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रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत किया

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के पहले के अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया.रिजर्व बैंक ने फरवरी महीने में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था.

रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है आरबीआई
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Published : Apr 4, 2019, 8:58 AM IST

Updated : Apr 4, 2019, 2:28 PM IST

मुंबई: रिजर्व बैंक ने मानसून पर अल नीनो के संभावित असर और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता को लेकर चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के पहले के अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया. रिजर्व बैंक ने फरवरी महीने में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था.

वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये उसने जीडीपी वृद्धि दर 7.2 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. रिजर्व बैंक ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि फरवरी बैठक के बाद घरेलू निवेश गतिविधियों में नरमी के संकेत मिले हैं जो उत्पादन में सुस्ती और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में देखने को मिला. उसने कहा, "वैश्विक अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि में सुधार का देश के निर्यात पर असर पड़ सकता है."

ये भी पढ़ें-गूगल पर विज्ञापन देने में भाजपा सबसे आगे, कांग्रेस छठे स्थान पर, देखें टॉप 10

केंद्रीय बैंक ने कहा कि वाणिज्यिक क्षेत्र में बेहतर वित्तपोषण ने आर्थिक गतिविधियों को सहारा दिया है. ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खर्च बढ़ने तथा कर लाभ के कारण लोगों की खर्च करने योग्य आमदनी अधिक होने से निजी उपभोग बढने का अनुमान है. कारोबारी धारणा भी सकारात्मक बने रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक ने कहा, "2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पहली छमाही में यह 6.8 -7.1 प्रतिशत और अंतिम छमाही में 7.3- 7.4 प्रतिशत रह सकती है."

केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति परिदृश्य पर कई अनिश्चितताओं के बादल छाये हुए हैं. प्रमुख खाद्य उत्पादों का घरेलू एवं वैश्विक मांग-आपूर्ति संतुलन अनुकूल बना रह सकता है. हालांकि, शुरुआती अनुमानों में 2019 में मानसून पर अल नीनो प्रभाव के संकेत दिये जा रहे हैं. समिति ने माना कि उत्पादन की खाई नकारात्मक बनी हुई है और घरेलू अर्थव्यवस्था के समक्ष विशेषकर वैश्विक मोर्चे पर चुनौतियां बनी हुई हैं.

मुंबई: रिजर्व बैंक ने मानसून पर अल नीनो के संभावित असर और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता को लेकर चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के पहले के अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया. रिजर्व बैंक ने फरवरी महीने में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था.

वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये उसने जीडीपी वृद्धि दर 7.2 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. रिजर्व बैंक ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि फरवरी बैठक के बाद घरेलू निवेश गतिविधियों में नरमी के संकेत मिले हैं जो उत्पादन में सुस्ती और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में देखने को मिला. उसने कहा, "वैश्विक अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि में सुधार का देश के निर्यात पर असर पड़ सकता है."

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केंद्रीय बैंक ने कहा कि वाणिज्यिक क्षेत्र में बेहतर वित्तपोषण ने आर्थिक गतिविधियों को सहारा दिया है. ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खर्च बढ़ने तथा कर लाभ के कारण लोगों की खर्च करने योग्य आमदनी अधिक होने से निजी उपभोग बढने का अनुमान है. कारोबारी धारणा भी सकारात्मक बने रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक ने कहा, "2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पहली छमाही में यह 6.8 -7.1 प्रतिशत और अंतिम छमाही में 7.3- 7.4 प्रतिशत रह सकती है."

केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति परिदृश्य पर कई अनिश्चितताओं के बादल छाये हुए हैं. प्रमुख खाद्य उत्पादों का घरेलू एवं वैश्विक मांग-आपूर्ति संतुलन अनुकूल बना रह सकता है. हालांकि, शुरुआती अनुमानों में 2019 में मानसून पर अल नीनो प्रभाव के संकेत दिये जा रहे हैं. समिति ने माना कि उत्पादन की खाई नकारात्मक बनी हुई है और घरेलू अर्थव्यवस्था के समक्ष विशेषकर वैश्विक मोर्चे पर चुनौतियां बनी हुई हैं.

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रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है आरबीआई 

मुंबई: रिजर्व बैंक नए वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा का आज अंतिम दिन है. विशेषज्ञ इसमें रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. 

एमपीसी की मौद्रिक नीति समीक्षा को 4 अप्रैल 2019 को 11.45 मिनट पर वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा. वैश्विक स्तर पर आर्थिक नरमी के देश की वृद्धि संभावना पर असर पड़ने की आशंका को देखते हुए यह उम्मीद है कि बैंक नियामक आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए मुख्य नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकती है. 

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रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है. आरबीआई ने इससे पहले फरवरी में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी. यह कटौती करीब डेढ़ साल के अंतराल के बाद की गयी. विशेषज्ञों के अनुसार रेपो दर में कटौती से चुनावी मौसम में कर्ज लेने वालों को राहत मिलेगी. 

 


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Last Updated : Apr 4, 2019, 2:28 PM IST
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