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2 मार्च 2020 से 2 मार्च 2021: महामारी, मौत और मातम का कोरोना-साल - दिल्ली में वैक्सीनेशन

दिल्ली में कोरोना संक्रमण के एक साल पूरे हो चुके हैं. 2 मार्च 2020 को राजधानी में कोरोना का पहला केस सामने आया था. तब से अब तक कैसी रही स्थितियां, कैसे एक से शुरू हुआ आंकड़ा आज 6 लाख 39 हजार से ज्यादा हो चुका है. आइए देखते हैं तब से अब तक के आंकड़ों के जरिए.

Corona pandemic completed one year in delhi
दिल्ली में कोरोना
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Published : Mar 3, 2021, 1:56 PM IST

नई दिल्ली: इटली से लौटे दिल्ली के एक व्यापारी में 2 मार्च 2020 को कोरोना की पुष्टि हुई थी. तब किसी को नहीं पता था कि कोरोना की यह बीमारी महामारी बन जाएगी. पहला केस सामने आने के अगले ही दिन कोरोना के मुद्दे पर दिल्ली सरकार की पहली आपात बैठक बुलाई गई. 3 मार्च को हुई इस बैठक में सीएम केजरीवाल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और दिल्ली के मुख्य सचिव शामिल रहे.


'सबसे पहले बंद हुए थे प्राथमिक स्कूल'

कोरोना मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए 6 मार्च से सभी स्कूलों में पांचवीं तक की क्लासेज बंद कर दी गईं. वहीं 12 मार्च को दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया और सभी सिनेमा हॉल भी 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिए गए. इसके अगले दिन ही दिल्ली में कोरोना से पहली मौत हुई. 16 मार्च को सीएम केजरीवाल ने इस मामले में रिव्यू मीटिंग की.

'22 मार्च को हुई लॉक डाउन की घोषणा'

पहली बार, बाहर से आ रहे लोगों को क्वारंटीन करने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट के समीप 3 फाइव स्टार होटल में सुविधा शुरू हुई, जिनकी बाद में संख्या बढ़ गई थी. इसी दिन दिल्ली के साप्ताहिक बाजार भी बंद कर दिए गए. लेकिन लगातार बढ़ते मामलों और गंभीरता को देखते हुए 22 मार्च को दिल्ली सरकार ने दिल्ली में सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी. लेकिन कोरोना को रोकने का यह उपाय नाकाफी साबित हुआ.

'27 मार्च को गठित हुई थी डॉ. सरीन कमेटी'

यह वह समय था जब लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों के सामने रहने और खाने की समस्या खड़ी हो गई और पलायन शुरू हो गया. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने आगे की तैयारियों को लेकर डॉ. सरीन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया, जिसकी रिपोर्ट 27 मार्च को आई. लेकिन दिल्ली सरकार की तैयारियों की तुलना में कोरोना की रफ्तार तेज थी. पहले एक महीने में ही दिल्ली में कोरोना का आंकड़ा 300 के करीब पहुंच गया.

'पहले एक महीने में आए थे 293 केस'

2 अप्रैल को दिल्ली में कोरोना का कुल आंकड़ा था 293 और इस एक महीने के दौरान ही 4 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी थी. अगले एक महीने भी दिल्ली सरकार को इस संक्रमण को समझने और स्थिति का आकलन करने में ही गुजर गए, तब तक 2 मई को कोरोना 4,122 के आंकड़े पर पहुंच गया और मौत का आंकड़ा 64 हो गया. नए संक्रमितों में तब डॉक्टर भी शामिल थे. दिल्ली कैंसर इंस्टिट्यूट को तब बंद करना पड़ गया.

'24 अप्रैल को हुआ प्लाज्मा का ट्रायल'

बढ़ते मामलों के बीच सरकार के प्रयास भी जारी रहे. 24 अप्रैल को दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी का पहला ट्रायल हुआ और उस समय की भयावहता से इसे थोड़ी निजात के तौर पर देखा गया. लेकिन तेज गति से बढ़ते मामलों के सामने यह तब ज्यादा प्रभावी नहीं दिखा. हालांकि बाद में, 2 जुलाई को दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल में पहला प्लाज्मा बैंक खुला फिर एलएनजेपी में भी यह बैंक खुला, जिसके जरिए हजारों जान बचाई गई हैं.

