मुंबई: आज चार राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना) के चुनाव परिणाम सामने आए हैं. तीन पर भाजपा को जीत मिली, जबकि एक पर कांग्रेस को जीत मिली है. इन नतीजों का सीधा असर सोमवार को शेयर मार्केट पर देखने को मिल सकता है. प्रत्येक चुनाव नतीजे के साथ, शेयर बाजार पर कुछ प्रभाव पड़ता है क्योंकि निवेशक विचार करते हैं कि निर्वाचित अधिकारी आर्थिक नीतियों को कैसे प्रभावित करेंगे. लेकिन चुनाव के नतीजे वास्तव में शेयर बाजार को कितना प्रभावित करते हैं. ये कल के शेयर बाजार ओपनिंग से ही पता चल पाएगा.
चुनाव का असर
चुनाव से पहले आम तौर पर कम रिटर्न दिखाता है क्योंकि निवेशक अनिश्चितता का सामना करते हैं. हालांकि, चुनाव के बाद के 12 महीनों में, बाजार का प्रदर्शन सामान्य से अधिक मजबूत होता है, चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो. स्टॉक मार्केट पर चुनाव का ऐतिहासिक प्रभाव हर चुनाव के नतीजे के बाद देखने को मिलता है. चुनाव देश की दिशा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते है. इसलिए, यह समझ में आता है कि वे निवेशकों की भावना और समग्र बाजार प्रदर्शन को भी प्रभावित कर सकते हैं.
शेयर बाजार में दिख सकता उताव-चढ़ाव
यह समझने के लिए कि चुनाव बाजार को कैसे प्रभावित करते हैं, पिछले चुनावों के बाद शेयर बाजार में उताव-चढ़ाव देखने को मिलता है. ये निवेशकों के भावना पर निर्भर करता है. अगर चुनाव के नतीजे निवेशक के मन मुताबिक आता है तो शेयर बाजार में उछाल देखने को मिल सकता है. बाजार के ऐतिहासिक रूप से बिल्कुल अलग तरीके से कार्य करने की संभावना हमेशा बनी रहती है. हालांकि, पिछले प्रदर्शन को देखने से आपको पिछले पैटर्न को समझने में मदद मिल सकती है. तब आप निर्णय कर सकते हैं कि क्या वही या कम से कम समान स्थितियां मौजूद हैं.
पिछले परिणाम का असर
पिछले दो दशकों के ऐतिहासिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार आमतौर पर आम चुनावों से पहले विधानसभा चुनावों के नतीजों को नजरअंदाज कर देते हैं. विश्लेषकों के अनुसार, तथाकथित 'सेमीफाइनल' दौर का राष्ट्रीय परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. बाजार में प्रमुख हलचल आम चुनाव के नतीजे हैं.
दिसंबर 2003, 2008, 2013 और 2018 में विजेता की परवाह किए बिना, नतीजों के दिन शेयर बाजारों में तेजी आई थी. 2013 को छोड़कर, नतीजों के बाद वाले महीने में बेंचमार्क सूचकांक भी आगे बढ़े.