इस्लामाबाद : पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बीच 11 घंटे की बातचीत के बाद देश को दिवालिया होने से बचाने के उद्देश्य से 1.1 अरब डॉलर की डील पर कोई आखिरी फैसला नहीं हो सका. मिडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार के पास आईएमएफ से लिए सात अरब डॉलर कर्ज के भुगतान का कोई विश्वनीय प्लान है. इसके साथ ही देश की बदहाली को ठीक करने का कोई रोड मैप नहीं है. पाकिस्तान की सरकार की तरफ से जो वादे किए जा रहे हैं उन पर मुद्रकोष को कोई भरोसा नहीं है.
साथ ही बाकी देशों की तरफ से उसे कर्ज देने की जो बातें कही गई हैं, उनकी विश्वसनीयता पर भी International Monetry Fund (IMF) को कोई भरोसा नहीं है. इन्हीं कारणों से पाकिस्तान सरकार के साथ IMF की बात नहीं बन पा रही है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, गहराते आर्थिक संकट ने पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को खाली कर दिया है. देश के पास एक महीने के आयात को कवर करने के लिए बमुश्किल पर्याप्त डॉलर बचा है. देश विदेशी ऋण पाने के लिए प्रयास कर रहा है.
पाकिस्तानी रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर
शुक्रवार को इस्लामाबाद से वापस लौटी आईएमएफ की टीम ने कहा कि 10 दिनों की बातचीत के बाद काफी प्रगति हुई है. आईएमएफ मिशन के प्रमुख नाथन पोर्टर ने एक बयान में कहा, आने वाले दिनों में वर्चुअल चर्चा जारी रहेगी. 1975 के बाद से पाकिस्तान में जनवरी में वार्षिक महंगाई 27 प्रतिशत से अधिक हो गई. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस हफ्ते, पाकिस्तानी रुपया (पीकेआर) डॉलर के मुकाबले 275 के ऐतिहासिक निचले स्तर तक गिर गया, जो एक साल पहले 175 से नीचे था. इससे देश के लिए चीजों को खरीदना और भुगतान करना अधिक महंगा हो गया.
विदेशी मुद्रा की कमी पाक के लिए बड़ी समस्या
विदेशी मुद्रा की कमी पाकिस्तान की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है. पूरे पाकिस्तान के व्यवसायों और उद्योगों ने कहा कि उन्हें काम धीमा या बंद करना पड़ा है, जबकि वे उन सामानों का भी इंतजार कर रहे हैं, जो उन्होंने आयात किए हैं, जो वर्तमान में बंदरगाहों में रुका है. जनवरी के अंत में एक मंत्री ने बीबीसी को बताया कि कराची के दो बंदरगाहों में 8,000 से अधिक कंटेनर पड़े हैं, जिनमें दवा से लेकर खाने तक का सामान है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इसमें से कुछ साफ होना शुरू हो गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ अटका हुआ है.
पाकिस्तान में और महंगाई की संभावना
गौरतलब है कि पाकिस्तान, कई देशों की तरह कोरोनोवायरस महामारी और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के परिणामस्वरूप वैश्विक ईंधन की बढ़ती कीमतों से परेशान है. पाकिस्तान आयातित जीवाश्म ईंधन पर बहुत अधिक निर्भर करता है और भोजन का आयात भी अधिक महंगा हो गया है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यदि पाकिस्तानी रुपया का मूल्यह्रास होता है, तो ईंधन की लागत अधिक होती है. जो परिवहन या निर्मित माल के लिए नॉक-ऑन प्रभाव के साथ होती है. सरकार ने हाल ही में ईंधन की कीमतों में 13 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है. लेकिन उसका कहना है कि वह और महंगा करने की योजना नहीं बना रही है. देश में गेहूं और प्याज जैसी बुनियादी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं.
(आईएएनएस)
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