'जारी हुई होम आइसोलेशन की गाइडलाइन'

बढ़ते कोरोना मामलों के आगे जब अस्पताल के बेड नाकाफी दिखने लगे, तब दिल्ली सरकार ने, 30 अप्रैल को होम आइसोलेशन की गाइडलाइंस जारी की. कोरोना के आंशिक लक्षण वाले मरीजों का उनके घर पर ही इलाज शुरू हुआ. इसके तहत, अब तक तीन लाख से ज्यादा कोरोना मरीजों का इलाज उनके घर पर ही किया जा चुका है. उधर, मई महीने में बढ़ोतरी ने 2 जून को कुल आंकड़े को 22,132 पर पहुंचा दिया.

'18 जून को संक्रमित हुए सत्येंद्र जैन'

तब तक मौत का आंकड़ा 556 हो गया था. जून में दिल्ली में कोरोना की पहली लहर आई, उसे आंकड़ों से इस तरह समझ सकते हैं कि 2 जुलाई को कोरोना का कुल आंकड़ा 92,175 पर पहुंच गया. वहीं, मौत का कुल आंकड़ा 2864 हो गया. इसी बीच 18 जून को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई. उन्हें मैक्स, साकेत में भर्ती कराना पड़ा और प्लाज्मा थेरेपी दी गई.

'11 दिन में बना 10 हजार बेड का अस्पताल'

यह वह समय था, जब बढ़ते कोरोना मामलों के कारण दिल्ली के अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल शुरू हो गया, तब बड़ी संख्या में अस्थायी कोरोना अस्पताल बनाए गए. जुलाई में ही दक्षिणी दिल्ली के राधास्वामी सत्संग व्यास में महज 11 दिन में 10 हजार बेड का अस्थायी कोरोना अस्पताल तैयार हुआ. इधर, व्यवस्था हो रही थी, उधर कोरोना मामले बढ़ते जा रहे थे.

'14 सितंबर को संक्रमित हुए सिसोदिया'

2 अगस्त को कोरोना के मामले बढ़कर 1,37,677 हो गए. वहीं मौत का आंकड़ा 4004 पर पहुंच गया. इस बीच आम लोगों के साथ साथ दिल्ली के विधायक, पार्षद भी कोरोना की चपेट में आते रहे. 2 सितंबर को कोरोना का आंकड़ा बढ़कर 1,79,569 हो गया. वहीं मौत के मामले 4,481 पर पहुंच गए. इसी महीने 14 सितंबर को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कोरोना की चपेट में आ गए.

'एक महीने में आए एक लाख से ज्यादा केस'

सिसोदिया को भी मैक्स, साकेत में भर्ती कराया गया और उन्हें भी प्लाज्मा थेरेपी दी गई. सितंबर में दिल्ली कोरोना की दूसरी लहर से जूझती रही और एक महीने में ही कोरोना एक लाख के आंकड़े को पार कर गया. 2 अक्टूबर तक दिल्ली में कोरोना के मामले 2,85,672 पर पहुंच गए थे. वहीं मौत का आंकड़ा 5438 हो गया था. इस दौरान दिल्ली में कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता रहा.

'18 जून से शुरू हुआ था एंटीजन टेस्ट'

आधे जून तक हर दिन करीब 10 हजार टेस्ट ही हो रहे थे. 15 जून को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हर दिन 18-20 हजार टेस्ट करने का फैसला हुआ था. वहीं 18 जून से दिल्ली में कोरोना का रैपिड एंटीजन टेस्ट भी शुरू हो गया, जिससे करीब आधे घण्टे में ही कोरोना रिपोर्ट मिलने लगी. उसके बाद, कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए टेस्टिंग का आंकड़ा 40 हजार तक पहुंचा.

'11 नवंबर को एक दिन में आए 8593 केस'

26 अगस्त को सीएम केजरीवाल ने हर दिन 40 हजार तक टेस्टिंग की घोषणा की. हालांकि सितंबर में यह आंकड़ा 60 हजार को पार कर गया. लेकिन बढ़ते टेस्टिंग के आंकड़े के साथ 2 नवंबर को दिल्ली में कोरोना 3,96,371 पर पहुंच गया. वहीं तब तक 6,604 लोग जान गंवा चुके थे. इसके बाद आई कोरोना की तीसरी लहर और 11 नवंबर को एक दिन में रिकॉर्ड 8,593 नए मामले सामने आए. इसी बीच 26 नवंबर की मंत्री गोपाल राय कोरोना संक्रमित हो गए.

