नई दिल्ली : गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) अधिकारी किसी क्षेत्र विशेष की आपूर्ति श्रृंखला में कर चोरी को पकड़ने के लिए डेटा विश्लेषण का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके जरिये अधिकारी यह पता लगा रहे हैं कि आपूर्ति श्रृंखला में किसी स्तर पर Tax Evasion (आयकर रिटर्न के समय वास्तविक आय न बताना) तो नहीं हुई है.
बीते वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का पता चला है. ऐसे में जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने अनुपालन को बेहतर करने के लिए शुरुआती स्तर पर ही कर चोरी को पकड़ने के अपने प्रयासों को तेज किया है. एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि हम किसी क्षेत्र के लिए ‘एंड-टू-एंड’ विश्लेषण और आपूर्ति श्रृंखला में कर भुगतान का आकलन कर रहे हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कोई ऐसी कड़ी तो नहीं छूट गई है, जिसमें कर का भुगतान नहीं हुआ है.
अधिकारी ने कहा, ‘अब जबकि जीएसटी प्रणाली स्थिर हो गई है, हम इसे और सुव्यवस्थित करने का प्रयास कर रहे हैं. हम यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या जीएसटी के तहत आने वाले सभी क्षेत्र करों के अपने हिस्से का भुगतान कर रहे हैं.’ विश्लेषण के बाद अगर विभाग को लगता है कि कानून या शुल्क में कुछ बदलावों की आवश्यकता है, तो इसे अप्रुवल के लिए जीएसटी परिषद के सामने रखा जाएगा.
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अधिकारी ने कहा कि डेटा एनलिसिस एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन विनिर्माण के चरण में ही जीएसटी चोरी की जांच करने के लिए यह जरूरी है. यह अनुपालन में सुधार सुनिश्चित करते हुए राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि डीजीजीआई को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कई प्रौद्योगिकी उपकरणों के साथ सशक्त किया गया है.
डेटा विश्लेषण के तहत किसी क्षेत्र में कर भुगतान की पूर्ववर्ती उत्पाद एवं सेवा कर व्यवस्था के भुगतान से तुलना की जाती है. वित्त वर्ष 2022-23 में कर अधिकारियों ने 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का पता लगाया है. सालाना आधार पर कर चोरी लगभग दोगुनी हो गई है. डीजीजीआई ने इस दौरान 21,000 करोड़ रुपये की वसूली की है.
(पीटीआई-भाषा)
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