नयी दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक- SBI ने कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (funds based lending rate ) 0.05 प्रतिशत बढ़ा दी है. सभी अवधि के कर्ज के लिये की गयी इस वृद्धि से कर्जदारों के लिये मासिक किस्त बढ़ेगी. इस वृद्धि के साथ उन कर्जदाताओं की मासिक किस्त- EMI बढ़ेगी, जिन्होंने कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (MCLR) पर कर्ज लिया है. इससे उन कर्जदारों पर फर्क नहीं पड़ेगा, जिन्होंने अन्य मानक ब्याज दरों पर कर्ज लिया है.
SBI की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार संशोधित एमसीएलआर दर 15 जुलाई से प्रभावी होगी. इस वृद्धि के साथ एक साल के लिये Marginal Cost of the Fund-Based Lending Rate- MCLR बढ़कर 8.55 प्रतिशत हो गयी है, जो अबतक 8.50 प्रतिशत थी. ज्यादातर कर्ज एक साल की MCLR दर से जुड़े होते हैं. एक महीने और तीन महीने की एमसीएलआर 0.05 प्रतिशत बढ़कर क्रमश: आठ प्रतिशत और 8.15 प्रतिशत हो गयी है. वहीं छह महीने की एमएसएलआर 8.45 प्रतिशत होगी.
वहीं, 2 साल की MCLR भी 5bps बढ़कर 8.65 फीसदी हो गई, जबकि 3 साल की MCLR 8.75 फीसदी हो गई. 1 अक्टूबर, 2019 से, SBI समेत सभी बैंकों को केवल बाहरी बेंचमार्क जैसे RBI की रेपो दर या ट्रेजरी बिल उपज से जुड़ी ब्याज दर पर उधार देना होगा. परिणामस्वरूप, बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति प्रसारण को गति मिली है. मौद्रिक संचरण पर लोन के बाहरी बेंचमार्क-आधारित मूल्य निर्धारण की शुरूआत का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में महसूस किया गया है, यहां तक कि उन क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है जो सीधे बाहरी बेंचमार्क-आधारित लोन मूल्य निर्धारण से नहीं जुड़े हैं.
(भाषा)