ये भी पढ़ें:- कोरोना वैक्सीनेशन: घंटों लाइन में लगे रहे बुजुर्ग, अस्पताल की तैयारियों पर खड़े किए सवाल

'18 नवंबर को एक दिन में हुई 131 मौतें'

नवंबर की बढ़ोतरी के कारण, 2 दिसम्बर को दिल्ली में कोरोना 5,78,324 पर पहुंच गया. वहीं मौत का आंकड़ा 9,342 हो गया. नवंबर में मौत के मामले भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे. 18 नवंबर को एक दिन में 131 लोगों की कोरोना से मौत हुई थी. साल के अंतिम महीने में कोरोना कुछ कम होना शुरू हुआ. हालांकि तब टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़ा दिया गया. 17 दिसम्बर को रिकॉर्ड 90,354 टेस्ट किए गए थे.

'नए साल में मंद पड़ गई कोरोना की रफ्तार'

2 जनवरी 2021 तक दिल्ली में कोरोना का कुल आंकड़ा हो गया 6,26,448, जबकि मौत के आंकड़े 10 हजार को पार कर 10,571 पर पहुंच गए. नए साल में कोरोना 100 के आंकड़े से भी नीचे आता दिखा. वहीं फरवरी महीने में चार बार ऐसा हुआ कि कोरोना से मौत के मामले शून्य पर आ गए. 2 फरवरी को दिल्ली में कोरोना का कुल आंकड़ा था, 6,35,331 और मृतकों की संख्या थी,10,858.

ये भी पढ़ें:-राजधानी में 10 हजार से ज्यादा बुर्जुगों को टीका, कुल 21 हजार वैक्सीनेशन


'अब भी जारी हैं कुछ पाबंदियां'

पिछले साल और खासकर नवंबर के आंकड़े से तुलना करें, तो बीते एक महीने के दौरान कोरोना में मामूली बढ़ोतरी हुई है. 2 मार्च को यह संख्या बढ़कर 6,39,464 हो गई है. वहीं मौत का कुल आंकड़ा 10,911 है. लेकिन कोरोना अब भी खत्म नहीं हुआ है. अनलॉक की प्रक्रिया में ज्यादातर गतिविधियां सामान्य हो चुकीं हैं, लेकिन एहतियातन कुछ पाबंदियां अब भी जारी हैं, जो जरूरी भी हैं.

ये भी पढ़ें:-दिल्ली: सक्रिय कोरोना मरीज डेढ़ हजार के पार, लेकिन 24 घंटे में नहीं हुई एक भी मौत


'अब शुरू हो चुका है वैक्सीनेशन'

16 जनवरी से शुरू हुआ कोरोना वैक्सीनेशन भी अब तीसरे चरण में पहुंच चुका है. हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ अब बुज़ुर्गों को भी वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन मास्क और सैनेटाइजर अब भी जिंदगी का हिस्सा हैं. दिल्ली की सड़कें भले ही गुलजार हों, लेकिन सोशल डिस्टेंसिग अब भी अनिवार्य है. दिल्ली मेट्रो भले ही पहले की तरफ फर्राटे से रफ्तार भर रही हो, लेकिन एहतियातन मेट्रो स्टेशनों के सभी गेट अब तक नहीं खुले.

नई दिल्ली: इटली से लौटे दिल्ली के एक व्यापारी में 2 मार्च 2020 को कोरोना की पुष्टि हुई थी. तब किसी को नहीं पता था कि कोरोना की यह बीमारी महामारी बन जाएगी. पहला केस सामने आने के अगले ही दिन कोरोना के मुद्दे पर दिल्ली सरकार की पहली आपात बैठक बुलाई गई. 3 मार्च को हुई इस बैठक में सीएम केजरीवाल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और दिल्ली के मुख्य सचिव शामिल रहे.


'सबसे पहले बंद हुए थे प्राथमिक स्कूल'

कोरोना मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए 6 मार्च से सभी स्कूलों में पांचवीं तक की क्लासेज बंद कर दी गईं. वहीं 12 मार्च को दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया और सभी सिनेमा हॉल भी 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिए गए. इसके अगले दिन ही दिल्ली में कोरोना से पहली मौत हुई. 16 मार्च को सीएम केजरीवाल ने इस मामले में रिव्यू मीटिंग की.

'22 मार्च को हुई लॉक डाउन की घोषणा'

पहली बार, बाहर से आ रहे लोगों को क्वारंटीन करने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट के समीप 3 फाइव स्टार होटल में सुविधा शुरू हुई, जिनकी बाद में संख्या बढ़ गई थी. इसी दिन दिल्ली के साप्ताहिक बाजार भी बंद कर दिए गए. लेकिन लगातार बढ़ते मामलों और गंभीरता को देखते हुए 22 मार्च को दिल्ली सरकार ने दिल्ली में सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी. लेकिन कोरोना को रोकने का यह उपाय नाकाफी साबित हुआ.

