दावोस : World Economic Forum के अधिकांश मुख्य अर्थशास्त्री 2023 में वैश्विक मंदी की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार दे रहा है. उनका मानना है कि अमेरिका और यूरोप में और अधिक मौद्रिक तंगी आ सकती है. 'Chief Economist Outlook : January 2023' की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. WEF की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग दो- तिहाई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2023 में वैश्विक मंदी की आशंका है. इनमें से 18 प्रतिशत इकनॉमिस्ट सबसे ज्यादा आशंका जता रहे हैं. वहीं एक तिहाई इकनॉमिस्ट को लगता है कि इस साल वैश्विक मंदी की संभावना नहीं है.
WEF के अनुसार यह आम सहमति बनी हुई है कि 2023 में विकास की संभावनाएं कम है. इनमें अमेरिका और यूरोप की स्थिती ज्यादा खराब है. वहीं चीन के बारें में विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार 'चीन में भारी प्रतिबंधों वाली जीरो-कोविड नीति को खोलने के फैसले से विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि नीतिगत बदलाव स्वास्थ्य के लिहाज से कैसा होगा.'
चीन और अमेरिका की महंगाई में भिन्नता
वहीं महंगाई को लेकर WEF के अर्थशास्त्री, क्षेत्र के हिसाब से विभिन्नता पा रहे हैं. 2023 में जहां चीन में 5 प्रतिशत महंगाई की उम्मीद है, वहीं यूरोप में 57 प्रतिशत महंगाई की आशंका जताई जा रही है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक की नीति दर अब 4.25-4.50 प्रतिशत की लक्षित सीमा में है. जो15 वर्षों में उच्चतम स्तर है और विशेष रूप से यह 2022 के शुरुआती भाग में शून्य के करीब थी. हाल ही में 50 आधार अंकों की वृद्धि से पहले वहां 75 आधार अंकों की परिमाण में लगातार चौथी वृद्धि हुई है. अगली अमेरिकी मौद्रिक नीति बैठक 31 जनवरी और 1 फरवरी के लिए निर्धारित है.
भाषा के अनुसार, भारत छोटे और मध्यम उद्यमों की क्षमताओं को विस्तार देने के लिए अपना खाद्यान तंत्र विकसित करने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है. WEF द्वारा सोमवार को जारी एक अध्ययन में यह आकलन पेश किया गया है. मंच की 53वीं बैठक के पहले लदिन जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्यान संकट से निपटने में सक्षम हो चुके देश रोजगार, स्वास्थ्य और प्रकृति में भी उछाल हासिल कर सकते है. इसके अलावा उन्हें Net Zero Emissions हासिल करने में भी आसानी होगी.
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