रहना पड़ा जो पहले के बने थे. ओखला में लैंडफिल साइट 1996 में बनी और यह 2018 से बंद है. पिछले कुछ वर्षों से सभी नगर निगम इन कूड़े के पहाड़ों के निस्तारण के गम्भीर प्रयास कर रहे हैं. कूड़े की ट्रैशिंग की गई है और सिर्फ एक वर्ष में गाजीपुर एवं भलस्वा दोनों जगह कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 10 मीटर तक कम हुई है.

पांच साल में खत्म हो जाएगा पहाड़

माना जा रहा है कि आगामी 5 वर्ष में यह कूड़े के पहाड़ लोप हो जाएंगे. बेहतर होगा कि दुर्गेश पाठक इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें बल्कि अपने नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री को कहें कि वह नगर निगमों को कूड़ा निस्तारण के लिए अतिरिक्त आर्थिक संसाधन दें और PWD को भी कहें कि वह सड़क परियोजनाओं में ठीक उसी तरह से कूड़े के प्रयोग को प्रोत्साहन दे जिस तरह केंद्रीय हाई-वे प्रोजेक्टों में हो रहा है.

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