'27 मार्च को गठित हुई थी डॉ. सरीन कमेटी'

यह वह समय था जब लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों के सामने रहने और खाने की समस्या खड़ी हो गई और पलायन शुरू हो गया. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने आगे की तैयारियों को लेकर डॉ. सरीन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया, जिसकी रिपोर्ट 27 मार्च को आई. लेकिन दिल्ली सरकार की तैयारियों की तुलना में कोरोना की रफ्तार तेज थी. पहले एक महीने में ही दिल्ली में कोरोना का आंकड़ा 300 के करीब पहुंच गया.

'पहले एक महीने में आए थे 293 केस'

2 अप्रैल को दिल्ली में कोरोना का कुल आंकड़ा था 293 और इस एक महीने के दौरान ही 4 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी थी. अगले एक महीने भी दिल्ली सरकार को इस संक्रमण को समझने और स्थिति का आकलन करने में ही गुजर गए, तब तक 2 मई को कोरोना 4,122 के आंकड़े पर पहुंच गया और मौत का आंकड़ा 64 हो गया. नए संक्रमितों में तब डॉक्टर भी शामिल थे. दिल्ली कैंसर इंस्टिट्यूट को तब बंद करना पड़ गया.

'24 अप्रैल को हुआ प्लाज्मा का ट्रायल'

बढ़ते मामलों के बीच सरकार के प्रयास भी जारी रहे. 24 अप्रैल को दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी का पहला ट्रायल हुआ और उस समय की भयावहता से इसे थोड़ी निजात के तौर पर देखा गया. लेकिन तेज गति से बढ़ते मामलों के सामने यह तब ज्यादा प्रभावी नहीं दिखा. हालांकि बाद में, 2 जुलाई को दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल में पहला प्लाज्मा बैंक खुला फिर एलएनजेपी में भी यह बैंक खुला, जिसके जरिए हजारों जान बचाई गई हैं.

'जारी हुई होम आइसोलेशन की गाइडलाइन'

बढ़ते कोरोना मामलों के आगे जब अस्पताल के बेड नाकाफी दिखने लगे, तब दिल्ली सरकार ने, 30 अप्रैल को होम आइसोलेशन की गाइडलाइंस जारी की. कोरोना के आंशिक लक्षण वाले मरीजों का उनके घर पर ही इलाज शुरू हुआ. इसके तहत, अब तक तीन लाख से ज्यादा कोरोना मरीजों का इलाज उनके घर पर ही किया जा चुका है. उधर, मई महीने में बढ़ोतरी ने 2 जून को कुल आंकड़े को 22,132 पर पहुंचा दिया.

'18 जून को संक्रमित हुए सत्येंद्र जैन'

तब तक मौत का आंकड़ा 556 हो गया था. जून में दिल्ली में कोरोना की पहली लहर आई, उसे आंकड़ों से इस तरह समझ सकते हैं कि 2 जुलाई को कोरोना का कुल आंकड़ा 92,175 पर पहुंच गया. वहीं, मौत का कुल आंकड़ा 2864 हो गया. इसी बीच 18 जून को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई. उन्हें मैक्स, साकेत में भर्ती कराना पड़ा और प्लाज्मा थेरेपी दी गई.

'11 दिन में बना 10 हजार बेड का अस्पताल'

यह वह समय था, जब बढ़ते कोरोना मामलों के कारण दिल्ली के अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल शुरू हो गया, तब बड़ी संख्या में अस्थायी कोरोना अस्पताल बनाए गए. जुलाई में ही दक्षिणी दिल्ली के राधास्वामी सत्संग व्यास में महज 11 दिन में 10 हजार बेड का अस्थायी कोरोना अस्पताल तैयार हुआ. इधर, व्यवस्था हो रही थी, उधर कोरोना मामले बढ़ते जा रहे थे.

'14 सितंबर को संक्रमित हुए सिसोदिया'

2 अगस्त को कोरोना के मामले बढ़कर 1,37,677 हो गए. वहीं मौत का आंकड़ा 4004 पर पहुंच गया. इस बीच आम लोगों के साथ साथ दिल्ली के विधायक, पार्षद भी कोरोना की चपेट में आते रहे. 2 सितंबर को कोरोना का आंकड़ा बढ़कर 1,79,569 हो गया. वहीं मौत के मामले 4,481 पर पहुंच गए. इसी महीने 14 सितंबर को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कोरोना की चपेट में आ गए.

