नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध टीम 'एसबीआई रिसर्च' ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि अनुमान में 0.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के साथ ही इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही. इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 11.8 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 147 लाख करोड़ रुपये हो गया. हालांकि महामारी आने से पहले के वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में यह सिर्फ 1.5 प्रतिशत ही अधिक है.
एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष (Soumya Kanti Ghosh) ने गुरुवार को एक नोट में कहा, 'उच्च मुद्रास्फीति और उसके बाद दरों में संभावित वृद्धि को देखते हुए हमारा मत है कि वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 11.1 लाख करोड़ रुपये की होगी. यह चालू वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को दर्शाता है जो हमारे पिछले अनुमान से 0.20 प्रतिशत अधिक है.'
जहां तक मौजूदा मूल्य पर जीडीपी के आकार का सवाल है तो वह 2021-22 में 38.6 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 237 लाख करोड़ रुपये हो गई जो सालाना आधार पर 19.5 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है. घोष ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर पर बने रहने की आशंका के बीच मौजूदा मूल्य पर जीडीपी इस साल 16.1 प्रतिशत बढ़कर 275 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. इस रिपोर्ट में कंपनियों के राजस्व एवं लाभ में हो रही वृद्धि और बढ़ते बैंक ऋणों के साथ व्यवस्था में मौजूद पर्याप्त नकदी को भी ध्यान में रखा गया है.
बेहतर कॉर्पोरेट परिणाम : अर्थव्यवस्था कोविड -19 संबंधित लॉकडाउन और प्रतिबंधों के प्रतिकूल प्रभाव से उबर गई. कॉरपोरेट क्षेत्र ने पिछले वित्तीय वर्ष में मजबूत वापसी की है. रिपोर्ट के मुताबिक, समाप्त वित्त वर्ष में शेयर बाजार में सूचीबद्ध करीब 2,000 कंपनियों के राजस्व में 29 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई जबकि एक साल पहले की तुलना में उनका लाभ 52 प्रतिशत तक बढ़ गया. बुनियादी ढांचा क्षेत्र जिसमें रियल एस्टेट, सीमेंट और स्टील आदि शामिल हैं, ने भी राजस्व और कर पश्चात लाभ दोनों में प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की. उदाहरण के लिए निर्माण और इस्पात दोनों क्षेत्रों ने वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में पिछले वित्त वर्ष में राजस्व में क्रमशः 45% और 53% की वृद्धि दर्ज की.
तरलता के मोर्चे पर यह रिपोर्ट कहती है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो दर में धीरे-धीरे क्रमिक वृद्धि कर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देगा. जून और अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षाओं के दौरान आरबीआई रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. वहीं नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी जून में होने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि आरबीआई कोविड काल में चार प्रतिशत पर रही रेपो दर में कुल 1.25-1.50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है. आरबीआई ने गत मई में रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की हुई है. एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, केंद्रीय बैंक सीआरआर में 0.50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी फिर कर सकता है. उसने पिछले महीने भी सीआरआर में 0.50 प्रतिशत वृद्धि की थी. रिपोर्ट कहती है कि कच्चे तेल की कीमतों के 120 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रहने से चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 6.5-6.7 प्रतिशत रह सकती है.
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