ETV Bharat / business

इस्पात के दाम 10% घटे, कोयले की कमी से द्वितीयक श्रेणी के उत्पादकों का संकट बढ़ा - coal crisis play havoc secondary steelmakers

देश में अप्रैल से तैयार इस्पात उत्पादों के दाम नीचे आने लगे हैं. स्टील रोलिंग मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन विवेक अदुकिया ने कहा कि टीएमटी छड़ और स्ट्रक्चरल जैसे इस्पात उत्पादों की सुस्त मांग के कारण इनकी कीमत 10 से 15 प्रतिशत घट गई है और इसके थोड़ा और कम होने की उम्मीद है.

coal crisis play havoc secondary steelmakers
कोयले की कमी उत्पादक संकट बढ़ा
author img

By

Published : May 15, 2022, 4:09 PM IST

कोलकाता : रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष के बाद अप्रैल से तैयार इस्पात उत्पादों के दाम नीचे आने लगे हैं. वहीं जिंसों के ऊंचे दाम की वजह से इस्पात क्षेत्र की कंपनियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता के बाजार में 'लॉन्ग' उत्पादों की कीमतें औसतन 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,000 रुपये प्रति टन पर आ गई हैं, जो पहले 65,000 रुपये प्रति टन के उच्चस्तर पर थीं. अधिकारियों ने बताया कि द्वितीयक इस्पात उत्पादकों के लिए कोयला प्रमुख कच्चा माल है.

कोयले के दाम उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी हैं. इससे पहले कंपनियों के इस्पात के दाम उस समय 75,000 से 76,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए थे. स्टील रोलिंग मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन विवेक अदुकिया ने बताया, 'टीएमटी छड़ और स्ट्रक्चरल जैसे इस्पात उत्पादों की सुस्त मांग के कारण इनकी कीमत 10 से 15 प्रतिशत घट गई है और इसके थोड़ा और कम होने की उम्मीद है. जबकि हमारी लागत बढ़ गई है.'

यह भी पढ़ें-ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडेरेशन का श्वेत पत्र, कोयला संकट के लिए केंद्र की पॉलिसी जिम्मेदार

उन्होंने कहा, 'कच्चे माल की गुणवत्ता से समझौता करने के बावजूद हमारी लागत में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 'डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन' (डीआरआई) का उपयोग करने वाले द्वितीयक क्षेत्र के इस्पात उत्पादकों को स्पॉन्ज आयरन बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले तापीय कोयले की जरूरत होती है.' उन्होंने कहा आयातित कोयले की कीमत 120 डॉलर प्रति टन थी, जो रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद 300 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है. अदुकिया ने कहा कि इस्पात कंपनियां अब अपने अस्तित्व के लिए कोयले का आयात करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि कोल इंडिया उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष के बाद अप्रैल से तैयार इस्पात उत्पादों के दाम नीचे आने लगे हैं. वहीं जिंसों के ऊंचे दाम की वजह से इस्पात क्षेत्र की कंपनियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता के बाजार में 'लॉन्ग' उत्पादों की कीमतें औसतन 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,000 रुपये प्रति टन पर आ गई हैं, जो पहले 65,000 रुपये प्रति टन के उच्चस्तर पर थीं. अधिकारियों ने बताया कि द्वितीयक इस्पात उत्पादकों के लिए कोयला प्रमुख कच्चा माल है.

कोयले के दाम उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी हैं. इससे पहले कंपनियों के इस्पात के दाम उस समय 75,000 से 76,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए थे. स्टील रोलिंग मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन विवेक अदुकिया ने बताया, 'टीएमटी छड़ और स्ट्रक्चरल जैसे इस्पात उत्पादों की सुस्त मांग के कारण इनकी कीमत 10 से 15 प्रतिशत घट गई है और इसके थोड़ा और कम होने की उम्मीद है. जबकि हमारी लागत बढ़ गई है.'

यह भी पढ़ें-ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडेरेशन का श्वेत पत्र, कोयला संकट के लिए केंद्र की पॉलिसी जिम्मेदार

उन्होंने कहा, 'कच्चे माल की गुणवत्ता से समझौता करने के बावजूद हमारी लागत में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 'डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन' (डीआरआई) का उपयोग करने वाले द्वितीयक क्षेत्र के इस्पात उत्पादकों को स्पॉन्ज आयरन बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले तापीय कोयले की जरूरत होती है.' उन्होंने कहा आयातित कोयले की कीमत 120 डॉलर प्रति टन थी, जो रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद 300 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है. अदुकिया ने कहा कि इस्पात कंपनियां अब अपने अस्तित्व के लिए कोयले का आयात करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि कोल इंडिया उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.