'एक महीने में आए एक लाख से ज्यादा केस'

सिसोदिया को भी मैक्स, साकेत में भर्ती कराया गया और उन्हें भी प्लाज्मा थेरेपी दी गई. सितंबर में दिल्ली कोरोना की दूसरी लहर से जूझती रही और एक महीने में ही कोरोना एक लाख के आंकड़े को पार कर गया. 2 अक्टूबर तक दिल्ली में कोरोना के मामले 2,85,672 पर पहुंच गए थे. वहीं मौत का आंकड़ा 5438 हो गया था. इस दौरान दिल्ली में कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता रहा.

'18 जून से शुरू हुआ था एंटीजन टेस्ट'

आधे जून तक हर दिन करीब 10 हजार टेस्ट ही हो रहे थे. 15 जून को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हर दिन 18-20 हजार टेस्ट करने का फैसला हुआ था. वहीं 18 जून से दिल्ली में कोरोना का रैपिड एंटीजन टेस्ट भी शुरू हो गया, जिससे करीब आधे घण्टे में ही कोरोना रिपोर्ट मिलने लगी. उसके बाद, कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए टेस्टिंग का आंकड़ा 40 हजार तक पहुंचा.

'11 नवंबर को एक दिन में आए 8593 केस'

26 अगस्त को सीएम केजरीवाल ने हर दिन 40 हजार तक टेस्टिंग की घोषणा की. हालांकि सितंबर में यह आंकड़ा 60 हजार को पार कर गया. लेकिन बढ़ते टेस्टिंग के आंकड़े के साथ 2 नवंबर को दिल्ली में कोरोना 3,96,371 पर पहुंच गया. वहीं तब तक 6,604 लोग जान गंवा चुके थे. इसके बाद आई कोरोना की तीसरी लहर और 11 नवंबर को एक दिन में रिकॉर्ड 8,593 नए मामले सामने आए. इसी बीच 26 नवंबर की मंत्री गोपाल राय कोरोना संक्रमित हो गए.

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'18 नवंबर को एक दिन में हुई 131 मौतें'

नवंबर की बढ़ोतरी के कारण, 2 दिसम्बर को दिल्ली में कोरोना 5,78,324 पर पहुंच गया. वहीं मौत का आंकड़ा 9,342 हो गया. नवंबर में मौत के मामले भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे. 18 नवंबर को एक दिन में 131 लोगों की कोरोना से मौत हुई थी. साल के अंतिम महीने में कोरोना कुछ कम होना शुरू हुआ. हालांकि तब टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़ा दिया गया. 17 दिसम्बर को रिकॉर्ड 90,354 टेस्ट किए गए थे.

'नए साल में मंद पड़ गई कोरोना की रफ्तार'

2 जनवरी 2021 तक दिल्ली में कोरोना का कुल आंकड़ा हो गया 6,26,448, जबकि मौत के आंकड़े 10 हजार को पार कर 10,571 पर पहुंच गए. नए साल में कोरोना 100 के आंकड़े से भी नीचे आता दिखा. वहीं फरवरी महीने में चार बार ऐसा हुआ कि कोरोना से मौत के मामले शून्य पर आ गए. 2 फरवरी को दिल्ली में कोरोना का कुल आंकड़ा था, 6,35,331 और मृतकों की संख्या थी,10,858.

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'अब भी जारी हैं कुछ पाबंदियां'

पिछले साल और खासकर नवंबर के आंकड़े से तुलना करें, तो बीते एक महीने के दौरान कोरोना में मामूली बढ़ोतरी हुई है. 2 मार्च को यह संख्या बढ़कर 6,39,464 हो गई है. वहीं मौत का कुल आंकड़ा 10,911 है. लेकिन कोरोना अब भी खत्म नहीं हुआ है. अनलॉक की प्रक्रिया में ज्यादातर गतिविधियां सामान्य हो चुकीं हैं, लेकिन एहतियातन कुछ पाबंदियां अब भी जारी हैं, जो जरूरी भी हैं.

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'अब शुरू हो चुका है वैक्सीनेशन'

16 जनवरी से शुरू हुआ कोरोना वैक्सीनेशन भी अब तीसरे चरण में पहुंच चुका है. हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ अब बुज़ुर्गों को भी वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन मास्क और सैनेटाइजर अब भी जिंदगी का हिस्सा हैं. दिल्ली की सड़कें भले ही गुलजार हों, लेकिन सोशल डिस्टेंसिग अब भी अनिवार्य है. दिल्ली मेट्रो भले ही पहले की तरफ फर्राटे से रफ्तार भर रही हो, लेकिन एहतियातन मेट्रो स्टेशनों के सभी गेट अब तक नहीं खुले.

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